बांग्लादेश : चार बार PM रहीं शेख हसीना को मृत्युदंड, यूनुस की भारत से मांग- ‘हसीना को सौंपें’

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👉 कोर्ट ने 12 हत्याओं का दोषी माना, फांसी की सजा सुनाई, पूर्व गृह मंत्री को भी सजा

ढाका : बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सोमवार को मौत की सजा सुनाई गई। उन्हें ढाका की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने 5 में से दो मामले (हत्या के लिए उकसाने और हत्या का आदेश देने के लिए) मौत की सजा दी। वहीं, बाकी मामलों में उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना को जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान हुई हत्याओं का मास्टरमाइंड बताया। वहीं दूसरे आरोपी पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान को भी 12 लोगों की हत्या का दोषी माना और फांसी की सजा सुनाई। सजा का ऐलान होते ही कोर्ट रूम में मौजूद लोगों ने तालियां बजाई।

तीसरे आरोपी पूर्व IGP अब्दुल्ला अल-ममून को 5 साल जेल की सजा सुनाई गई। ममून हिरासत में हैं और सरकारी गवाह बन चुके हैं। कोर्ट ने हसीना और असदुज्जमान कमाल की प्रॉपर्टी जब्त करने का आदेश दिया है।

5 अगस्त 2024 को तख्तापलट के बाद शेख हसीना और पूर्व गृहमंत्री असदुज्जमान ने देश छोड़ दिया था। दोनों नेता पिछले 15 महीने से भारत में रह रहे हैं।

फैसले के बाद यूनुस सरकार ने भारत सरकार से शेख हसीना को बांग्लादेश को सौंपने की मांग की है। पीएम ऑफिस ने बयान जारी कर कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच जो प्रत्यर्पण संधि है, उसके मुताबिक यह भारत की जिम्मेदारी बनती है कि वह पूर्व बांग्लादेशी पीएम को हमारे हवाले करे।

कोर्ट ने 453 पेज का जजमेंट लिखा है, जजमेंट को 6 हिस्से में बांटा गया है। कोर्ट ने सरकारी वकील ताजुल इस्लाम को शुक्रिया अदा किया और उनके काम की सराहना की। कोर्ट ने डिफेंस लॉयर का भी शुक्रिया अदा किया और उनके काम की तारीफ की।

हसीना ने जिस कोर्ट की स्थापना की, उसी ने सजा सुनाई

हसीना को मौत की सजा सुनाने वाले इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल की स्थापना उन्होंने ही की थी। इसे 2010 में बनाया गया था। इस कोर्ट को 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान हुए वॉर क्राइम्स और नरसंहार जैसे मामलों की जांच और सजा के लिए बनाया गया था।

हालांकि इस ट्रिब्यूनल को बनाने के लिए 1973 में ही कानून बना दिया गया था, लेकिन दशकों तक प्रक्रिया रुकी रही। इसके बाद 2010 में हसीना ने इसकी स्थापना की, ताकि अपराधियों पर मुकदमा चल सके।

शेख हसीना पर 5 आरोप

🔹आरोप 1- हत्याओं का आदेश देना

🔹आरोप 2- भड़काऊ भाषण देकर हिंसा कराना

🔹आरोप 3- न्याय में बाधा डालना/ सबूत मिटाने की कोशिश

🔹आरोप 4- छात्र अबु सईद की हत्या का आदेश देना

🔹आरोप 5- चांखारपुल में 5 लोगों की हत्या कराना और उनकी लाशें जलाना

✔️ शेख हसीना आरोप 1, आरोप 2 और आरोप 3 में दोषी पाई गईं। उन्हें पहले और दूसरे आरोपों में मौत की सजा मिली

हसीना बोलीं- ये फैसला गलत और पक्षपाती

शेख हसीना ने कहा कि उनके खिलाफ आया फैसला गलत, पक्षपाती और राजनीति से प्रेरित है। उनका कहना है कि यह फैसला ऐसे ट्रिब्यूनल ने दिया है जिसे एक गैर-निर्वाचित सरकार चला रही है और जिसके पास जनता का कोई जनादेश नहीं है।

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उन्होंने कहा कि लोग जानते हैं कि यह पूरा मामला असली घटनाओं की जांच नहीं, बल्कि अवामी लीग को निशाना बनाने की कोशिश है।

हसीना ने कहा कि यूनुस सरकार में पुलिस व्यवस्था कमजोर हो गई है। न्याय व्यवस्था कमजोर हो गई है, अवामी लीग समर्थकों और हिंदू-मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं, महिलाओं के अधिकार दबाए जा रहे हैं और कट्टरपंथियों का असर बढ़ता जा रहा है।

हसीना ने कहा कि डॉ. यूनुस को किसी ने चुना नहीं है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश का अगला चुनाव पूरी तरह स्वतंत्र और निष्पक्ष होना चाहिए।

अवामी लीग ने कल बांग्लादेश बंद का किया ऐलान

शेख हसीना की पार्टी बांग्लादेश अवामी लीग ने फैसले के खिलाफ 18 नवंबर (कल) को देश में बंद का ऐलान किया है।

फैसले के खिलाफ 30 दिन में याचिका दायर कर सकती हैं हसीना

इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और पूर्व गृहमंत्री असदुज्जमान को 30 दिनों के भीतर अपील करने का अधिकार दिया गया है। यह अपील बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट के अपील डिवीजन में दाखिल करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट को 60 दिनों के भीतर इस अपील पर फैसला देना अनिवार्य है।

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हालांकि, ट्रिब्यूनल ने एक महत्वपूर्ण शर्त रखी है कि अपील ‘इन एब्सेंटिया’ यानी देश से बाहर रहकर नहीं की जा सकती। अपील करने के लिए दोषियों का शारीरिक रूप से बांग्लादेश में मौजूद होना जरूरी है।

अगर सुप्रीम कोर्ट भी सजा को बरकरार रखता है, तो उनके पास बचने का आखिरी रास्ता राष्ट्रपति से दया याचिका (क्लेमेंसी पिटीशन) दाखिल करना रहेगा।

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