जामुड़िया : जन्म से ही सब कुछ सामान्य था। लेकिन प्रसव के कुछ महीने बाद ही गृहिणी की आंखों में धुंधला दिखना शुरू हो गया। जल्दबाज़ी में इलाज शुरू किया गया। यहां किसी तरह का लाभ न मिलने पर दूसरे राज्यों में भी इलाज कराया गया। जितनी भी जमा-पूंजी थी, सब खत्म हो गई। अंत में पति राहुल बधुकर आर्थिक सहयोग के लिए सड़कों, दुकानों और यहां तक कि पड़ोसियों के दरवाज़े तक जाने को मजबूर हैं।
पश्चिम बर्दवान जिले के जामुड़िया विधानसभा के श्यामला ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले एक सुदूर गांव भूरी में रहने वाले राहुल बधुकर ने 2020 में अनिता बधुकर से विवाह किया था। दोनों का वैवाहिक जीवन सामान्य रूप से चल रहा था। उनकी जिंदगी में एक प्यारी-सी बेटी आई। लेकिन बेटी के जन्म के सात महीने बाद अनिता की आंखों में धुंधलापन आने लगा और उनकी सुखी जिंदगी में अंधकार छा गया।
पिछले कई वर्षों से राहुल की पत्नी अनिता पूरी तरह से दृष्टिहीन हो चुकी हैं। राहुल दिहाड़ी मजदूरी कर किसी तरह घर का खर्च चलाते हैं, आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है। फिर भी उन्होंने पत्नी की आंखों की रोशनी लौटाने के लिए दुर्गापुर के नामी-गिरामी चिकित्सा केंद्रों से लेकर बेंगलुरु तक का सहारा लिया। वहां कुछ समय इलाज चला, लेकिन इलाज का खर्च न उठा पाने के कारण उन्हें मजबूरी में लौटना पड़ा।

जिस परिवार में रोज़मर्रा की जरूरतों को पूरा करना ही मुश्किल हो, उसके लिए बड़े पैमाने का इलाज कराना बेहद कठिन होता है। इसलिए अब राहुल बधुकर स्थानीय दुकानदारों, राहगीरों और पड़ोसियों के घर-घर जाकर आर्थिक मदद मांग रहे हैं।
इस स्थिति में अगर कोई सहृदय व्यक्ति उनकी मदद करे या नेत्रदान करे तो अनिता की आंखों की रोशनी वापस आ सकती है। इसी उम्मीद में यह दंपति दिन गिन रहा है।