नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा सोमवार को नागरिकता संशोधन कानून देश में लागू करने के बाद इसे लेकर मुस्लिम समाज में फैली अनिश्चितताओं के संबंध में मंगलवार को गृह मंत्रालय की तरफ से एक बयान जारी किया गया है। गृह मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया है कि सीएए से किसी भारतीय की नागरिकता नहीं जाने वाली है। कहा गया कि भारतीय मुसलमानों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि नागरिकता संशोधन अधिनियम उनकी नागरिकता को प्रभावित नहीं करेगा l मुस्लिम समाज भी हिंदू समाज की तर्ज पर ही बराबरी के अधिकारों का हकदार है।
मंत्रालय ने सीएए के संबंध में मुसलमानों और छात्रों के एक वर्ग के डर को दूर करने की कोशिश करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि “इस अधिनियम के बाद किसी भी भारतीय नागरिक को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए कोई दस्तावेज पेश करने के लिए नहीं कहा जाएगा।” गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा है, कि भारतीय मुसलमानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि सीएए में उनकी नागरिकता को प्रभावित करने के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है और देश में रहने वाले वर्तमान 18 करोड़ भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है।
गृह मंत्रालय ने बयान में यह भी कहा है कि इन तीन मुस्लिम देशों में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के कारण दुनिया भर में इस्लाम का नाम बुरी तरह से प्रभावित हो गया है l हालांकि, इस्लाम एक शांतिपूर्ण धर्म है, जो कभी भी धार्मिक आधार पर कोई उत्पीड़न, नफरत या हिंसा का प्रचार नहीं करता है। यह अधिनियम ”उत्पीड़न के नाम पर इस्लाम को कलंकित होने से बचाने वाला है l कानून की आवश्यकता बताते हुए मंत्रालय ने कहा कि भारत का अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ प्रवासियों को इन देशों में वापस भेजने के लिए कोई समझौता नहीं है।
मुसलमानों की चिंता अनुचित है।
गृह मंत्रालय की तरफ से कहा गया, “यह नागरिकता अधिनियम अवैध अप्रवासियों के निर्वासन से संबंधित नहीं है और इसलिए मुसलमानों और छात्रों सहित लोगों के एक वर्ग की चिंता कि सीएए मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ है, वह अनुचित है l मंत्रालय ने कहा कि नागरिकता अधिनियम की धारा 6 के तहत दुनिया में कहीं से भी मुसलमानों को भारतीय नागरिकता लेने पर कोई रोक नहीं है, जो प्राकृतिक रूप से नागरिकता से संबंधित है।
मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय नागरिक बनने की इच्छा रखने वाले किसी भी विदेशी मुस्लिम प्रवासी सहित कोई भी व्यक्ति मौजूदा कानूनों के तहत इसके लिए आवेदन कर सकता है. “यह अधिनियम उन तीन इस्लामिक देशों में इस्लाम के अपने संस्करण का पालन करने के कारण सताए गए किसी भी मुस्लिम को मौजूदा कानूनों के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से नहीं रोकता है।”