अशोक रुद्र का बड़ा दावा- ‘2002 की मतदाता सूची से उनके पूरे परिवार का नाम गायब’

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*EC पर लगाया साजिश का विस्फोटक आरोप

बर्नपुर (आसनसोल) : आसनसोल नगर निगम के वार्ड संख्या 78 के पार्षद और तृणमूल कांग्रेस के शिक्षक नेता अशोक रुद्र ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाया है। बर्नपुर के स्टेशन रोड स्थित तृणमूल कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में पार्षद अशोक रुद्र ने कहा कि उनके पिता स्वर्गीय चंडी दास रुद्र और उनकी माता झरना रुद्र का नाम साल 2002 की मतदाता सूची में नहीं है। उनके पास एक वैध पासपोर्ट और उनके दिवंगत पिता का पीपीओ दस्तावेज़ भी है। इसके बावजूद उनका नाम, उनके दिवंगत पिता और माता का नाम जानबूझकर मतदाता सूची से हटा दिया गया है। तृणमूल पार्षद का दावा है कि इसके पीछे एक साजिश है।

क्या है रुद्र का दावा

रुद्र ने दावा किया कि वे रोहिंग्या नहीं हैं, न ही बांग्लादेश या अफगानिस्तान से आए शरणार्थी हैं। उनका जन्म पश्चिम बंगाल में ही हुआ है। वह 1996 से हर चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करते आ रहे हैं। उनके दादा भागलपुर में रेलवे में कार्यरत थे, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के कारण ब्रिटिश सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था। उनके पिता स्वर्गीय चंडी दास रुद्र आद्रा रेलवे डिवीजन से 1996 में सेवानिवृत्त हुए।

SIR प्रक्रिया पर पार्षद ने उठाए सवाल

रुद्र ने SIR प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि उनकी तरह लाखों आम वास्तविक मतदाता मतदाता सूची में अपने नाम न होने से भयभीत हैं। उन्होंने पूछा कि अगर कोई आत्महत्या कर लेता है या डर के मारे मर जाता है तो इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा? उन्होंने पूछा- क्या चुनाव आयोग ज़िम्मेदारी लेगा। मैंने चुनाव आयोग की इस चूक के बारे में उनकी पार्टी के राज्य और जिला नेतृत्व को सूचित कर दिया है।

BJP नेता कृष्णेंदु ने पार्षद पर किया कटाक्ष

इधर, भाजपा राज्य कमेटी के सदस्य कृष्णेंदु मुखर्जी ने सत्तारूढ़ दल के पार्षद के आरोपों पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि केवल पार्षद ही बता सकते हैं कि उनका और उनकी माँ का नाम 2002 की मतदाता सूची में क्यों नहीं है। जहाँ तक मुझे पता है, वे उस समय वामपंथी थे। वह रेलवे क्वार्टर में रहते थे। भाजपा नेता ने कहा कि कोई भी राजनीतिक दल या सरकार मतदाता सूची तैयार नहीं करती है। चुनाव आयोग यह काम करता है। इस बारे में आयोग ही कुछ कह सकता है। हालांकि, चुनाव आयोग के दिशा-निर्देश कहते हैं कि बारह दस्तावेजों में से कोई भी प्रदान करने पर किसी का भी नाम दिखाई देगा। भाजपा चाहती है कि चुनाव आयोग एक पारदर्शी और सटीक मतदाता सूची तैयार करे।

तृणमूल विधायक के दो राज्यों में वोटर कार्ड होने के आरोप

यहां बता दें कि राज्य में चल रही एसआईआर प्रक्रिया के बीच पश्चिम बर्दवान जिले में आए दिन नए विवाद खड़े हो रहे हैं। बुधवार (कल) ही एक मामला सामने आया है कि जामुड़िया विधायक और तृणमूल कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हरेराम सिंह का नाम उत्तर प्रदेश की भी मतदाता सूची में है।

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