बंगाल में SIR की सुगबुगाहट, चांदी काट रहे बिचौलिये, गरमाई राजनीति

single balaji

कोलकाता : बिहार के बाद अब पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का डर है। राज्य के दो सीमावर्ती जिले मालदा और मुर्शिदाबाद में अल्पसंख्यक समुदाय के लोग बड़ी संख्या में नगरपालिकाओं, ग्राम पंचायतों और स्थानीय अदालतों में जन्मस्थान और जन्मतिथि से जुड़े दस्तावेज लेने के लिए उमड़ रहे हैं। इसकी वजह विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत मतदाता सूची अपडेट किए जाने का डर है।

मालदा में बिचौलिये लोगों से 1,900 रुपये तक वसूल कर शपथपत्र बनवाने और उसे ऑनलाइन जमा कराने में मदद कर रहे हैं। एक स्थानीय वकील ने बताया कि बिचौलिये एक बार में 50–80 लोगों को अदालत ले जाते हैं। वहीं, साइबर कैफे भी जन्म प्रमाणपत्र की कॉपी बनवाने के लिए लोगों की भीड़ से अच्छा खासा पैसा कमा रहे हैं। वकील के अनुसार, ‘पिछले 15–20 दिनों में यह रुझान तेजी से बढ़ा है और ज्यादातर लोग अल्पसंख्यक समुदाय से हैं।’

इंग्लिश बाजार नगरपालिका के चेयरमैन और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पार्षद शुभमय बसु ने बताया कि पिछले दो हफ्तों में जन्म प्रमाणपत्र के लिए दबाव अचानक बढ़ा है, जिससे कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि लोग लगातार आ रहे हैं। लंबी कतारें लग रही हैं, जिन्हें संभालने के लिए अतिरिक्त स्टाफ लगाया है और एक विशेष प्रकोष्ठ बनाया है। कोशिश है कि किसी का काम अधूरा न रहे।

बता दें कि बंगाल के सीमावर्ती मुस्लिम बहुल जिलों मुर्शिदाबाद, मालदा, उत्तर व दक्षिण दिनाजपुर में एसआइआर से पहले जन्म प्रमाण पत्र के लिए लोगों में होड़ लगी है।

नगर पालिकाओं, ग्राम पंचायतों और अदालतों में लोग 10 रुपये प्रति स्टांप पेपर की सामान्य कीमत से दोगुना भुगतान करके जन्म प्रमाण पत्र को सही कराने, डिजिटल कराने या नए जारी कराने के लिए सुबह से ही कतार में खड़े दिख रहे हैं।

मुर्शिदाबाद जिले की बरहमपुर नगर पालिका में फार्म संग्रह, सुधार, विलंबित नए जन्म प्रमाण पत्र और डिजिटलीकरण के लिए अलग-अलग अस्थायी कियोस्क हैं। बरहमपुर नगर पालिका के चेयरमैन नारुगोपाल मुखर्जी कहते हैं कि जन्म प्रमाण पत्रों के डिजिटलीकरण या सुधार के लिए रोजाना 10-12 आवेदन मिलते थे। अब यह संख्या 500-600 हो गई है।

बिचौलिए डिजिटलीकरण और छोटे-मोटे सुधारों के लिए लोगों से 1,000 से 2,000 रुपये और किसी बड़े बदलाव के लिए 4,000 से 5,000 रुपये तक वसूल रहे हैं।

मुर्शिदाबाद के लालगोला से टीएमसी विधायक मोहम्मद अली कहते हैं कि कोई भी राजनीतिक दल एसआईआर के खिलाफ नहीं है। बरहमपुर से पूर्व लोकसभा सांसद व वरिष्ठ कांग्रेस नेता अधीर चौधरी का कहना है कि राज्य सरकार जागरुकता अभियानों के जरिए दहशत को रोक सकती है, लेकिन वह जानबूझकर ऐसा नहीं कर रही है। इससे टीएमसी को फायदा हो रहा है। माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि बिहार में एसआईआर के लिए जिस तरह के दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, उसके कारण ही यहां लोगों में दहशत है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य शमिक भट्टाचार्य ने अफरा-तफरी के माहौल के लिए टीएमसी को दोषी ठहराया है।

ghanty

Leave a comment