बराकर, 31 अक्टूबर: बराकर आदर्श फ्री प्राइमरी स्कूल की जर्जर अवस्था की खबर सामने आने के बाद आसनसोल के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के सचिव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल संज्ञान लिया है।
आसनसोल नगर निगम के वार्ड नंबर 68, कचहरी रोड स्थित यह स्कूल लगभग 60 वर्ष पुराना बताया जा रहा है, जिसकी इमारत का छज्जा पूरी तरह जर्जर हो चुका है।
⚠️ हादसे की आशंका, टला बड़ा संकट:
सूत्रों के अनुसार, छज्जे पर लगी लोहे की बीम पूरी तरह जंग खा चुकी थी, जो अलग होकर लटक रही थी। यह किसी बड़े हादसे की चेतावनी दे रही थी।
स्थानीय लोगों ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व विजयदशमी के दिन यही छज्जा अचानक गिर गया था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और 4–5 लोग घायल हुए थे।
इस घटना की याद आज भी बराकर के लोगों के दिलों में डर पैदा कर देती है।
🏫 प्रधानाध्यापक और पार्षद की तत्परता से टला हादसा:
स्कूल के प्रधानाध्यापक रंजीत पासवान ने बताया कि “29 अक्टूबर को छुट्टियों के बाद स्कूल खुलने पर यह जर्जर हिस्सा देखा गया। हमने तुरंत स्थानीय पार्षद राधा सिंह और शिक्षा विभाग के कुल्टी चक्र के सीआई सुदीप ससमल को सूचित किया।”
प्रधानाध्यापक और पार्षद की त्वरित कार्रवाई के बाद खतरनाक बीम को काटकर अलग किया गया, और रस्सों से बांधकर अस्थायी सुरक्षा इंतज़ाम किया गया।
उन्होंने बताया कि मरम्मत के लिए विभाग को औपचारिक पत्र भेज दिया गया है और जल्द ही मरम्मती कार्य शुरू होगा।
🧱 सांसद के सचिव की पहल और निरीक्षण:
वार्ड 68 के पार्षद प्रतिनिधि अभिषेक सिंह ने बताया कि आसनसोल के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के सचिव ने खबर प्रकाशित होते ही मामले की पूरी जानकारी ली और मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायज़ा लिया।
उन्होंने कहा—
“हमने स्कूल परिसर का मुआयना किया है। फिलहाल खतरनाक हिस्से को रस्सी से बांधकर सुरक्षा घेरा बना दिया गया है ताकि कोई दुर्घटना न हो। जैसे ही सांसद कार्यालय से निर्देश मिलेगा, मरम्मती कार्य तुरंत शुरू किया जाएगा।”
🧒 छात्रों की सुरक्षा पर उठे सवाल:
स्थानीय नागरिकों और अभिभावकों ने प्रशासन से सवाल उठाया कि इतने पुराने स्कूल की स्थिति पर नियमित निरीक्षण क्यों नहीं किया जाता।
कई अभिभावकों ने कहा कि “बच्चों की जान से बड़ा कुछ नहीं, विभाग को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए ताकि किसी प्रकार की अनहोनी न हो।”
🔚 निष्कर्ष:
बराकर आदर्श फ्री प्राइमरी स्कूल का मामला अब सांसद कार्यालय के ध्यान में आ चुका है और उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही स्कूल की मरम्मत और पुनर्निर्माण का कार्य शुरू होगा।
फिलहाल, स्थानीय प्रशासन और शिक्षाविभाग की तत्परता से एक बड़ा हादसा टल गया, लेकिन यह सवाल जरूर बाकी है —
“क्या बराकर जैसे पुराने स्कूलों की स्थिति पर समय रहते ध्यान दिया जाएगा?”

















