👉 राष्ट्रपति के हाथों मिल चुका है बेस्ट बांग्ला फिल्म प्रोड्यूसर का नेशनल अवार्ड
👉 राजनीति में आने और विधानसभा चुनाव लड़ने की योजना बना रहा था कयाल
👉 विदेशी निवेश लाने के लिए 2013 में राज्य सरकार के प्रतनिधिमंडल में शामिल होने पर मचा था हंगामा
कोलकाता (प्रेम शंकर चौबे) : कोयला तस्करी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीमों द्वारा पश्चिम बंगाल और झारखंड में कोयला माफियाओं के 42 ठिकानों पर एक साथ ताबड़तोड़ छापेमारी जारी है। इस रेड के दौरान ईडी ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। ईडी के आधिकारिक सूत्रों का दावा है कि कोयले के अवैध कारोबार में बंगाल का मास्टरमाइंड कृष्ण मुरारी कयाल है। उसके ही नेतृत्व में पूरे बंगाल-झारखंड में सिंडिकेट एक्टिव होकर तस्करी को अंजाम दे रही थी। कयाल ने अपने बढ़ते रूतबे और धन का इस्तेमाल फिल्मों के प्रोडक्शन में भी किया है, ताकि ब्लैक मनी को सफेद किया जा सके। यही नहीं, एक बांग्ला फिल्म के निर्माण के लिए कृष्ण मुरारी कयाल को बेस्ट बांग्ला फिल्म प्रोड्यूसर का नेशनल अवार्ड भी हाल ही में मिला था।

ईडी के इस खुलासे से कोलकाता के साथ-साथ पूरे शिल्पांचल में हड़कंप है। यहां बता दें कि कृष्ण मुरारी कयाल मूल रूप से रानीगंज के तारबांग्ला के निवासी हैं। रानीगंज में वह बिल्लू कयाल के नाम से फेमस है। 52 वर्षीय बिल्लू कयाल का जन्म कोयला नगरी रानीगंज में वर्ष 1973 में हुआ था। मुख्यतः व्यवसायिक पृष्ठभूमि से आने वाले बिल्लू ने कई व्यवसायों में हाथ आजमाया और अंततः कोयले को ही अपना मुख्य हथियार बनाया। इस काले दुनिया में कदम रखते ही उसने तेजी से इसमें मुकाम हासिल किया। उसने कोलकाता में अपना ठिकाना बसाया और कोयले के वैध-अवैध कारोबार से फर्श से अर्श पर पहुंच गया। वह बीते डेढ़ दशक से इस कारोबार में प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है।
लाला राज खत्म होते ही सिंडिकेट पर कयाल का कब्जा
हाल के 4-5 वर्षों में उसने शिल्पांचल में एकछत्र अधिकार कायम कर लिया था। अनूप माजी उर्फ लाला का कोल सिंडिकेट निष्क्रिय होने के कुछ समय बाद ही कयाल ने पूरे खेल को अपने पासे में समेट लिया था। गत तीन वर्षों में शिल्पांचल मं बने दो नये सिंडिकेट का कर्ता-धर्ता भी कृष्ण मुरारी कयाल ही था। बिल्लू के ही अधीनस्थ फिलहाल लोकेश, पप्पू, शशि और अन्य सभी मिलकर नया सिंडिकेट चला रहे थे। हालांकि बिल्लू अब तक ऊँची छलांग लगा चुका था। उसने इस खेल को वृहद आकार दिया और अपने साथ झारखंड और बंगाल के कई नये-पुराने कोल कारोबारियों को जोड़ लिया।
काली कमाई को फिल्मों में निवेश कर किया सफेद
ईडी सूत्रों ने बताया कि कृष्ण मुरारी कयाल उर्फ बिल्लू ने कोयले की काली कमाई का पैसा फिल्मों में लगाया और काले धन को सफेद किया। अब तक उसके प्रोडक्शन में करीब 15 फिल्में बन चुकी हैं। उनकी प्रोडक्शन की अधिरांश फिल्में बांग्ला भाषा से जुड़ी हुई है। मुलतः टॉलीवुड में बिल्लू की अच्छी पकड़ है। मार्च 2024 में ओटीटी (OTT)प्लेटफॉर्म पर एक बांग्ला फिल्म डीप फ्रीज (DEEP FRIDGE) रिलीज हुई थी। इस फिल्म को भी कयाल ने प्रोड्यूस किया था। इस फिल्म के लिए कयाल को बेस्ट बांग्ला फिल्म प्रोड्यूसर का अवार्ड मिला था।

71वें नेशनल फिल्म अवार्ड समारोह में राष्ट्रपति के हाथों यह पुरस्कार स्वयं कयाल ने ही लिया था। फिल्म के डायरेक्टर और राइटर अर्जुन दत्ता हैं। इसमें लीड रोल में अबीर चटर्जी और तनुश्री चक्रवर्ती हैं। फिल्म को इसकी कहानी और शानदार सिनेमा के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला था। फिल्म तलाकशुदा दंपति से जुड़ी है, जो तलाक के बाद की चुनौतियों का सामना करते हैं।
2013 में लाइमलाइट में आए थे बिल्लू कयाल
कोल सिंडिकेट के मास्टरमाइंड माने जा रहे बिल्लू कयाल इससे पहले भी विवाद और सुर्खियों में छा चुके हैं। वर्ष 2013 में पहली बार बिल्लू लाइमलाइट में आए थे। मामला राज्य की तृणमूल सरकार से जुड़ा था। दरअसल, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बंगाल में निवेश लाने के लिए पुरोजर कोशिश में लगी थी। इसके लिए राज्य सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल बंगाल में निवेश लाने के लिए विदेश गया था। उस प्रतिनिधिमंडल में कृष्ण मुरारी कयाल भी थे। मामला सामने आने के बाद खूब हो-हल्ला मचा था।
बंगाल से लेकर झारखंड तक बिछाया अपना जाल
बताया जा रहा है कि कृष्ण मुरारी कयाल उर्फ बिल्लू ने शिल्पांचल को केंद्र में रखकर पूरे बंगाल के कोल और सैंड सिंडिकेट पर अपना राज कायम कर लिया था। वह केके ना से फेमस हो गया था। ईडी सूत्रों ने बताया कि बालू तस्करी में गिरफ्तार सैंड किंग अरूण सर्राफ से भी एजेंसी को कयाल के संबंध में इनपुट मिले थे। कयाल ने झारखंड से लेकर बंगाल तक कई मोर्चों पर अपने तुरुप के इक्के बना रखे थे। झारखंड में इसकी कमान लालबालू सिंह, कुंभनाथ सिंह, अमर मंडल संभाल रहे थे। बंगाल में कृष्ण अकेले ही महाभारत के मैदान में थे। सहयोग के तौर पर उसने सुंदर भालोटिया, चिन्मय मंडल, नरेंद्र खरका, युधिष्ठिर घोष, राज किशोर यादव को जोड़ रखा था।
क्या पूरी हो पाएगी बिल्लू के सफेदपोश बनने की मंशा
कोयले के काले कारोबार से अकूत धन-संपदा इकट्ठा करने के बाद कयाल अब सफेदफोश होने की मंशा बनाने लगा था। उसकी योजना और इच्छा अब राजनीति में आने की प्रबल हो गई थी। वह इस पर कार्य भी करने लगा था। वह एक बड़े राजनीतिक दल के काफी करीब पहुंच गया था। पैसों के बल पर वह टिकट हासिल कर आगामी साल होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने की योजना बना चुका था। जानकार सूत्र बताते हैं कि ईडी की रेड ने उसकी मंशा और अब तक के प्रयासों पर पानी फेर दिया है। अगर सब कुछ सही रहता तो शायद जनता उसे रानीगंज विधानसभा से एक प्रमुख दल के उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में देखती।












