आसनसोल : ₹350 करोड़ के चिटफंड घोटाले का मास्टरमाइंड अरेस्ट, 32 लाख का सोना बरामद

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आसनसोल : सिटी ऑफ ब्रदरहूड में अपनी राजनीतिक क्षमता का दुरुपयोग कर 350 करोड़ रुपए के चिटफंड घोटाले को अंजाम देने वाला मास्टरमाइंड तहसीन अहमद उर्फ फकीर को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, वह भागने की कोशिश कर रहा था। वह झारखंड की ओर जा रहा था। उसी दौरान वह जाल में फँस गया। उसके पास से लगभग 250 ग्राम सोना, जिसकी कीमत वर्तमान में 31 लाख रुपये से अधिक है, भी बरामद किया गया।

फरार होने की कोशिश में था अभियुक्त

पुलिस सूत्रों के अनुसार, आसनसोल उत्तर थाना पुलिस ने तहसीन को राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 19 पर चंद्रचूड़ चौराहे के पास से गिरफ्तार किया। जाँचकर्ताओं के एक सूत्र के अनुसार, तहसीन बस में सवार होकर भागने की कोशिश कर रहा था। संभवतः उसकी झारखंड फरार होने की योजना थी। लेकिन गुप्त सूत्रों से सूचना मिलने के बाद वह जाल में फँस गया।

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तहसीन के पिता तृणमूल माइनोरिटी सेल के पूर्व उपाध्यक्ष

बता दें कि पश्चिम बर्दवान में तृणमूल कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के पूर्व उपाध्यक्ष शकील अहमद के बेटे तहसीन अहमद पर धोखाधड़ी का आरोप है। उसके खिलाफ नॉर्थ थाने में लिखित शिकायत दर्ज है। हालांकि, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का दावा है कि पार्टी फिलहाल शकील के संपर्क में नहीं है। पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के ज़िला अध्यक्ष महफ़ूज़ुल हसन के अनुसार, “आरोपी तहसीन अहमद के पिता शकील अहमद से पार्टी अभी संपर्क में नहीं है। इससे पहले, वह अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष थे। वर्तमान में, वह पार्टी के सदस्य नहीं हैं।”

वाम शासन में फाब्ला से पार्षद रहे थे पिता

वामपंथी शासन के दौरान शकील फॉरवर्ड ब्लॉक में थे। वह पार्षद भी बने। राज्य में बदलाव के बाद, वह तृणमूल में शामिल हो गए। उन्होंने पार्टी में कुछ महत्वपूर्ण पदों पर भी कार्य किया। उनके बेटे पर धोखाधड़ी के आरोप सामने आने के बाद, शकील से संपर्क करने की कोशिश की गई। लेकिन उनका फ़ोन बंद था। तहसीन का फ़ोन भी बंद था।

पूरे रेलपार में फैलाया धोखाधड़ी का साम्राज्य

आसनसोल के रेलपार स्थित जहाँगीर मोहल्ला के कई निवासियों ने तहसीन पर उनकी कमाई व सेविंग हड़पने का आरोप लगाया है। उनका आरोप है कि तहसीन ने उन्हें ज़्यादा रिटर्न का लालच देकर ठगा। उसने हर महीने भारी ब्याज देने का वादा किया। हालाँकि शुरुआत में निवेशकों को फ़ायदा हुआ, लेकिन बाद में खाते में पैसा आना बंद हो गया। इसके बाद, निवेशकों के एक वर्ग ने बुधवार को तहसीन के घर के सामने पैसे वापस करने की मांग को लेकर प्रदर्शन भी किया।

झांसे में आए पूर्व बीएसएफ अधिकारी भी

एक सेवानिवृत्त बीएसएफ अधिकारी ने बताया, “मैंने शुरुआत में 3 लाख रुपये का निवेश किया था। अच्छा रिटर्न मिलने पर मैंने और पैसे लगाए। कुल मिलाकर मैंने लगभग 41 लाख रुपये दिए। लेकिन अब मुझे और पैसे नहीं मिल रहे हैं। कई लोगों ने मेरी बात मानकर इस परियोजना में पैसे दिए। अब सभी के पैसे फंस गए हैं। हमारा मानना ​​है कि लगभग 450 करोड़ रुपये का बड़ा वित्तीय घोटाला हुआ है।” बीएसएफ अधिकारी का दावा है कि कुल सात लोग इसमें शामिल हैं। लगभग 2,500 निवेशकों के साथ धोखाधड़ी की गई है। उन्होंने इस मामले को लेकर आसनसोल उत्तर के विधायक और राज्य के कानून एवं श्रम मंत्री मलय घटक से भी मुलाकात की है। पूर्व बीएसएफ अधिकारी का दावा है कि मंत्री ने कहा है कि प्रशासन कानूनी कार्रवाई करेगा।

मोहिशीला निवासी पीड़िता ने दर्ज कराई थाने में शिकायत

इसी तरह, मोहिशीला कॉलोनी के बटतला इलाके में रहने वाली मौटुसी दत्ता ने कहा, “मैं बेरोजगार हूँ। मैंने सोने के गहने गिरवी रखकर 20 लाख रुपये निवेश किए थे। कुछ महीनों तक मुझे ब्याज मिला। फिर अचानक ब्याज मिलना बंद हो गया। अब जब मैं पैसे माँगने जाती हूँ, तो मुझसे धक्का-मुक्की की जाती है। मैंने आसनसोल उत्तर थाने में शिकायत दर्ज कराई है।”

पुलिस जुटी सघन जांच में

पुलिस सूत्रों के अनुसार, शिकायत के आधार पर जाँच शुरू कर दी गई है। तहसीन अहमद और उसके साथियों के खिलाफ कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।

गिरफ्तारी या सरेंडर? उठ रहे सवाल

तहसीन पर शुरू हुई कार्रवाई के बाद अब यह सवाल उठने लगा है कि पुलिस ने उसे जाल बिछाकर पकड़ा है अथवा उसने निर्जन स्थान का चयन कर सरेंडर किया है। पुलिस का दावा है कि झारखंड भागने के पहले उसे गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि, कुछ जानकार यह दावा कर रहे हैं कि तहसीन के पिता ने अपने पूर्व की राजनीतिक क्षमताओं का उपयोग कर उसका सरेंडर करवाया है, ताकि मामले की उग्रता को खत्म किया जा सके। अगले कुछ महीनों में राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में चुनाव के पहले राज्य के कद्दावर मंत्री के विधानसभा क्षेत्र से इस तरह की धोखाधड़ी उजागर होना, राजनीतिक रूप से सत्तारूढ़ पार्टी को असहज करने वाली थी। विपक्षी पार्टियां इसे बड़ा मुद्दा बना सकती थी, इसीलिए तहसीन के घर वालों पर दबाव डालकर उसे सरेंडर करवाया गया। हालांकि तहसीन की कंपनी मासाअल्लाह में निवेश करने वालों की मांग है कि किसी भी रूप में उनके डूबे हुए पैसे वापस दिलाए जाए तथा तहसीन व उसके पूरे गैंग के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।

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