असानसोल, पश्चिम बर्दवान |
आज ज्येष्ठ अमावस्या के पावन दिन पर देशभर की तरह पश्चिम बर्दवान जिले के असानसोल में भी परंपरागत बट सावित्री व्रत पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। सुबह 8 बजे असानसोल के कई घरों और मोहल्लों में यह पावन अनुष्ठान होता देखा गया, जहाँ विवाहित महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु, सुख-शांति और समृद्धि की कामना के लिए व्रत रखा।
🌳 सावित्री-सत्यवान की अमर प्रेमगाथा की याद में
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार, सावित्री ने अपने तप, भक्ति और प्रेम से यमराज से अपने पति सत्यवान को पुनर्जीवन दिलाया था — और यह चमत्कार एक बटवृक्ष के नीचे घटित हुआ था। तभी से विवाहित महिलाएं इस दिन बटवृक्ष की पूजा करती हैं और अपने पति की कुशलता के लिए व्रत रखती हैं।
🪔 घरों में भी हुआ व्रत, बटवृक्ष के पूजन का दृश्य बना मनमोहक
असानसोल में कई महिलाओं ने अपने आंगन और मुहल्ले में स्थित बटवृक्ष के नीचे हल्दी, कुमकुम, अक्षत, धूप, दीप और मिष्ठान्न से पूजा की। कई जगहों पर महिलाओं ने पारंपरिक पोशाक में वटवृक्ष की परिक्रमा की और सावित्री व्रतकथा सुनी।
💬 स्थानीय महिला की भावनात्मक बात
श्रीमती किरण शर्मा, एक स्थानीय महिला, ने बताया:
“हम हर साल इस दिन को बड़े श्रद्धा और प्रेम से मनाते हैं। सावित्री की तरह हम भी अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करते हैं।”
🔔 ये भी देखा गया
- कई जगह सांझ को दीपदान और कथा पाठ भी हुआ
- व्रती महिलाएं दिनभर निर्जल व्रत रखती हैं और पूजा के बाद ही जल ग्रहण करती हैं
- बुजुर्ग महिलाओं ने नई पीढ़ी को बट सावित्री की महिमा समझाई
“पति के जीवन की रक्षा में सावित्री सी आस्था, बटवृक्ष बना साक्षी”