रानीगंज | संवाददाता विशेष
“अगर सड़क दुरुस्त होती, तो शायद षष्ठी बाउरी आज ज़िंदा होते…” – यह दर्दभरी पुकार उस समय गूंज उठी जब 55 वर्षीय वृद्ध षष्ठी बाउरी की जर्जर सड़क पार करते वक्त एक तेज रफ्तार 16 चक्का डंपर से कुचलकर मौत हो गई। हादसा रानीगंज के रानीसायर इलाके में गुरुवार दोपहर हुआ और इसके बाद इलाके में जैसे जनसैलाब उमड़ पड़ा।
🚨 कैसे हुआ हादसा?
गुरुवार करीब दोपहर 1 बजे, निमचा कदमडांगा निवासी वृद्ध षष्ठी बाउरी गिरजापाड़ा (बदाम बागान) से लौटते समय रानीसायर बायपास पर सड़क पार कर रहे थे। तभी एक बेकाबू 16 चक्का डंपर ने उन्हें कुचल दिया। मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
⚠️ क्षेत्र में सड़क की स्थिति: मौत को दावत
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह सड़क लंबे समय से खस्ताहाल है। हर दिन यहां छोटे-बड़े हादसे होते हैं, परंतु प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है। सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे, टूटी किनारियाँ और बेतरतीब डंपरों की आवाजाही – यहां मौत रोज़ घूमती है।
💥 घटना के बाद भड़का गुस्सा, सड़क जाम और प्रदर्शन
हादसे के तुरंत बाद सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए। स्थानीय लोगों ने डंपर को पीछा कर पकड़ लिया। इसके बाद उन्होंने मृतक के परिजनों को मुआवजा और तुरंत सड़क मरम्मत की मांग को लेकर रानीसायर सड़क पर जाम लगा दिया।
स्थिति को देखते हुए रानीगंज थाना, निमचा फाड़ी, पंजाबी मोड़ फाड़ी और श्रीपुर फाड़ी (जामुड़िया थाना) की पुलिस मौके पर पहुंची और प्रदर्शनकारियों को समझाने का प्रयास किया।
🧓 षष्ठी बाउरी कौन थे?
मृतक षष्ठी बाउरी मेहनतकश वर्ग से आते थे। वे अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे। स्थानीय लोगों ने बताया कि वे हर दिन गिरजापाड़ा स्थित बदाम बागान क्षेत्र में छोटा-मोटा काम कर गुजर-बसर करते थे।
📣 स्थानीय लोगों की माँगें:
- सड़क की त्वरित मरम्मत
- मृतक के परिजनों को सरकारी मुआवजा (कम से कम ₹10 लाख)
- तेज रफ्तार भारी वाहनों पर नियंत्रण और बैरिकेडिंग की व्यवस्था
- स्थायी ट्रैफिक पुलिस चौकी की स्थापना
⚰️ पुलिस कार्रवाई और अगला कदम
पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और डंपर चालक को हिरासत में ले लिया गया है। पुलिस ने हादसे की जांच शुरू कर दी है, हालांकि स्थानीय लोगों का विश्वास अब टूट चुका है।
🔥 यह सिर्फ एक हादसा नहीं, प्रशासन की नाकामी का प्रमाण है
हर साल दर्जनों जानें ऐसी ही जर्जर सड़कों और बेकाबू वाहनों के चलते जाती हैं, लेकिन तब तक कोई नहीं सुनता जब तक कोई मरे नहीं। रानीगंज की जनता अब और चुप नहीं रहेगी — “मरम्मत नहीं तो वोट नहीं” का नारा भी उठने लगा है।