👉 सुसाइड नोट में चुनाव आयोग और प्रशासनिक दबाव को बताया जिम्मेदार
कोलकाता : पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में एक बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) की आत्महत्या का मामला सामने आया है. मृतक की पहचान रिंकू तरफदार (54) के रूप में हुई है, जो कृष्णानगर के शष्टीतला इलाके की रहने वाली थी. वह चापरा थाना क्षेत्र के बंगालझी इलाके में बूथ नंबर 202 के बीएलओ के रूप में तैनात थी. उसने कल रात घर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. आज सुबह शव बरामद किया गया.
परिवार के मुताबिक, रिंकू तरफदार ने आत्महत्या से पहले एक सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें उसने कथित तौर पर चुनाव आयोग और प्रशासनिक दबाव को अपनी मौत के लिए जिम्मेदार बताया है. परिजनों का दावा है कि रिंकू पेशे से पराशिक्षक (Para-Teacher) थी, इसके बावजूद उसे किसी तरह की रियायत नहीं दी गई और बीएलओ के भारी-भरकम काम का दबाव उस पर डाल दिया गया.
सुसाइड नोट में कथित रूप से लिखा है कि उसने अपना 90 प्रतिशत काम पूरा कर लिया था, लेकिन ऑनलाइन प्रक्रिया को पूरा न कर पाने की वजह से वह भारी तनाव में थी. परिवार ने आरोप लगाया कि रिंकू ऑनलाइन काम में बहुत दक्ष नहीं थी.
नोट में रिंकू ने लिखा, ‘मैं यह दबाव नहीं झेल पा रही हूं. मैं स्ट्रोक नहीं चाहती.’ परिजनों के अनुसार, वह रात 11 बजे तक सामान्य थी, लेकिन सुबह वह काम कर रही थी और संभवतः दबाव की वजह से टूट गई.
परिजनों ने कहा, ‘एक साधारण गृहणी और पराशिक्षक पर इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी डालना कहां तक सही है? उच्च अधिकारी क्यों समझ नहीं पाते कि कौन व्यक्ति कितना काम संभाल सकता है?’ परिवार ने पूरी घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है. स्थानीय पुलिस मामले की जांच में जुटी है.
बंगाल सरकार देगी मुआवजा, CM ममता ने EC को लिखा पत्र
इस बीच ममता बनर्जी की सरकार ने ऐलान किया है कि पश्चिम बंगाल सरकार मृत BLO के परिवार को 2-2 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर देगी और जो BLO काम के दौरान बीमार पड़ जाते हैं, उन्हें 1 लाख रुपये दिए जाएंगे. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर एसआईआर की प्रक्रिया स्थगित करने की मांग की है. ममता बनर्जी का आरोप है कि तीन साल की प्रक्रिया तीन महीने में पूरा करने के लिए चुनाव आयोग का दबाव बना रहा है. इस वजह से बीएलओ आत्महत्या कर रहे हैं. ममता बनर्जी ने इससे पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दावा किया था कि बंगाल में बीएलओ सहित 28 लोगों ने दबाव की वजह से अपनी जान दे दी है. क्या चुनाव आयोग इन बार-बार होने वाली मौतों की जिम्मेदारी लेगा?
BLOs की मौत से सियासी उबाल, क्या SIR ने बढ़ा दिया काम का बोझ?
बिहार के बाद देश के नौ राज्यों और तीन केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया चल रही है. SIR की प्रक्रिया में सबसे अहम जिम्मेदारी बीएलओ (ब्लॉक लेवल ऑफिसर) को दी गई है. वह घर-घर जाकर गणना प्रपत्र वितरित कर रहा है और फिर से उसे संग्रहित कर रहा है, लेकिन मतदाता सूची के शुद्धिकरण की प्रक्रिया में सबसे चिंता का विषय यह उभर कर आया है कि बीएलओ की लगातार मौत की घटनाएं सामने आ रही हैं.
बीएलओ के परिवार के सदस्य शिकायत कर रहे हैं कि काम के अत्यधिक दवाब है और निर्धारित समय के अंदर काम पूरा करने का बहुत ही प्रेशर है. इस वजह से बीएलओ अपनी जान दे रहे हैं. बीएलओ की मौत को लेकर विपक्षी पार्टियां सरकार और चुनाव आयोग पर हमलावर है. देश के विभिन्न हिस्सों में हो रही बीएलओ की मौत को लेकर चुनाव अधिकारी ने संबंध राज्यों से रिपोर्ट तलब की है.
MP, गुजरात, राजस्थान और केरल में भी मौत
बीते कुछ दिनों में कई राज्यों से बीएलओ की मौत और आत्महत्या के मामले सामने आए हैं. पश्चिम बंगाल के अलावा गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल और तमिलनाडु में भी बीएलओ की मौत हुई है. अब तक 9 बीएलओ काम के दबाव के चलते अपनी जान गंवा चुके हैं. मध्य प्रदेश के दतिया में बीएलओ उदयभान और झाबुआ में बीएलओ भुवन सिंह चौहान ने जान दे दी हैं. इसी तरह से गुजरात के गिर सोमनाथ में 40 वर्षीय बीएलओ अरविंद मुगरी बढेर और खेड़ा में 50 वर्षीय रमेश भाई परमार ने जान दे दी है. राजस्थान के सवाई माधोपुर में बीएलए हरिओम बैरवा और जयपुर में मुकेश जांगिड की मौत हुई है. केरल के कन्नूर में अनीज जॉर्ज ने जान दे दी है.
EC ने बंगाल के 7 BLO को भेजा शोकॉज नोटिस
चुनाव आयोग ने कोलकाता के बेलियाघाटा निर्वाचन क्षेत्र के सात बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) को विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के गणना प्रपत्र के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया में खामियों का हवाला देते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया है. बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी के कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि नोटिस एकत्रित गणना प्रपत्रों के अनुचित व अपूर्ण डिजिटलीकरण को लेकर है। बीएलओ को बताने का निर्देश दिया गया है कि वे सौंपे गए कार्यों को ठीक से पूरा करने में क्यों विफल रहे। यदि स्पष्टीकरण असंतोषजनक पाया गया तो अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है।












