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कन्यापुर में लोक कलाकारों की झलक, मंच पर बिखरी सांस्कृतिक छटा

आसनसोल (कन्यापुर):
पश्चिम बंगाल की सांस्कृतिक विरासत को संजोने और लोक कलाकारों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कन्यापुर श्रमिक भवन में पश्चिम बंगाल लोक शिल्पी सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर मंच पर लोककला, संगीत, नृत्य और परंपरा की ऐसी झलक देखने को मिली जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

🎭 कार्यक्रम की प्रमुख उपस्थिति:

इस सांस्कृतिक सम्मेलन में राज्य के कानून और श्रम मंत्री मलय घटक,
जिला परिषद अध्यक्ष विश्वनाथ बावरी,
तथा पश्चिम बर्धमान के जिलाधिकारी एस. पन्ना बलम विशेष रूप से उपस्थित रहे।
इन सभी ने कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ाया।

🎨 लोक कलाकारों ने बिखेरी अपनी प्रतिभा की छटा:

सम्मेलन में पश्चिम बर्धमान जिले के दर्जनों लोक कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया।
चhau नृत्य, बाँउल गीत, लोक नाट्य, झूमूर और अन्य परंपरागत विधाओं के माध्यम से
बंगाल की मिट्टी की खुशबू मंच से उतरकर दर्शकों के दिलों में उतर गई।

दर्शकों ने तालियों और जयकारों से कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।

🎤 ममता सरकार की पहल को बताया ऐतिहासिक कदम:

कार्यक्रम में वक्ताओं ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की लोक कलाकारों के लिए बनाई गई योजनाओं और मंच की सराहना की।
मलय घटक ने कहा,

“ममता दीदी के प्रयासों से आज लोक कलाकारों को ना केवल पहचान मिल रही है,
बल्कि उन्हें सम्मान और आर्थिक संबल भी प्राप्त हो रहा है।”

💬 कलाकारों ने जताई खुशी, कहा – नई ऊर्जा मिली:

कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए कलाकारों ने कहा कि
सरकार द्वारा दिया गया यह मंच उन्हें नई ऊर्जा और प्रेरणा प्रदान करता है।
उन्होंने इस सम्मेलन को एक संस्कृति के उत्सव के रूप में देखा,
जहाँ कला, संगीत और परंपरा को नए आयाम मिल रहे हैं।

📷 सांस्कृतिक रंगों से सजी शाम, स्मरणीय बन गया आयोजन:

कन्यापुर श्रमिक भवन में सजी इस रंगीन शाम ने साफ कर दिया कि
पश्चिम बंगाल की लोक संस्कृति आज भी जीवंत है और जनमानस के हृदय में बसती है।
इस सम्मेलन ने कलाकारों, प्रशासकों और आमजन को एक साझा मंच प्रदान किया,
जहाँ संस्कृति और संवेदना का सुंदर संगम देखने को मिला।

निष्कर्ष:

लोक कलाकारों को मुख्यधारा में लाना और परंपरा को सहेजना ही ऐसे आयोजनों का उद्देश्य है।
कन्यापुर में हुआ यह सम्मेलन न केवल सफल रहा बल्कि
बंगाल की लोक संस्कृति को नई दिशा देने का प्रयास भी सिद्ध हुआ।

“संस्कृति बचेगी, तो पहचान बचेगी” – यही संदेश देकर संपन्न हुआ लोक शिल्पी सम्मेलन।

ghanty

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