कोयला-बालू तस्करी : ED की रेड में सिंडिकेट के व्यापक पैमाने पर GST चोरी का खुलासा

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👉 अब आयकर विभाग और GST अधिकारियों के सहयोग से होगा भंडाफोड़

कोलकाता/आसनसोल (प्रेम शंकर चौबे) : पश्चिम बंगाल में कोयला और बालू माफियाओं (बड़ी मछलियों) के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ताबड़तोड़ छापेमारी शनिवार की रात को आखिरकार खत्म हो गई। कार्रवाई में कई महत्वपूर्ण खुलासे हुए हैं। कार्रवाई के दौरान मिले दस्तावेजों से यह स्पष्ट हो चुका है कि यह एक संगठित अपराध है, जिसे अत्यंत साफगोई के साथ सफेदपोशों की मदद से अंजाम दिया जा रहा था। कई घोटालों से इसके लिंक जुड़ते जा रहे हैं। रेड के दौरान ईडी के आधिकारिक सूत्रों ने खुलासा किया है कि कोल सिंडिकेट के द्वारा व्यापक पैमाने पर जीएसटी (GST) की चोरी की गई है। इसके लिए दस्तावेजों में हेरफेर और गड़बड़ी की गई। इसके बाद अत्यंत सुव्यवस्थित रूप से अवैध कोयले को वैध बनाकर बाजार में खपा दिया गया। इस तरह से सरकार को राजस्व में करोड़ों का चूना लगाया गया। साथ ही कोल इंडिया के विकास का मार्ग भी अवरूद्ध किया गया। फिलहाल ईडी की टीम ने जीएसटी चोरी का खुलासा करने के लिए विभागीय अधिकारियों के साथ ही आयकर विभाग से भी संपर्क साधा है। पूरे दस्तावेजों की जांच चल रही है।

जीएसटी फाइलिंग में बड़े स्तर पर की गई हेराफेरी

ईडी सूत्रों ने बताया कि जीएसटी फाइलिंग में बड़े स्तर पर हेराफेरी की गई है। अवैध कोयलों का भंडारण करने के बाद उसे किसी अन्य के नाम पर जीएसटी रिटर्न फाइल कर उसके वैध दस्तावेज तैयार किए जाते थे। इसके बाद कोयले को वैध बताकर बड़े बाजारों-प्लांटों में ऊंचे दामों पर बेच दिया जाता था। लेकिन बड़ा सवाल है कि इतने बड़े पैमाने पर स्टॉक किये गये कोयले की मापी की गई तो यह पता नहीं चल सका कि आखिर इन कोयलों को कहां से खऱीदा गया था। किस दर (रेट) में खरीदा गया था और किसने खरीदा था। उदाहरण के तौर पर जामुड़िया के दो डिपो और पुरुलिया के कोक-प्लांटों से ऐसे ही गतिविधियां संचालित होती थी। यहां फर्जी दस्तावेज बनाकर अवैध कोयलों का जीएसटी रिटर्न फाइल कर उसे वैध रूप दिया जा रहा था।

अवैध-वैध का गेमओवर करने के लिए होगा ऑडिट

ईडी के आधिकारिक सूत्रों ने आगे बताया कि इतने बड़े पैमाने पर चल रहे जीएसटी चोरी का खुलासा करने के लिए अब ऑडिट कराने का निर्णय लिया गया है। कोयले की बक्री के दस्तावेज तो उपलब्ध हैं, लेकिन इसकी खरीददारी के दस्तावेज नदारद हैं या फिर फर्जी हैं। इसका पर्दाफाश करने के लिए आयकर विभाग से सहयोग मांगा गया है। जीएसटी के उच्च पदस्थ अधिकारियों को तमाम दस्तावेज मुहैया कराने को कहा गया है। ऑडिट होने के बाद सारी परतें स्वतः खुल जाएंगी। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

‘प्रभावशाली’ के समर्थन से ऑपरेट हो रहा सिंडिकेट

ईडी अधिकारियों ने आशंका जताई है कि जिस तरह से संगठित रूप से सिंडिकेट द्वारा इस अपराध को अंजाम दिया जा रहा था। उससे यह साफ है कि यह काम केवल माफियाओं के बस की बात नहीं है। बड़े स्तर पर प्रभावशालियों द्वारा खुले समर्थन से यह पूरा सिंडिकेट ऑपरेट हो रहा है। इसके तह तक पहुंचने के लिए ही यह सघन छापेमारी जारी है। साथ ही यह पता लगाया जा रहा है कि आखिरकार वे ‘प्रभावशाली’ कौन-कौन हैं?

बंगाल में कहां और किनके यहां हुई छापेमारी

पश्चिम बंगाल में कुल्टी क डीबूडीह चेकपोस्ट, रानीगंज के सदानंद चक्रवर्ती लेन, पांडेश्वरके खोट्टडीह, दुर्गापुर के 9 ठिकानों, पुरुलिया के 2 कोक-प्लांटों, हावड़ा और कोलकाता में स्थित कुल 24 परिसरों पर तलाशी ली गई। इनमें विभिन्न आवासीय परिसर, कार्यालय, अवैध टोल संग्रह बूथ और कोक फैक्ट्रियां शामिल थीं।

🔹नारायण नंदा उर्फ नरेंद्र खड़का

🔹कृष्ण मुरारी कयाल उर्फ बिल्लू

🔹युधिष्ठिर घोष

🔹राज किशोर यादव

🔹लोकेश सिंह

🔹श्याम सुंदर भालोटिया

🔹चिन्मय मंडल

🔹नीरद बरन मंडल

🔹रामधनी जायसवाल

🔹परवेज सिद्दीकी

🔹सुशांत गोस्वामी

🔹शशि यादव

🔹संजय ठठेरा

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