आसनसोल:
आसनसोल ने एक बार फिर साबित कर दिया कि हिम्मत उम्र नहीं देखती। यहाँ के किशोर–किशोरियों की एक 10 सदस्यीय बहादुर टीम ने ऐसा कारनामा कर दिखाया जिसे सुनकर बड़े-बड़ों के कदम डगमगा जाएँ—साइकिल पर सिर्फ 55 दिनों में लद्दाख की गलवान घाटी तक की यात्रा!
शुक्रवार को आसनसोल के प्रतिष्ठित रविन्द्र भवन में इन युवा साइकिलिस्टों को सम्मानित किया गया, जहाँ माहौल देशभक्ति, उत्साह और तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा।
🌄 20 सितंबर को शुरू हुआ था ‘मिशन गलवान’
इनपुट के अनुसार, टीम ने 20 सितंबर को आसनसोल से अपने साहसिक सफर की शुरुआत की।
यात्रा के दौरान इस 10 सदस्यीय दल ने—
- 10 राज्यों से होकर गुज़रते हुए
- कठिन पहाड़ी रास्तों,
- बर्फीली हवाओं,
- हाई-एल्टीट्यूड चुनौतियों
- और 55 दिनों की थका देने वाली यात्रा
को पार कर गलवान घाटी में अपने तिरंगे के साथ विजय की मुहर लगा दी।
युवाओं ने लगभग 2100–2300 किलोमीटर की कठिन दूरी पैडल मारकर तय की—जिसे विशेषज्ञ “मानव सहनशक्ति की मिसाल” बता रहे हैं।
🎖️ सम्मान समारोह में मौजूद रहे कई विशिष्ट अतिथि
सम्मान समारोह में विशेष रूप से उपस्थित थे—
- कैलाश मंडल, डायरेक्टर — काज़ी नजरुल इस्लाम एयरपोर्ट, अंडाल
- मिहिर कुमार मंडल, डायरेक्टर — नेशनल एडवेंचर फ़ाउंडेशन
दोनों अतिथियों ने इन बच्चों के जज़्बे को नमन करते हुए कहा—
“आज की युवा पीढ़ी केवल सपना नहीं देखती, उसे पूरा करने की क्षमता भी रखती है। यह यात्रा सिर्फ साहस नहीं, देशप्रेम की भी अनोखी मिसाल है।”
🚴 “हमारी मंज़िल गलवान थी, डर को रास्ते में ही छोड़ आया” — टीम का बयान
सम्मान प्राप्त करते समय टीम के सदस्यों ने कहा कि—
- रास्ते में कई बार मौसम ने धोखा दिया,
- ऑक्सीजन लेवल गिरा,
- पहाड़ी रास्ते खतरनाक थे,
- लेकिन मन में तिरंगे की शपथ और परिवार का विश्वास उन्हें लगातार आगे बढ़ाता गया।
टीम लीडर ने कहा—
“गलवान पहुँचकर तिरंगा फहराते ही लगा कि हमारी मेहनत सफल हो गई। यह जीवन का सबसे बड़ा पल था।”
🌟 आसनसोल का नाम देशभर में रोशन
स्थानीय लोगों और परिवारों ने रविन्द्र भवन में युवाओं का फूल-माला और तालियों से स्वागत किया।
इस साहसिक उपलब्धि ने आसनसोल का नाम देशभर में रोशन कर दिया है।
विशेषज्ञों के अनुसार,
“इतनी कम उम्र में इतनी कठिन यात्रा बेहद दुर्लभ है। यह टीम भविष्य में राष्ट्रीय स्तर की एडवेंचर गतिविधियों का चेहरा बन सकती है।”












