दुर्गापुर, पश्चिम बंगाल –
दुर्गापुर की सीमेंट फैक्ट्री में ठेका मज़दूरों के अधिकारों की लड़ाई अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। भूख हड़ताल का आज 11वां दिन है और मज़दूरों के बीच आक्रोश चरम पर है।
इस आंदोलन की अगुवाई ध्रुपज्योति मुखर्जी के नेतृत्व में चल रही भूमि रक्षा समिति कर रही है, जो ठेका श्रमिकों के शोषण, अमानवीय वेतन, और काम की असुरक्षा के खिलाफ आवाज़ बुलंद कर रही है।
🛠️ क्या है मज़दूरों की माँग?
- सभी ठेका मज़दूरों को स्थायी किया जाए
- न्यूनतम वेतन के बजाय सम्मानजनक वेतन सुनिश्चित किया जाए
- श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा (ईएसआई, पीएफ) मिले
- काम की शिफ्ट तय हो और छुट्टियों का अधिकार सुनिश्चित किया जाए
🤝 एनएफआईटीयू का साथ
यह भूख हड़ताल नेशनल फ्रंट ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन (NFITU) के आह्वान पर शुरू की गई थी।
एनएफआईटीयू के प्रदेश अध्यक्ष श्री बुम्बा मुखर्जी ने इस आंदोलन को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की है।
आज लगभग 800 ठेका मज़दूर एनएफआईटीयू के साथ जुड़ गए, जिससे आंदोलन को एक नई ताकत मिली है।
🗣️ नेतृत्व की हुंकार
ध्रुपज्योति मुखर्जी का कहना है –
“यह सिर्फ एक भूख हड़ताल नहीं है, यह मज़दूरों की गरिमा की लड़ाई है। जब तक सीमेंट फैक्ट्री का प्रबंधन हमारी वाजिब माँगें नहीं मान लेता, हम पीछे नहीं हटेंगे।”
🚨 मज़दूरों की चेतावनी
“अब की बार आर-पार की लड़ाई होगी!” – यह नारा फैक्ट्री परिसर में गूंज रहा है।
प्रबंधन की चुप्पी को लेकर मज़दूरों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। यदि माँगें जल्द नहीं मानी गईं, तो आंदोलन उग्र रूप ले सकता है, जिसकी जिम्मेदारी फैक्ट्री प्रशासन पर होगी।
📌 महत्वपूर्ण तथ्य:
- भूख हड़ताल आज 11वें दिन पर
- 800+ मज़दूर एनएफआईटीयू के साथ जुड़े
- आंदोलन को क्षेत्रीय संगठनों और समाजसेवियों का भी समर्थन मिलने लगा है
- मजदूरों का कहना है – “शोषण की दीवारें अब गिरेंगी”
📣 निष्कर्ष:
दुर्गापुर सीमेंट फैक्ट्री का यह आंदोलन सिर्फ मज़दूरों का नहीं, बल्कि पूरे देश के असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे लाखों मज़दूरों की आवाज़ है। यह लड़ाई सम्मान, सुरक्षा और न्याय की है। आने वाले दिनों में यह आंदोलन राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बन सकता है।