[metaslider id="6053"]

बराकर बसस्टैंड बना बदहाली का प्रतीक, बस ड्राइवरों को नहीं मिल रहा पीने का पानी!

“बस धोना तो दूर, पीने को भी नहीं मिल रहा पानी” – बस ड्राइवर की गुहार

बराकर, संजीब कुमार यादव: एक ओर जहां राज्य सरकार ‘विकास’ के बड़े-बड़े दावे करती है, वहीं दूसरी ओर बराकर बसस्टैंड जैसी अहम सार्वजनिक सुविधाएं बदहाली की मार झेल रही हैं। यहां कार्यरत दर्जनों बस ड्राइवर और खलासी अब बुनियादी ज़रूरत – पानी – के लिए जूझ रहे हैं। न तो बस की सफाई के लिए जल उपलब्ध है, न ही खुद के स्नान या पीने के लिए।

स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, बस स्टैंड पर पहले वाटर सप्लाई की व्यवस्था थी, जो अब पूरी तरह बंद हो चुकी है। बस स्टाफ को अब यात्रियों के लिए बनाए गए दुदानी परिवार द्वारा स्थापित पेयजल टंकी से बमुश्किल थोड़ा पानी मिल पाता है। इसका सीधा असर यात्रियों पर भी पड़ रहा है – जब बस कर्मी पानी लेते हैं, तब यात्रियों को पीने को पानी नहीं मिलता।

“पानी नहीं, न ठहरने की जगह – हम इंसान हैं या मजबूर मजदूर?”

बस स्टाफ की पीड़ा सिर्फ पानी तक सीमित नहीं है। बरसात के दिनों में यात्री और स्टाफ दोनों बारिश में भीगते खड़े रहते हैं, क्योंकि बस स्टैंड में शेड या यात्री निवास की कोई स्थाई व्यवस्था नहीं है। देर रात आने वाली बसों के इंतज़ार में महिलाएं और बुज़ुर्ग सबसे ज़्यादा परेशान होते हैं।

राजनीतिक घोषणाएं, लेकिन जमीन पर शून्य विकास

पूर्व मेयर जितेंद्र तिवारी के कार्यकाल में बराकर बस स्टैंड को आधुनिक रूप देने की घोषणा हुई थी। उस समय पूरे इलाके में उम्मीद की लहर थी। लेकिन उनके पद से हटते ही सारी योजनाएं कागज़ों में दफन हो गईं। आसनसोल नगर निगम ने इस मुद्दे पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

बस स्टाफ की मांगें:

  1. बस स्टैंड पर स्थायी पेयजल आपूर्ति की बहाली हो।
  2. बस सफाई और स्नान के लिए अलग टंकी या पानी टैंकर की व्यवस्था की जाए।
  3. यात्रियों के लिए प्रतीक्षालय और छत बनवाई जाए।
  4. पूरे बस स्टैंड का पुनर्निर्माण और सौंदर्यकरण किया जाए।

यूनियनों और सामाजिक संगठनों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में

सबसे हैरानी की बात ये है कि इस गंभीर समस्या पर कोई भी यूनियन या सामाजिक संगठन आगे नहीं आया है। बस स्टाफ की पीड़ा को आवाज़ देने वाला कोई नहीं है। अब सवाल उठता है – क्या ये कर्मचारी केवल सेवा देने के लिए हैं, उनकी कोई गरिमा नहीं?

🛑 जनता और प्रशासन से अपील:

बराकर बस स्टाफ राज्य परिवहन व्यवस्था की रीढ़ हैं। उन्हें पानी, सफाई और ठहरने की मूलभूत सुविधाएं देना केवल संवेदनशीलता नहीं, एक नैतिक जिम्मेदारी है। प्रशासन को चाहिए कि वह तुरंत इस विषय पर एक्शन ले।

ghanty

Leave a comment