नई दिल्ली : मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए बड़ा बयान दिया है. उन्होंने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग और मतदाता सूची को लेकर जो आरोप लगाए हैं, वह निराधार और झूठे हैं. अगर उनके पास अपने दावे का सबूत है, तो उन्हें 7 दिन के भीतर शपथपत्र (हलफनामा) देना होगा, अन्यथा उन्हें पूरे देश से माफी मांगनी होगी.
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, “मतदाता सूची को शुद्ध करना एक साझा ज़िम्मेदारी है, लेकिन बिहार में चूंकि हमारे बूथ लेवल अधिकारियों ने बूथ लेवल एजेंटों और राजनीतिक दलों के साथ मिलकर काम किया.’
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि एक पीपीटी (PPT) दिखाकर, जिसमें चुनाव आयोग के आंकड़े नहीं हैं, गलत तरीके से विश्लेषण करना और यह कहना कि किसी महिला ने दो बार मतदान किया है, एक बेहद गंभीर आरोप है. उन्होंने जोर देकर कहा कि बिना हलफनामे (affidavit) के ऐसे संगीन आरोपों पर चुनाव आयोग कार्रवाई नहीं कर सकता, क्योंकि यह संविधान और चुनाव आयोग, दोनों के विरुद्ध होगा.
तीसरा कोई विकल्प नहीं : आयोग
राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा, ‘मेरे सारे वोटरों को अपराधी बनाना और चुनाव आयोग शांत रहे? ये संभव नहीं है. हलफनामा देना होगा, या देश से माफी मांगनी होगी, तीसरा विकल्प नहीं है. अगर सात दिन में हलफनामा नहीं मिला तो इसका अर्थ ये है कि ये सारे आरोप निराधार हैं. हमारे वोटरों को ये कहना कि वो फर्जी हैं, जो भी यह बात कह रहा है उसे माफी मांगनी चाहिए.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मैं आपको ये भी बताना चाहता हूं ये सवाल जो आया था ट्रस्ट, मैंने आपको पहले भी कहा था कि जहां तक वोटरों की बात है, हिंदुस्तान में 60 फीसदी से अधिक वोटिंग होती है, जिसके लिए दुनिया के बड़-बड़े जनतंत्र सोच नहीं सकते हैं. दुनिया की सबसे बड़ी मतदाता सूची हमारे पास है, लगभग 90-100 करोड़ के बीच. सबसे बड़ी वोटर लिस्ट, सबसे बड़ी चुनाव कर्मियों की फौज, सबसे ज्यादा मतदान करने वाले लोगों की संख्या और इन सबके समक्ष, सारे मीडिया के सामने ये कहना कि अगर मतदाता सूची में आपका नाम एक बार और है तो आपने दो बार मतदान किया होगा और कानूनी अपराध किया होगा.’
किसी ने दर्ज नहीं कराई आपत्ति
मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया, ‘शायद इसीलिए 1 अगस्त के बाद से किसी भी राजनीतिक दल ने एक भी आपत्ति दर्ज नहीं कराई है. इसके दो ही मतलब हो सकते हैं – क्या मसौदा सूची पूरी तरह से सही है? जिसे चुनाव आयोग नहीं मानता, चुनाव आयोग कह रहा है कि इसमें ग़लतियां हो सकती हैं, इसे शुद्ध करते हैं, अभी 15 दिन बाकी हैं, अगर 1 सितंबर के बाद भी उसी तरह के आरोप लगने शुरू हुए, तो कौन ज़िम्मेदार है? हर मान्यता प्राप्त पार्टी के पास अभी 15 दिन बाकी हैं… मैं सभी राजनीतिक दलों से आह्वान करता हूं कि 1 सितंबर से पहले इसमें त्रुटियां बताएं चुनाव आयोग उन्हें सुधारने के लिए तैयार है…”