रेल की गूंज नहीं, अब दर्द की चीखें — लोको क्वार्टर में टूटी छतों की चीख-पुकार
आसनसोल के वार्ड संख्या 24 में स्थित लोको क्वार्टर में पिछले 30-40 वर्षों से रह रहे सैकड़ों गरीब परिवार अब बेघर होने की कगार पर हैं। रेलवे प्रशासन ने इन सरकारी क्वार्टरों को खाली करवाने और तोड़फोड़ की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे इलाके में मानवीय संकट उत्पन्न हो गया है।
😢 “हर दिन मजदूरी, हर रात बेघरी का डर”
यहां रहने वाले अधिकांश लोग दिहाड़ी मजदूर हैं, जिनके पास ना पक्की नौकरी है, ना कोई वैकल्पिक आशियाना। एक वृद्ध महिला ने रोते हुए कहा,
“रोज कमाते हैं, तभी चूल्हा जलता है। अब अगर छत भी छिन गई, तो छोटे-छोटे बच्चों को लेकर कहां जाएं?”
🏛️ मेयर से गुहार: “हमें घर मत छीनो!”
सोमवार को पीड़ितों का एक समूह आसनसोल नगर निगम के मेयर श्री विधान उपाध्याय से मिला और अपनी व्यथा बताई।
मेयर ने कहा,
“यह केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि मानवीय मामला है। हम DRM से मिलकर पुनर्वास या वैकल्पिक समय की मांग करेंगे।”
🚫 स्थानीय लोगों की मांग: पुनर्वास से पहले तोड़फोड़ नहीं
स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब तक इन परिवारों को कहीं और बसाने की योजना नहीं बनती, तब तक किसी भी प्रकार की ध्वस्तीकरण को रोका जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द समाधान नहीं निकला, तो जन आंदोलन शुरू किया जाएगा।
📌 रेलवे प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
रेलवे की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है, जिससे संकट और भय का माहौल बना हुआ है। इस पूरे घटनाक्रम ने शहरी गरीबी, संवेदनहीन प्रशासन और विकास की असमानता को फिर से समाज के सामने उजागर कर दिया है।