कोलकाता : आगामी चुनावों से पहले पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची प्रक्रिया की तैयारी जोरों पर है। राज्य चुनाव आयोग ने लगभग 3.5 करोड़ मतदाताओं का रिकॉर्ड वर्ष 2002 के डेटा से सफलतापूर्वक मिलान कर लिया है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची को और अधिक सटीक, पारदर्शी और त्रुटि-रहित बनाना है।
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल ने जानकारी दी कि डेटा मैपिंग का काम अब अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा इस मैपिंग प्रक्रिया से उन मतदाताओं को दोबारा दस्तावेज जमा करने या पुनः सत्यापन कराने की आवश्यकता नहीं होगी, जिनका डेटा पहले से मेल खा गया है। यह कदम मतदाता सूची को सुव्यवस्थित और अद्यतन बनाएगा।
अग्रवाल के अनुसार, दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी को छोड़कर लगभग सभी जिलों में यह कार्य लगभग पूरा हो गया है। इन दो जिलों में हाल की प्राकृतिक आपदाओं के कारण कार्य में थोड़ी देरी हुई है। बाकी जिलों का सत्यापित डेटा गुरुवार रात तक पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाएगा।
अब तक सात जिलों में मैपिंग पूरी तरह संपन्न हो चुकी है। प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक अलीपुरद्वार में 53 प्रतिशत, कालिम्पोंग में 65 प्रतिशत, मालदा में 54 प्रतिशत, उत्तर कोलकाता में 55 प्रतिशत, पश्चिम मेदिनीपुर में 62 प्रतिशत, झाड़ग्राम में 51 प्रतिशत, पुरुलिया में 61 प्रतिशत डेटा सफलतापूर्वक मैच किया गया है।
अधिकारियों का कहना है कि यह पहल न केवल चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएगी, बल्कि मतदाता पहचान से जुड़ी त्रुटियों को भी खत्म करने में मदद करेगी। आयोग का लक्ष्य है कि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों से पहले राज्य की मतदाता सूची को पूरी तरह डिजिटल और अद्यतन स्वरूप में तैयार किया जाए।