झाड़ग्राम/आसनसोल : आसनसोल निवासी व झाड़ग्राम में पदस्थ एक सब इंस्पेक्टर ऑफ पुलिस (एसआई) ने गोली मारकर अपने माता-पिता की हत्या कर दी। फिर खुद को भी गोली मारकर आत्महत्या का प्रयास किया, उसकी हालत काफी नाजुक बनी हुई है। घटनास्थल से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है। वारदात को लेकर सनसनी व्याप्त है। गंभीर हालत में एसआई जॉयदीप चटर्जी का कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में इलाज चल रहा है। मृतकों की पहचान जॉयदीप की माँ शंपा चटर्जी और पिता देवव्रत चटर्जी के रूप में हुई है।
जॉयदीप का मूल घर आसनसोल के बामुन पाड़ा इलाके में है। वह झाड़ग्राम के जंगलमहल बटालियन में सब-इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। वह झाड़ग्राम शहर के रघुनाथपुर स्थित गौड़ीय मठ के पास किराए के मकान में माता-पिता के साथ रहते थे। जॉयदीप अविवाहित हैं। शुरुआती पुलिस जाँच से पता चलता है कि पुलिस अधिकारी ने मानसिक अवसाद के कारण अपने माता-पिता की हत्या करके खुद आत्महत्या करने की कोशिश की। जॉयदीप के पिता बूढ़े व मूक-बधिर थे, जबकि माँ हमेशा बीमार रहती थी। जॉयदीप के ही कंधों पर दोनों की ज़िम्मेदारी थी। भारी दबाव के कारण जॉयदीप मानसिक अवसाद का शिकार था।
क्या लिखा है सुसाइड नोट में
पुलिस सूत्रों के अनुसार, बरामद सुसाइड नोट में लिखा है – ‘पिता की बीमारी के कारण मेरी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। मैं इस मानसिक पीड़ा को सहन नहीं कर सकता। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ। क्या मेरे मर जाने से ठीक होगा? फिर मेरे माता-पिता की देखभाल कौन करेगा?’ हम तीनों का एक साथ मरना ही बेहतर है। मौत के लिए कोई ज़िम्मेदार नहीं है।’
ड्यूटी से छुट्टी से लेकर वारदात को दिया अंजाम
पुलिस सूत्रों के अनुसार, जॉयदीप ने 2, 3 और 4 सितंबर को छुट्टी ली थी। छुट्टी पर रहते हुए, जॉयदीप ने सुबह-सुबह अपने माता-पिता पर दो राउंड फायरिंग की। बताया जा रहा है कि जॉयदीप ने अपनी सर्विस पिस्टल से गोली चलाई। पिता देवव्रत चटर्जी और माँ शंपा चटर्जी की मौके पर ही मौत हो गई। घटना के बाद, जयदीप ने सर्विस रिवॉल्वर से ठोड़ी के नीचे गोली मारकर आत्महत्या करने की कोशिश की। लगातार गोलियों की आवाज़ सुनकर घर का मालिक और पड़ोसी दौड़कर घटनास्थल पर पहुँचे। उन्होंने खून से लथपथ शव पड़े देखे। पुलिस ने जाकर शवों को बरामद किया।
मौत से जंग लड़ रहा जॉयदीप
जयदीप को पहले झाड़ग्राम मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सीसीयू में भर्ती कराया गया। स्थिति बेहद गंभीर होने के कारण उसे एसएसकेएम अस्पताल ले जाया गया। बताया जा रहा है कि जयदीप के चेहरे और सिर में गोलियाँ लगी थीं। स्थानीय लोगों का दावा है कि उसके माता-पिता ज़्यादा बाहर नहीं जाते थे। जयदीप सुबह बाहर जाता और रात को लौटता था। उसके माता-पिता घर में अकेले रहते थे। स्थानीय लोगों का यह भी दावा है कि जयदीप खुद को बाहर से बंद करके घर से चला जाता था। नतीजतन, काम पर होते हुए भी उसे सारा दिन चिंता में रहना पड़ता था।
जॉयदीप को लेकर कई तरह के दावे
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, वे डेढ़ साल से ज़्यादा समय से किराए पर रह रहे हैं। पड़ोसियों से ज़्यादा घुलने-मिलने का शौक नहीं था। पड़ोसियों ने बताया कि ज़्यादातर समय उनके घर का दरवाज़ा बंद रहता था। स्थानीय लोगों का दावा है कि जॉयदीप मानसिक रूप से विक्षिप्त था। वह किसी से बात नहीं करता था। हालाँकि, उसके एक सहकर्मी ने इस दावे का खंडन किया है। एक सूत्र का दावा है कि वह अपने माता-पिता को गाँव से अपने साथ रखने के लिए लाया था। उसने बस इतना कहा था कि वह उनकी अच्छी देखभाल करेगा और उनकी सेवा करेगा। पता चला है कि उसके पिता एक सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारी थे। हालाँकि, सेवानिवृत्ति के बाद, वह किसी बीमारी के कारण बोल नहीं पाते थे और सुन नहीं पाते थे।












