आसनसोल के इतिहास में पहली बार…जेल में विराजीं माँ दुर्गा, श्रद्धा से पूज रहें कैदी

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आसनसोल : धार्मिक मान्यता प्रचलित है कि देवी दुर्गा के आगमन पर पूरा संसार प्रकाश्यमान हो जाता है। संसार में नवाचार व खुशहाली आती है…कुछ ऐसा ही जेल के अंदर हुआ…जहां मां दुर्गा के आगमन ने जीवन के अंधेरे को खत्म कर उजाले का प्रादुर्भाव किया है। जी हां… यहां बात हो रही है आसनसोल जिला सुधारगृह की, जिसे आसान शब्दों में लोग आसनसोल जेल बुलाते हैं। आसनसोल के इतिहास में उज्ज्वल धर्माध्याय जुड़ चुका है। पहली बार आसनसोल के सुधारगृह में पूरी निष्ठा, विधि-विधान व श्रद्धा के साथ बंदियों द्वारा माँ अम्बे-भवानी की पूजा की गई है।

जेल के अंदर दुर्गापूजा के आयोजन से कैदी खुशी से झूम रहे हैं। अत्यंत कम समय में आयोजन को पूर्ण रूप दिय गया है। अब सुधारगृह के बाहर और अंदर रोशनी जगमगा रही है। तिथि के अनुसार, महाषष्ठी के दिन देवी दुर्गा का बोधन हुआ। यहां पुरोहित की भूमिका स्वयं जेल प्रहरी निभा रहे हैं। कैदियों का समूह ढाक बजा रहा है। महिला कैदियों ने मिलकर दीप और आल्पना (रंगोली) बनाने की ज़िम्मेदारी संभाली है।

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जेल अधीक्षक चंद्रेयी हाईत ने कहा- “सुधारगृह के आवासिकों (जेल में बंद कैदियों) ने अनुरोध किया था कि भले ही लघु स्तर पर ही क्यों न हो, अगर दुर्गापूजा आयोजन की व्यवस्था संभव हो पाती? कैदियों के अनुरोध व उत्साह को देखते हुए मैंने राज्य प्रशासन के समक्ष आवेदन किया और कारा (जेल) विभाग से पूजा आयोजन की अनुमति मिल गई।” हाईत ने आगे बताया कि “मेरे करियर में यह पहली पोस्टिंग है और मुझे काफी खुशी हो रही है कि जेल के कड़वे अनुभव के बीच एक भव्य धार्मिक आयोजन हो रहा है, जिसमें सभी सम्मीलित हो रहे हैं। यहाँ, सभी विधि-विधान व पूर्ण आस्था के साथ एकचाला सावेकी परंपरा के तहत प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जा रही है।”

सुधारगृह की महिला कैदियों को सरकारी स्तर से नई साड़ियां प्रदान की गई हैं। जेल प्रहरी विद्युत चक्रवर्ती मुख्य पुजारी की भूमिका निभा रहे हैं। पुजारी के साथ, चार यजमान (व्रती) भी सुधारगृह के आवासिक हैं। महिला कैदियों ने आल्पना (रंगोली) बनाई है। महिलाओं ने ही मिलकर 108 दीपक बनाए हैं। वे बहुत खुश हैं। बाहर से ढाक मंगवाई गई है, जिसे जेल के ही पुरुष कैदी बजा रहे हैं।

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महासप्तमी के दिन तालाब में कलाबउ को स्नान कराकर नवपत्रिका लाने से लेकर पूजा-अर्चना तक पूरे विधि-विधान से निष्ठा के साथ की गई। अष्टमी पूजा की तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं। संधि पूजा पंचांग के अनुसार श्रद्धास्वरूप होगी। कैदियों के लिए पुष्पांजलि अर्पित करने की व्यवस्था भी की गई है, जो बारी-बारी से पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। विजयादशमी के मौके पर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा। इसमें पुरुष कैदियों द्वारा नृत्य, गीत-संगीत एवं कविता पाठ पेश किया जाएगा, जबकि माँ दुर्गा की विदाई बेला में महिला कैदी सिंदूर खेल में हिस्सा लेंगी।

पूजा के दौरान हर दिन विशेष भोजन का मेनू होता है। सप्तमी को मछली-भात, अष्टमी को खिचड़ी, नवमी को मांस-भात और दशमी को मटन। इसके अलावा, शाकाहारियों के लिए पनीर सहित अन्य वेज खाने की भी व्यवस्था की गई है। हर दिन मिठाई और टिफिन का अलग इंतज़ाम है। देवी को भोग अर्पित करने के लिए चूड़ा-गुड़, फल, दही, नाड़ू के इंतजाम हैं।

जेल अधीक्षक हाईत ने कहा, “हम सभी कर्मचारी कुछ दिनों तक उनके साथ पूजा का आनंद लेंगे। ताकि वे जेल के अंदर से भी समझ सकें कि यह त्योहार सबके लिए है।” मुख्य पुजारी विद्युत चक्रवर्ती के शब्दों में, “कई लोग मन्नतें मांग रहे हैं। वे कह रहे हैं, हमारे लिए प्रार्थना करो, देवी माँ से कहो ताकि हम भी जल्दी रिहा हो जाएँ।”

यहां बता दें कि आसनसोल सुधारगृह में फिलहाल बंदियों की संख्या चार सौ से ज़्यादा है। इनमें लगभग 35 महिलाएँ हैं। इसके अलावा, एक दर्जन से ज़्यादा सजायाफ्ता कैदी भी हैं।

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