आसनसोल, शनिवार:
भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की “उल्टा रथ यात्रा” का आयोजन शनिवार को पूरे भक्तिभाव और धूमधाम से आसनसोल में किया गया। यह यात्रा उस दिन निकाली जाती है जब भगवान मौसी के घर से वापस नीलगिरी श्रीमंदिर लौटते हैं।
सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी। जैसे-जैसे भगवान का रथ आगे बढ़ता गया, पूरा आसनसोल भक्ति-संगीत, शंखध्वनि, कीर्तन और जयकारों से गूंज उठा। पुरुष, महिलाएं, बच्चे, सभी भक्तों ने रथ की रस्सी खींचकर पुण्य लाभ और आत्मिक आनंद की अनुभूति की।
🌼 झांकियों और सजावट से सजा रथ मार्ग
रथयात्रा मार्ग को रंग-बिरंगी झांकियों, फूलों और भगवा पताकाओं से सजाया गया था। हर नुक्कड़ पर भक्तगण जलपान और प्रसाद वितरण में लगे थे। महिला मंडल द्वारा भजन-गायन और पूजा अर्चना का विशेष आयोजन किया गया।
👮♂️ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चाक-चौबंद इंतजाम किए गए थे। ड्रोन कैमरों से निगरानी और मेडिकल टीम की तैनाती भी रही, जिससे यात्रा निर्विघ्न संपन्न हो सके।
🗣️ आयोजकों ने कहा – यह रथयात्रा बना आसनसोल की पहचान
आयोजकों का कहना है कि इस वर्ष उल्टा रथ यात्रा में पिछले वर्षों की तुलना में दोगुना से अधिक भीड़ उमड़ी। भक्तों के उत्साह ने यह प्रमाणित कर दिया कि यह यात्रा अब केवल धार्मिक नहीं, बल्कि संस्कृति और एकता का पर्व बन गई है।
🙏 भक्तों की जुबानी
“भगवान जगन्नाथ का रथ खींचना जीवन का सबसे पवित्र अनुभव है। हमने पूरे परिवार के साथ हिस्सा लिया और परम आनंद की अनुभूति हुई।” – रमा देवी, भक्त