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विकास के नाम पर उजाड़े, अब पेट पालने को मोहताज दुकानदार!

एक साल बाद भी नहीं मिला वादा किया गया पुनर्वास, आज भी चांदमारी के अस्थायी दुकानदार जी रहे हैं उम्मीदों के सहारे। PWD विभाग के विकास कार्यों की कीमत चुकानी पड़ रही है रोज़ी-रोटी गंवाकर।

🚧 विकास के नाम पर उजाड़े गए, अब तक ना मिला नया ठिकाना

आसनसोल के रेलपार चांदमारी क्षेत्र के 17 अस्थायी दुकानदार एक साल से अधिक समय से पुनर्वास की प्रतीक्षा में हैं
PWD विभाग ने जब विकास कार्यों के नाम पर इन दुकानों को हटाया था, तब अधिकारियों ने भरोसा दिलाया था कि इन्हें जल्द ही किसी वैकल्पिक स्थान पर पुनर्वासित किया जाएगा।

लेकिन 365 दिन बीतने के बाद भी न कोई दुकान मिली, न कोई सूचना। अब ये दुकानदार दो वक़्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

📢 “हर बार बस आश्वासन मिला, अब पेट भरने की बारी है” — दुकानदार

एक दुकानदार रमेश गुप्ता कहते हैं —

“हमसे कहा गया था कि बस कुछ दिन हट जाओ, विकास कार्य पूरे होते ही जगह दी जाएगी। लेकिन अब एक साल हो गया है, न दुकान मिली, न अधिकारी जवाब दे रहे हैं।”

दूसरे दुकानदारों का भी यही कहना है कि वो कई बार नगर निगम, PWD और प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क कर चुके हैं, लेकिन हर बार टालमटोल किया गया।

💸 रोज़गार गया, घर चलाना मुश्किल – महिलाएं भी हुईं प्रभावित

इन दुकानों में से कई महिलाएं भी थीं, जो सिलाई, चाय या परचून की दुकान चलाती थीं। एक महिला दुकानदार मीना देवी कहती हैं:

“पति मजदूरी करता है, मैं दुकान चलाकर घर संभालती थी। अब तो बच्चों की पढ़ाई भी रुक गई है।”

⚠️ व्यापारी संगठन और स्थानीय लोग उतरे समर्थन में, चेताया प्रशासन को

दक्षिण बंगाल चेंबर ऑफ कॉमर्स, FOSBECCI और स्थानीय समाजसेवियों ने भी दुकानदारों के साथ खड़े होकर प्रशासन से मांग की है कि:

  • तत्काल पुनर्वास प्रक्रिया शुरू की जाए।
  • जिनका रोजगार छिना है, उन्हें आर्थिक सहायता दी जाए।
  • अगर समाधान नहीं निकाला गया, तो वे सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
ghanty

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