कोलकाता: पश्चिम बंगाल के मंत्री फिरहाद हकीम अपने विवादास्पद बयान को लेकर घिर गए हैं। उनके बयान से खुद को अलग करते हुए तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने स्पष्ट किया कि “बंगाल की सामाजिक एकता को नुकसान पहुँचाने वाले किसी भी बयान पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
तृणमूल का आधिकारिक बयान
सोमवार को तृणमूल कांग्रेस ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से एक बयान जारी किया। इसमें कहा गया, “फिरहाद हकीम के बयान पार्टी के विचारधारा या स्थिति को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं। हमारा शांति, एकता और सांप्रदायिक सद्भाव के प्रति संकल्प अडिग है।”
क्या कहा था फिरहाद हकीम ने?
शुक्रवार को अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को संबोधित करते हुए हकीम ने कहा, “हम एक ऐसे समुदाय से आते हैं जो बंगाल में 33% और पूरे देश में 17% हैं। लेकिन आने वाले समय में हम अल्पसंख्यक नहीं रहेंगे। अल्लाह की कृपा और शिक्षा के बल पर हम बहुसंख्यक बनेंगे।”
बीजेपी का हमला और विपक्ष का विरोध
बीजेपी और अन्य विपक्षी दलों ने इस बयान पर तीखा हमला किया है। विपक्ष का आरोप है कि फिरहाद हकीम का यह बयान “सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने के उद्देश्य से दिया गया है।” बीजेपी ने तृणमूल पर तंज कसते हुए कहा, “वोट बैंक की राजनीति के लिए ऐसे भड़काऊ बयान दिए जा रहे हैं।”
पहला विवाद नहीं
यह पहला मौका नहीं है जब फिरहाद हकीम किसी विवाद में फंसे हैं। इससे पहले जुलाई में उन्होंने कहा था, “जो लोग इस्लाम में पैदा नहीं हुए, वे बदकिस्मत हैं। हमें उन्हें इस्लाम के दायरे में लाना होगा।” हालांकि, बाद में उन्होंने माफी मांगकर स्थिति संभाली थी।
तृणमूल की ‘दूरी’ क्या नुकसान संभाल पाएगी?
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, फिरहाद हकीम के बयान से तृणमूल कांग्रेस को भारी असुविधा हो सकती है। खासकर जब बंगाल में हिंदुत्व संगठनों ने पहले से ही बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों के मुद्दे को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन शुरू कर दिया है।