दुर्गापुर से रिपोर्ट:
पश्चिम बंगाल सरकार के महिला एवं बाल विकास तथा समाजकल्याण विभाग के सहयोग से और कोलकाता हाईकोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस कमेटी की देखरेख में बुधवार को दुर्गापुर महकमा शासक भवन में क्लस्टर–V मीट का आयोजन हुआ। पश्चिम बर्दवान, पूर्व बर्दवान, बीरभूम और हुगली ज़िले के संयुक्त प्रयास से हुई इस बैठक को लेकर सुबह से ही प्रशासनिक भवन के अंदर और बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही। भवन के प्रवेश द्वार से लेकर हर कोने तक पुलिस की तैनाती और अतिरिक्त निगरानी की गई।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, बैठक में कोलकाता हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा, न्यायमूर्ति शम्पा राय और एक अन्य न्यायाधीश शामिल हुए। साथ ही चारों जिलों के जिला जज, अतिरिक्त जिला जज और महकमा अदालतों के न्यायाधीशों ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया।
बैठक का मुख्य उद्देश्य चारों ज़िलों में बच्चों के न्याय, अधिकार संरक्षण और कल्याणकारी योजनाओं को लेकर संयुक्त समन्वय स्थापित करना था। इसमें चर्चा हुई कि किस प्रकार प्रशासनिक और न्यायिक एजेंसियों के बीच और बेहतर तालमेल बैठाकर बच्चों की सुरक्षा, पुनर्वास और न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है।
प्रतिभागियों का मानना था कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए इस तरह की समन्वित बैठकें बेहद ज़रूरी हैं। केवल कानूनी पहलू ही नहीं, बल्कि समाज कल्याण योजनाओं पर भी विशेष ध्यान देने की बात बैठक में उठाई गई, ताकि बच्चों पर होने वाले अपराधों और अन्याय को जड़ से रोका जा सके।
बैठक में यह भी जोर दिया गया कि किस तरह चारों जिलों के न्यायाधीश और प्रशासनिक अधिकारी चाइल्ड प्रोटेक्शन कमिटी व संबंधित विभागों के साथ मिलकर त्वरित और प्रभावी कार्रवाई कर सकते हैं।
सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम के चलते बाहरी लोगों की एंट्री लगभग पूरी तरह सीमित रही। दुर्गापुर में हुई इस क्लस्टर-V मीट ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि बच्चों के अधिकार और सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसके लिए न्यायपालिका और प्रशासन दोनों ही एकसाथ खड़े हैं।