रूपनारायणपुर की पंचायत सदस्य का नाम दो वोटर लिस्ट में—राजनीति में भूचाल!

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सालानपुर।
सालानपुर प्रखंड की रूपनारायणपुर पंचायत सदस्य और तृणमूल कांग्रेस की स्थानीय नेता शुक्ला दत्ता इन दिनों एक बड़े विवाद के केंद्र में हैं। चुनावी व्यवस्था की पारदर्शिता पर गहरा सवाल उठाते हुए यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि उनका नाम दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों—कटवा और बाराबनी—की वोटर लिस्ट में मौजूद है

दोनों जगहों पर जारी एसआईआर फॉर्म ने इस दोहरी एंट्री की पुष्टि कर दी है। एक जनप्रतिनिधि और सक्रिय राजनीतिक कार्यकर्ता होने के बावजूद ऐसी गलती सामने आना पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।

🔍 क्या यह प्रशासनिक गलती है या व्यक्तिगत लापरवाही?

स्थानीय लोगों के बीच यह सवाल जोर पकड़ चुका है कि एक चुनी हुई पंचायत सदस्य कैसे वर्षों तक वोटर कार्ड की दोहरी लिस्टिंग से अनजान रहीं?
कई लोगों का मानना है कि—

“व्यक्तिगत व्यस्तता को इतनी बड़ी चूक का बहाना नहीं बनाया जा सकता।”
“जब आम नागरिक से छोटी-सी गलती पर दस्तावेज़ खारिज हो जाते हैं, तो नेताओं से ज्यादा जिम्मेदारी की उम्मीद की जाती है।”

⚔️ विपक्ष ने साधा निशाना—‘लोकतंत्र से खिलवाड़’

स्थानीय विपक्ष ने मामले को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है—
“यह सीधी-सीधी गैर-ज़िम्मेदारी और चुनावी प्रणाली के प्रति उदासीनता है। दो वोटर लिस्ट में नाम होना लोकतांत्रिक पवित्रता पर आघात है।”

विपक्ष ने इस मुद्दे पर जिला प्रशासन से तत्काल जांच और कार्रवाई की मांग की है।

🎙️ शुक्ला दत्ता का स्पष्टीकरण—‘शादी के बाद की गलती, मैंने बाराबनी में ही वोट दिया’

विवाद बढ़ने के बाद शुक्ला दत्ता सामने आईं और अपनी बात रखी। उन्होंने बताया—

  • शादी से पहले उनका वोटर कार्ड कटवा में था (पिता का घर)।
  • 2021 में शादी के बाद उन्होंने बाराबनी में नया वोटर कार्ड बनवाया।
  • उनका दावा है कि उन्होंने पुराना कार्ड कैंसिल कराने के लिए बीएलओ को सूचित कर दिया था
  • ससुराल में बीमारी के कारण वे कटवा जाकर स्थिति की पुष्टि नहीं कर सकीं।
  • उन्होंने साफ कहा—
    “मैंने सिर्फ बाराबनी में ही वोट दिया है, एसआईआर भी वहीं जमा किया है।”

उनका आग्रह है कि यह जानबूझकर की गई गलती नहीं, बल्कि प्रक्रियागत भ्रम है।

⚠️ डबल वोटर लिस्टिंग—लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए खतरे की घंटी

डबल लिस्टिंग जैसी त्रुटियाँ—

  • प्रशासनिक प्रक्रिया की कमज़ोरी दर्शाती हैं,
  • वोटिंग की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती हैं,
  • और चुनावी प्रणाली की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाती हैं।

स्थानीय लोग प्रशासन से तत्काल जांच और सुधारात्मक कदमों की मांग कर रहे हैं।

🏛️ प्रशासन पर अब बड़ी जिम्मेदारी

क्षेत्र के लोग अब प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतज़ार कर रहे हैं—
✔ यह डबल एंट्री कैसे हुई?
✔ किन अधिकारियों की लापरवाही है?
✔ क्या अन्य जगहों पर भी ऐसी दोहरी लिस्टिंग मौजूद है?
✔ भविष्य में ऐसी गलती रोकने के लिए क्या बदलाव लाए जाएंगे?

यह मामला न सिर्फ एक पंचायत सदस्य का, बल्कि पूरे चुनावी ढांचे की विश्वसनीयता का परीक्षण बन गया है।

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