बालू तस्करी: ईडी की कार्रवाई में ₹1 करोड़ से ज्यादा बरामद, रडार पर कई सफेदपोश

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कोलकाता : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पश्चिम बंगाल में कथित बालू तस्करी के खिलाफ सोमवार को कम से कम 22 जगहों पर दिन-रात की तलाशी अभियान के दौरान एक करोड़ रुपये से ज़्यादा नकद और बड़ी संख्या में आपत्तिजनक दस्तावेज़, मोबाइल फ़ोन और डिजिटल उपकरण ज़ब्त किए हैं। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि ईडी के अधिकारियों ने कल सुबह 6 बजे से 15 घंटे से ज़्यादा समय तक चले तलाशी अभियान के दौरान व्यवसायी सौरव रॉय के पश्चिम मेदिनीपुर के जमुनाबली स्थित घर से 65 लाख रुपये से ज़्यादा नकद बरामद किए। सूत्रों ने बताया कि रॉय झाड़ग्राम में कई रेत खदानों के मालिक हैं और लालगढ़ में एक बड़े बंगले और एक कार्यालय से अपना कारोबार चलाते हैं। वह अपने परिवार के साथ जमुनाबली में रहते हैं। छापेमारी के दौरान रॉय अपने घर पर मौजूद नहीं थे।

रॉय के जीडी माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड से व्यावसायिक संबंध हैं, जिसके पास कई रेत खदानें हैं और वह कथित तौर पर राज्य भर में नदी तल से रेत के अवैध खनन में शामिल है।

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ईडी ने कल की छापेमारी के दौरान झाड़ग्राम के गोपीबल्लभपुर थाने के नयाबासन गांव निवासी शेख ज़हीरुल अली के घर से 25 लाख रुपये नकद भी ज़ब्त किए। ज़हीरुल, जिनकी संपत्ति पिछले एक दशक में काफ़ी बढ़ी है, ने सुवर्णरेखा नदी के किनारे एक तीन मंज़िला आलीशान इमारत बनवाई है। सूत्रों के अनुसार, उनका जीडी माइनिंग से सीधा संबंध है।

एक छोटी सी साइकिल मरम्मत की दुकान से शुरुआत करने वाले ज़हीरुल रेत खनन के कारोबार में कदम रखने के कुछ ही सालों में करोड़पति बन गए। एजेंसी के सूत्रों का दावा है कि उनके पास से 12 लाख रुपये और भी बरामद किए गए।

इन 5 जिलों में हुई छापेमारी- कोलकाता, नदिया, झाड़ग्राम, पश्चिम मेदिनीपुर और उत्तर 24 परगना

कहां-कहां डाली गई रेड- पाँच जिलों के 22 ठिकानों पर मैराथन तलाशी अभियान के दौरान किसी को गिरफ्तार नहीं किया। बेहला के जेम्स लॉन्ग सारणी, रीजेंट कॉलोनी, सॉल्टलेक के सेक्टर V, गरियाहाट, श्यामबाजार और टॉलीगंज में रेड पड़ी। प्रमुखतः निजी कंपनी जी डी माइनिंग के मुख्यालय, कंपनी के मालिक व सैंड किंग अरुण सराफ की संपत्तियों और कार्यालय के साथ-साथ कल्याणी, नदिया में कंपनी के कार्यकारी धीमान चक्रवर्ती के आवास और दक्षिण कोलकाता के रीजेंट पार्क में एक सरकारी बीमा कंपनी के एजेंट के घर और कार्यालय की भी तलाशी ली।

क्या कहना है ईडी अधिकारियों का- ईडी पिछले तीन महीनों से कथित रेत तस्करी में धन के लेन-देन की जांच कर रही है और उसे हवाला के जरिए धन के लेन-देन और बेनामी खातों में निवेश के बारे में कई नई जानकारियां मिली हैं। ये छापे कथित अवैध रेत व्यापार से उत्पन्न अवैध धन के प्रवाह की लंबे समय से चल रही जाँच का परिणाम थे। फिलहाल किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है। कई अहम सफेदपोश और व्यपारियों व सिंडिकेट मेंबरों के नाम मिले हैं, जिनमें कई दूसरे राज्यों जैसे झारखंड, बिहार और UP के भी हैं। सभी बरामद दस्तावेजों को खंगाला जा रहा है।

ईडी के शिकंजे में सैंड सिंडिकेट का MASTER KEY अली

साइकिल रिपेयरमैन से बड़ा बिजनेसमैन… कहानी पूरी तरह फिल्मी। अब आगे हश्र विलेन जैसा होगा क्या? झाड़ग्राम में मंगलवार को दिबनु भर यही चर्चा गर्म रही। यह कहानी है शेख जहीरुल अली की, जो अब ईडी की रडार पर है और भला हो भी क्यों न… कहा जाता है कि अली बंगाल सैंड सिंडिकेट का MASTER KEY है। सिंडिकेट के सदस्यों का पूरा लेखा-जोखा अली की किताब में मौजूद है, जो अब ईडी के हाथ लग चुकी है। सिंडिकेट के सदस्य को कहां-कितना पैसा पहुंचना है, यह जिम्मेदारी अली के ही पास थी। अली का प्रभाव अपने गांव से बाहर निकलकर पांच गांवों के लोगों तक पहुंच चुका है। बिना किसी पद के भी, वह आसानी से पदाधिकारियों को बैठा सकता था। झोपड़ी से तीन मंजिला आलीशान घर उसकी कारगुजारी बयां करती है।

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जहीरुल तीन भाई हैं। बड़े भाई की केंद्रीय सेना में सेवा करते हुए मृत्यु हो गई। उसके छोटे भाई को नौकरी मिली। जहीरुल टिन शेड वाली एक छोटी सी साइकिल की दुकान में पार्ट्स रिपेयरिंग का काम करता था। इसके बाद उसे विलेज पुलिस की नौकरी मिल गई। इसी दौरान वह बालू सिंडिकेट के संपर्क में आया तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। जहीरुल ने विलेज पुलिस की नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह से रेत के धंधे में लग गया। यह 2014 की बात है। उसकी किस्मत तुरंत बदल गई। वह सत्ताधारी पार्टी का करीबी बन गया। थानों में पुलिस से भी उसकी खुलकर बातचीत होने लगी। उसने कोलकाता की एक रेत खनन कंपनी (जीडी माइंस) के साथ रेत खदानों में शेयर खरीदकर व्यापार भी शुरू कर दिया। इसके बाद उसकी आर्थिक स्थिति सुधरने लगी। स्थानीय लोगों का दावा है कि वह शाम के बाद काम के लिए घर से निकल जाता था। दिन में सोता और रात में व्यापार करता। कुछ ही सालों में उसकी झोपड़ी एक चमचमाते तीन मंजिला घर में बदल गई। माना जाता है कि जहीरुल के अवैध धंधे में कई और लोग भी शामिल हैं। पुलिस हलकों में उसकी इतनी अच्छी पकड़ थी कि एक खास सूत्र से पता चला है कि जहीरुल ने एक थाने के ओसी के लिए कार खरीदने की भी पेशकश की थी।

ज्ञात है कि गोपीबल्लभपुर-1 और गोपीबल्लभपुर के दो ब्लॉकों में स्वर्णरेखा नदी के किनारे चार वैध खदानें हैं। कथित तौर पर, रेत खनन के लिए वैध स्थान के बजाय, रात के अंधेरे में अन्य इलाकों से रेत का खनन किया जाता था और कारों पर नकली CO और नकली नंबर प्लेट लगाकर रेत की तस्करी की जाती थी। सभी रेत खदानों पर उसका बहुत प्रभाव है। जहीरुल राजनीतिक नेताओं का भी काफी करीबी है। स्थानीय लोगों का दावा है कि वह किसी भी समस्या का ‘पैसे से’ तुरंत समाधान कर देता था।

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