👉 रानीगंज से लड़ेंगे विधानसभा चुनाव, बस औपचारिक घोषणा का इंतजार, मिलेगा टिकट
आसनसोल : पश्चिम बंगाल में साल 2026 में विधानसभा निर्वाचन प्रस्तावित है। चुनाव आयोग इसकी तैयारियों में जुट गया है। फिलहाल मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का कार्य जोरों पर है। इसके साथ ही राजनीतिक सरगर्मी भी तेज होने लगी है। राजनेताओं ने अपने ताश के पत्ते खोलने शुरू कर दिए है। दल-बदल का खेल अब शुरू होने वाला है। टीएमसी जहां चौथी बार सरकार बनाने के लिए पूरा दमखम लगाने को तैयार है। वहीं, बीजेपी भी इस बार सत्ता में काबिज होने के लिए बेकरार है। ऐसे में इस बदली-बदली बयार में शिल्पांचल भी शामिल हो चुका है।
आसनसोल-दुर्गापुर शिल्पांचल में इस बार भी विधानसभा चुनाव के पहले काफी तपिश रहने वाली है। सियासी हवा बदलनी भी शुरू हो गई है। दावा है कि आसनसोल के पूर्व सांसद और माकपा के पूर्व कद्दावर नेता वंश गोपाल चौधरी जल्द ही सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस का दामन थामने वाले हैं। वाममोर्चा शासनकाल में राज्य सरकार में मंत्री रहने के साथ ही आसनसोल-दुर्गापुर विकास प्राधिकरण (ADDA) के चेयरमैन रहे वंश गोपाल चौधरी के टीएमसी में शामिल होने की बात महज समय की अपेक्षा ही रह गई है।
रानीगंज के राजबाड़ी के मूल निवासी वंश गोपाल चौधरी फिलहाल राजनीति से दूर हैं। माकपा से निष्कासित किए जाने के बाद से उन्होंने खुद को समेट लिया है। लेकिन अब उनके टीएमसी में शामिल होने के दावे ने शिल्पांचल की सियासत को फिर एक बार गर्म कर दिया है। बताया जा रहा है कि चौधरी के तृणमूल में शामिल होने की पटकथा लिखी जा चुकी है। राज्य नेतृत्व ने यह पटकथा लिखी है, जिस पर स्थानीय व जिला नेतृत्व ने भी सहमति जता दी है। बीते दिन राज्य के एक वरिष्ठ मंत्री का शिल्पांचल दौरा भी इसी को केन्द्र कर बताया जा रहा है। स्थानीय नेतृत्व से बात कर राज्य नेतृत्व को भरोसे में ले लिया गया है। अब महज औपचारिक घोषणा व प्रक्रिया बाकी रह गई है।
बताया जा रहा है कि वंश गोपाल चौधरी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। वे रानीगंज विधानसभा केंद्र से टिकट के हकदार बताए जा रहे हैं। ऐसे में उनकी दावेदारी के कारण तृणमूल को टिकट बांटने में कई उलटफेर करने पड़ सकते हैं। कुछ एक सीटिंग एमएलए के सीटों में फेरबदल भी संभव है। ऐसे में स्थानीय नेतृत्व के साथ अंतिम व विस्तृत चर्चा करने के लिए ही राज्य के एक वरिष्ठ मंत्री को यहां भेजा गया। जिले के सभी प्रमुख नेताओं के साथ गहन चर्चा के बाद अब इस पर मुहर लगा दी गई है।
एक नजर में वंश गोपाल चौधरी का जीवन
12 जनवरी 1960 को रानीगंज में जन्मे चौधरी ने त्रिवेणी देवी भालोटिया कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। चौधरी राजनीति में आने से पहले एक सोशल वर्कर थे। उन्होंने संसद सदस्य के तौर पर आसनसोल लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और वह माकपा के पूर्व सदस्य हैं। चौधरी, लोकसभा चुनाव लड़ने से पहले, पश्चिम बंगाल विधानसभा के सदस्य भी थे और पश्चिम बंगाल सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थे। वे CPI(M) पश्चिम बंगाल राज्य समिति के पूर्व सदस्य और CITU पश्चिम बर्धमान जिला समिति के सचिव रह चुके हैं। चौधरी ने 2011 तक आसनसोल-दुर्गापुर विकास प्राधिकरण के चेयरमैन के रूप में भी काम किया। परिवार में पत्नी सांत्वना चौधरी और दो पुत्र हैं।
राजनीतिक करियर में आया विवाद का भी दौर
20 अप्रैल 2025 को, जियागंज अजीमगंज नगर पालिका की पूर्व पार्षद रत्ना दास ने सोशल नेटवर्किंग साइट पर आरोप लगाया कि चौधरी ने उन्हें व्हाट्सएप पर अश्लील मैसेज भेजे। दास ने बताया कि मिस्टर चौधरी उन्हें देर रात मैसेंजर पर अश्लील मैसेज भेजते थे। उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी) के उच्च अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई। हालांकि चौधरी ने इस आरोप से इनकार किया और इसे एक गहरी साजिश करार दिया। आखिरकार CPI(M) की पश्चिम बंगाल राज्य समिति ने इस मामले के लिए उन्हें पार्टी से निकाल दिया।
किन-किन पदों पर रहें वंश गोपाल चौधरी?
🔹1987 से 2005 तक विधायक
🔹1996 से 2005 तक कैबिनेट मंत्री, पश्चिम बंगाल
🔹2005 से 2009 तक सांसद, 14वीं लोकसभा
🔹2005 से 2009 तक सदस्य, कोयला और इस्पात संबंधी स्थायी समिति
🔹2009 से 2014 तक सांसद, 15वीं लोकसभा
🔹2009 से 2014 तक सदस्य, उद्योग समिति












