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बराकर-डिसरगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग बना मौत का रास्ता, जनता का फूटा गुस्सा!

बराकर से रिपोर्ट: संजीब कुमार यादव ||

एक तरफ सरकार “स्मार्ट इंडिया” और “विकास के राजमार्ग” की बात करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। बराकर से लेकर डिसरगढ़ तक का राष्ट्रीय राजमार्ग, जो आसनसोल को पुरुलिया, रांची और टाटा जमशेदपुर से जोड़ता है, आज बदहाली का ऐसा उदाहरण बन चुका है कि उस पर चलना मानो जान जोखिम में डालने जैसा हो गया है।

🚨 टूटी सड़कें, खतरनाक गड्ढे और बिखरी गिट्टियाँ

नियामतपुर से डिसरगढ़ तक सड़क जगह-जगह टूटी पड़ी है। कई जगहों पर बने गहरे गड्ढे बारिश में पानी से भरकर नजर ही नहीं आते, जिससे राहगीरों के लिए जानलेवा स्थिति बन चुकी है।
सड़क पर बिछाई गई गिट्टियाँ इधर-उधर बिखरी हुई हैं, जिन पर बाइक और साइकिल सवार हर रोज दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं।

🚗 जाम और लेटलतीफी बना रोज़ का हाल

टूटी सड़कों और गड्ढों के कारण पूरे दिन जाम की स्थिति बनी रहती है। लोग ऑफिस, व्यापार या स्कूल समय पर नहीं पहुंच पा रहे हैं।
स्कूली बच्चे तक समय से स्कूल नहीं पहुंच पा रहे, जिससे अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है।

📢 जनता का आरोप: “नेताओं के आने से पहले ही सुधरती है सड़क!”

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मार्ग की मरम्मत तभी होती है जब चुनाव आते हैं या कोई मंत्री इस रास्ते से गुजरता है। तब थोड़ी-बहुत मरम्मत कर गड्ढों को मिट्टी-पत्थर से भर दिया जाता है, लेकिन कुछ ही हफ्तों में सड़क फिर से पहले जैसी हो जाती है।

💬 स्थानीय आवाज़ें कहती हैं:

“हर दिन हम जान हथेली पर रखकर इस सड़क पर चलते हैं। दुर्घटना आम बात हो गई है।”

“जब तक किसी वीआईपी का दौरा नहीं होता, इस सड़क की मरम्मत तक नहीं होती।”

🔧 क्या चाहिए?

  • सड़कों की स्थायी मरम्मत
  • गुणवत्ता आधारित निर्माण कार्य
  • नियमित निरीक्षण और निगरानी
  • मॉनसून से पहले विशेष सड़क सुरक्षा अभियान

📸 ग्राउंड रियलिटी को दिखाए मीडिया, सरकार ले संज्ञान

स्थानीय जनता और सामाजिक संगठनों ने मीडिया और प्रशासन से अपील की है कि इस गंभीर समस्या पर तत्काल एक्शन लिया जाए, नहीं तो वे आंदोलन की राह पर उतरने को मजबूर होंगे।

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