[metaslider id="6053"]

कर्ज, झूठ और रिश्वत? कारोबारी अनिल अंबानी पर ED ने कसा शिकंजा, कंपनियों पर छापेमारी

मुंबई/नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने तीन हजार करोड़ रुपये के संदिग्ध लोन फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप से जुड़ी कंपनियों और अधिकारियों से जुड़े 35 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की है. यह कार्रवाई, जो पीएमएलए की धारा 17 के तहत की जा रही है, सीबीआई ने इस मामले में दो FIR भी दर्ज की थीं.

लोन डायवर्जन और शेल कंपनियां

ये शिकायतें RAAGA कंपनियों की तरफ से लोन के दुरुपयोग, रिश्वतखोरी और सार्वजनिक संस्थाओं के साथ धोखाधड़ी के आरोपों से संबंधित हैं. RAAGA कंपनियां रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप की संस्थाओं का कहा जाता है. सूत्रों के मुताबिक, नेशनल हाउसिंग बैंक, सेबी, एनएफआरए और बैंक ऑफ बड़ौदा सहित कई एजेंसियों ने जांच में मदद करने वाले फाइंडिंग और इनपुट शेयर किए थे.

ईडी की शुरुआती जांच से पता चलता है कि अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियां सार्वजनिक धन की हेराफेरी और वित्तीय संस्थानों को गुमराह करने के लिए एक सोची-समझी प्लानिंग में शामिल थीं. इसमें कथित तौर पर 2017 और 2019 के बीच यस बैंक से करीब 3,000 करोड़ रुपये के लोन की अवैध रूप से हेराफेरी शामिल थी.

अधिकारियों का कहना है कि लोन वितरण से ठीक पहले, यस बैंक के प्रमोटर्स से जुड़ी संस्थाओं को पैसा हासिल हुआ था. इससे बैंक अधिकारियों और उधारकर्ता फर्मों के बीच संभावित रिश्वतखोरी और लेन-देन की व्यवस्था के सवाल उठे हैं. ईडी अब यस बैंक के प्रमोटर्स और अनिल अंबानी से जुड़ी कंपनियों के बीच कथित सांठगांठ की जांच कर रही है.

बैंक की क्रेडिट पॉलिसी का उल्लंघन?

यस बैंक के लोन अप्रूवल में गड़बड़ी की ओर ध्यान दिलाया गया. ईडी के सूत्रों ने बताया कि पिछली तारीख के क्रेडिट अप्रूवल मेमोरेंडम (सीएएम), बिना जांच-पड़ताल या क्रेडिट एनालिसिस के किए गए निवेश, और बैंक की अपनी क्रेडिट पॉलिसी का उल्लंघन करते हुए लिए गए फैसले अनियमितताओं में शामिल हैं.

कई मामलों में, औपचारिक मंज़ूरी से पहले ही लोन वितरण किया गया और आवेदन जमा होने के दिन ही रकम जारी कर दी गई. कुछ फर्म, जिन्हें रकम मिली है, की वित्तीय स्थिति कथित तौर पर कमज़ोर थी, उनके पते और डायरेक्टर एक जैसे थे, साथ ही उनके पास उचित दस्तावेज़ों की कमी थी, जिससे शेल कंपनियों और राउंड-ट्रिपिंग का शक बढ़ गया है.

रडार पर रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड

ईडी की जांच के दायरे में आने वाली प्रमुख संस्थाओं में से एक रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) है. बताया जा रहा है कि सेबी ने RHFL की तरफ से दिए गए कॉर्पोरेट लोन में भारी उछाल देखने के बाद अपनी फाइंडिंग ईडी के साथ शेयर की है. क्योंकि कॉर्पोरेट लोन वित्त वर्ष 2017-18 में 3,742.60 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2018-19 में 8,670.80 करोड़ रुपये हो गया. ईडी इस बात की जांच कर रही है कि क्या यह उछाल किसी बड़े लोन डायवर्जन प्लान से जुड़ी थी.

RHFL की जांच के हिस्से के तौर पर अनियमित और जल्द अप्रूवल, प्रक्रिया उल्लंघन और संबंधित पक्षों को आगे लोन देने को भी उजागर किया गया है.

SBI के फ्रॉड ऐलान के बाद एक्शन

ईडी की यह छापेमारी भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की तरफ से रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) और उसके प्रमोटर अनिल डी. अंबानी को भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की गाइडलाइंस के तहत औपचारिक रूप से ‘फ्रॉड’ घोषित किए जाने के कुछ ही दिनों बाद शुरू हुई है. बैंक ने इस धोखाधड़ी की सूचना आरबीआई को दे दी है और सीबीआई में शिकायत दर्ज कराने की तैयारी कर रहा है.

आरकॉम को एसबीआई के लोन में 2,227.64 करोड़ रुपये के फंड-बेस्ड लोन और 786.52 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी शामिल है. कंपनी दिवालिया कार्यवाही से गुजर रही है और राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के अंतिम फैसले का इंतजार है.

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने हाल ही में संसद को सूचित किया कि एसबीआई ने दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (IBC) के तहत अनिल अंबानी के खिलाफ भी व्यक्तिगत दिवाला कार्यवाही शुरू की है.

गुरुवार को ईडी की कार्रवाई 35 से ज़्यादा परिसरों, 50 से ज़्यादा कंपनियों के ठिकानों पर हुई और मामले से जुड़े 25 से ज़्यादा लोगों से पूछताछ की गई. ये छापे मुंबई और दिल्ली में मारे जा रहे हैं और इनमें अनिल अंबानी के व्यावसायिक कार्यों से जुड़े दफ्तर और प्रतिष्ठान शामिल हैं, हालांकि अभी तक उनके निजी आवास की तलाशी नहीं ली गई है.

ghanty

Leave a comment