कोलकाता: ममता बनर्जी की राजनीति का प्रतीक मानी जाने वाली 21 जुलाई की शहीद दिवस रैली को लेकर कोलकाता हाईकोर्ट ने बड़ा बयान दिया है। न्यायमूर्ति तীরथंकर घोष ने TMC को मौखिक रूप से निर्देश दिया है कि अगले साल से यह रैली विक्टोरिया हाउस के सामने न होकर किसी स्टेडियम या खुले मैदान में हो। अदालत का कहना है कि कार्यदिवस पर सड़क जाम और लोगों को असुविधा देना ठीक नहीं।
पृष्ठभूमि:
हर साल 21 जुलाई को तृणमूल कांग्रेस विक्टोरिया हाउस के सामने रैली करती है, जिसमें राज्यभर से हजारों लोग पहुंचते हैं। यह दिन 1993 में ममता बनर्जी के नेतृत्व में युवा कांग्रेस द्वारा किए गए प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में मारे गए 13 लोगों की याद में मनाया जाता है। यह घटना ममता बनर्जी के राजनीतिक करियर का टर्निंग पॉइंट मानी जाती है।
🧑⚖ कोर्ट की सख्त टिप्पणियां:
- “अभी के लिए स्थान नहीं बदलेंगे, लेकिन अगली बार कोई और स्थान चुनिए – जैसे सॉल्टलेक स्टेडियम, ब्रिगेड ग्राउंड या शहीद मीनार।”
- “कितने दिन लोग यूं ही सहते रहेंगे? यदि इतना जरूरी है तो इस दिन को अवकाश घोषित करिए।”
- “क्या आप यह कह सकते हैं कि कोई ट्रैफिक जाम नहीं होगा? पुलिस कमिश्नर को हलफनामा देकर गारंटी देनी होगी।”
⚖ याचिकाकर्ता की दलील:
याचिकाकर्ता के वकील शमीम अहमद ने कहा कि सोमवार को रैली होने से ऑफिस जाने वालों को भारी परेशानी होगी। उन्होंने बताया कि पुलिस ने पहले ही ट्रैफिक कंट्रोल और रूट डायवर्जन के नोटिस जारी कर दिए हैं। “अन्य पार्टियों को भी इसी वजह से वहां सभा की अनुमति नहीं मिलती है।”
🟢 तृणमूल कांग्रेस की सफाई:
TMC के वकील बिस्वरूप भट्टाचार्य ने कहा कि याचिका राजनीतिक उद्देश्य से लाई गई है और यह रैली 13 साल से हो रही है। राज्य सरकार के महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने कहा, “जब प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति आते हैं, तब भी ट्रैफिक कंट्रोल होता है। पूजा के समय भी होता है, तो इसमें क्या गलत है?”
🔚 क्या होगा आगे?
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस बार रैली पर रोक नहीं लगाई जाएगी, लेकिन भविष्य के लिए विस्तृत सुनवाई के बाद निर्णय लिया जाएगा कि क्या विक्टोरिया हाउस के सामने रैली की अनुमति मिलनी चाहिए या नहीं।
कोलकाता पुलिस कमिश्नर को कोर्ट ने निर्देश दिया है कि वे ट्रैफिक न बाधित होने की गारंटी वाला हलफनामा प्रस्तुत करें।