आसनसोल, पश्चिम बर्धमान।
आसनसोल के सबसे प्रतिष्ठित और पुराने सामाजिक संगठन आसनसोल क्लब लिमिटेड में बीते दिनों एक बड़ा फैसला सामने आया है। क्लब के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ बिस्वाल की सदस्यता को अनुशासनहीनता के आरोप में रद्द कर दिया गया है। 31 जुलाई 2025 को क्लब की कार्यकारिणी समिति की बैठक में यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया, जिसकी पुष्टि क्लब के पदाधिकारियों ने मीडिया के माध्यम से की है।
📌 क्यों हुई कार्रवाई?
क्लब प्रबंधन के अनुसार, सोमनाथ बिस्वाल के खिलाफ अनुशासन तोड़ने, क्लब की छवि को नुकसान पहुंचाने और आंतरिक प्रक्रियाओं में बाधा डालने की कई शिकायतें आई थीं। अनुशासन समिति ने उन्हें कई बार तलब किया, लेकिन उन्होंने न तो सुनवाई में भाग लिया और न ही कोई संतोषजनक जवाब दिया।
क्लब अध्यक्ष अमरजीत सिंह भराड़ा, उपाध्यक्ष मनीष बगाड़िया, सचिव शोभन नारायण बोस और कोषाध्यक्ष मुरारीलाल अग्रवाल सहित सभी कार्यकारिणी सदस्यों ने इस निर्णय पर हस्ताक्षर किए।
⚖️ मामला पहुंचा अदालत
बिस्वाल ने इस निर्णय को “अवैध और पूर्वनियोजित” बताते हुए कहा कि जब मामला पहले से ही कोर्ट में लंबित है, तो क्लब एकतरफा फैसला कैसे ले सकता है? उन्होंने एलान किया है कि वे इस फैसले को चुनौती देंगे और न्यायिक लड़ाई लड़ेंगे।
🗣️ क्लब का पक्ष
क्लब के सचिव शोभन नारायण बोस ने कहा, “हमने उन्हें बार-बार बुलाया लेकिन वे गैरहाजिर रहे। समिति के पास पर्याप्त सबूत हैं कि उन्होंने क्लब के नियमों का उल्लंघन किया। यदि कोर्ट कोई निर्देश देता है, तो हम उसका सम्मान करेंगे।”
📣 सोसाइटी में चर्चा का विषय
यह मामला अब आसनसोल के सामाजिक और कानूनी हलकों में गंभीर चर्चा का विषय बन चुका है। कई सदस्य इसे क्लब की कठोर अनुशासन नीति का नतीजा मान रहे हैं, तो कुछ इसे आंतरिक राजनीति और पुराने मतभेदों का परिणाम बता रहे हैं।
क्या यह फैसला नियमों की रक्षा के लिए था या व्यक्तिगत प्रतिशोध? यह तय करेगी अब अदालत।