शिल्पांचल में कोयला तस्करी का खुलासा, बाराबनी में धंसी अवैध खदान, पुत्र की मौत, पिता लापता

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*कमिश्नरेट पुलिस और सीआईएसएफ की भूमिका पर उठ रहे गंभीर सवाल

आसनसोल : शिल्पांचल में धड़ल्ले से बे-रोक-टोक चल रही कोयला तस्करी का खुलासा शनिवार को हो गया है। बाराबनी की घटना ने यह पर्दाफाश कर दिया है कि कमिश्नरेट पुलिस की नाक के नीचे से खुलेआम तस्कर अवैध कोयला खनन कर रहे हैं। दरअसल, बाराबनी थाना क्षेत्र के चरणपुर ओपन कास्ट प्रोजेक्ट यानी खुली खदान (OCP) में शनिवार तड़के बड़ा हादसा हो गया। यहां अवैध रूप से कोयला काटते समय हुए धंसान में दबकर एक पुत्र की मौत हो गई, जबकि उसका पिता लापता बताया जा रहा है। दावा है कि इस हादसे में करीब आधा दर्जन लोग दब गए हैं, ये सभी बाहरी राज्यों के मजदूर बताए जा रहे हैं। घटना को दबाने की पुरजोर कोशिश जारी है। पुलिस-प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। बाराबनी थाना की पुलिस को घटनास्थल से 18 साल के एक किशोर की लाश बरामद हुई है। शव को जब्त कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। हादसे के बाद से पूरे इलाके में दहशत का माहौल है।

क्या है घटना?

सूत्रों के अनुसार, शनिवार तड़के करीब एक दर्जन लोग बाराबनी के चरणपुर स्थित खुली कोयला खदान में अवैध तरीके से कोयला खनन कर रहे थे। इनमें दो स्थानीय लोग थे, जबकि बाकी अन्य बाहरी मजदूर थे। इसी दौरान अचानक धंसान हुआ। इस दौरान खदान में अवैध तरीके से कोयला काट रहे बाराबनी थानांतर्गत दोमहानी बाजार निवासी सौरभ गोस्वामी (उम्र लगभग 18 वर्ष) और उनके पिता निमई गोस्वामी मलबे में दब गए। घटना की सूचना मिलने पर शनिवार सुबह बाराबनी थाना पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर युवक सौरभ गोस्वामी के शव को खदान से बाहर निकाला और पोस्टमार्टम के लिए आसनसोल जिला अस्पताल भेज दिया। हालांकि, सौरभ के पिता निमाई गोस्वामी का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है और उनकी तलाश जारी है। दावा है कि उनकी भी मौत हो चुकी है। इधर, खबर मिलते ही मृतक के परिजन जिला अस्पताल पहुंचे। दावा है कि हादसे में करीब आधा दर्जन लोग दब गए, इनमें से चार लोग निकटवर्ती झारखंड के बताए जा रहे हैं। बाराबनी थाना पुलिस ने बताया कि इस घटना के कारणों और परिस्थितियों की गहन जांच की जा रही है कि आखिर यह हादसा कैसे हुआ। शुरुआती जानकारी से पता चलता है कि यह हादसा अवैध कोयला खनन के दौरान हुआ।

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चरणपुर में दहशत के साथ शोक पसरा

इस भयावह घटना से चरणपुर में भारी दहशत है। लोग दबी जुबान पर यह चर्चा कर रहे हैं कि शिल्पांचल में बड़े पैमाने पर एक बार फिर से अवैध कोयला खनन शुरू हो गया है। कोयला तस्करी को खाकी-खादी के पूर्ण संरक्षण का भी आरोप लगाया जा रहा है। हाल ही में कालीपहाड़ी में अवैध खदान खोले जाने का विरोध इलाके के लोगों ने किया था। बीते 3-4 दिनों में सीआईएसएफ की ओर से खोट्टाडीह, जामुड़िया के विभिन्न इलाकों से बाइक और साइकिल में लदे अवैध कोयला को जब्त किया गया है।

काला अंधेरा लील रहा जिंदगी

बता दें कि बाराबनी की घटना ने एक बार फिर अवैध खनन के खतरों और सुरक्षा उपायों की कमी पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे आए दिन खदान क्षेत्रों में जान-माल का नुकसान हो रहा है। जिंदगी के बदले काले कोयले का अंधेरा शिल्पांचल में यह दृश्य कोई नया नहीं, फिर भी हर बार दिल दहला देता है। स्थानीय लोगों की आंखों में डर, असुरक्षा और कोयला माफियाओं द्वारा गरीबी का इस्तेमाल दिखाई देता है।

लंबे समय से चल रहा था अवैध खनन

चरनपुर की यह खुली खदान लंबे समय से अवैध रूप से सक्रिय थी। आरोप लग रहे है कि सरकारी प्रतिबंध के बावजूद रात के अंधेरे में कोयले की खुदाई का काम चलता था। सवाल उठ रहे हैं- इतने बड़े क्षेत्र में यह अवैध खनन होता रहा और सीआईएसएफ व पुलिस की नजर में क्यों नहीं आया? जिन पर कोयला संपदा की सुरक्षा की जिम्मेदारी है, उनके सामने ही आम लोग खदान में उतरते हैं — कोई मजबूरी में, कोई लालच में, तो कोई रोटी की तलाश में।

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काली कमाई की उम्मीद बुनती है मौत का जाल

चरनपुर, सालानपुर, रानीगंज, बाराबनी- पूरा कोयला क्षेत्र आज मौत की खदान में तब्दील हो चुका है। हर दिन कोई न कोई उस अंधेरे में उतरता है, जहां न सुरक्षा है, न रोशनी। यहां जिंदगी सस्ती है और कोयला ही मुद्रा बन चुका है। लेकिन क्यों? जवाब साफ है — जहां रोजगार का कोई विकल्प नहीं, छोटे उद्योग बंद हैं, युवाओं के हाथों में काम की जगह बेरोजगारी की पहचान है, वहां कोयले की काली धूल ही उम्मीद है। वही उम्मीद अब मौत का जाल बन गई है।

बड़ा सवाल- आखिर क्यों बंद रहती है पहरेदारों की आंख?

सीआईएसएफ और पुलिस की भूमिका को लेकर क्षेत्र में आक्रोश है। स्थानीय लोग पूछ रहे हैं- “रात में जब ट्रकों से कोयला जाता है, तब पहरेदारों की आंखें बंद क्यों रहती हैं?” कोई कह रहा था — “जो लोग खदान में उतरते हैं, वे अपराधी नहीं, सिर्फ जीने की कोशिश कर रहे हैं।” मृत सौरभ की मां अस्पताल में बस यही कहती रही- “मेरा बेटा चोर नहीं था, वो तो बस थोड़ा रोजगार ढूंढ़ने गया था — क्या वो गलती थी?” इस सवाल का जवाब आज किसी के पास नहीं है।

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