आसनसोल: रथयात्रा की पावन बेला पर जहां देशभर में भगवान जगन्नाथ की परंपरागत ‘स्नान यात्रा’ आम तौर पर रथयात्रा से 15 दिन पहले की जाती है, वहीं पश्चिम बर्धमान के बराकर स्थित गोविंदो मंदिर में इस परंपरा को अनोखे ढंग से निभाया जाता है।
यहां 26 जून को रथयात्रा से ठीक एक दिन पहले भगवान जगन्नाथ का विधिपूर्वक स्नान उत्सव सम्पन्न किया गया। धार्मिक अनुष्ठान, शंखध्वनि और मंत्रोच्चार के बीच सैकड़ों श्रद्धालुओं ने इस आयोजन में भाग लिया।
मंदिर बंद नहीं हो सकता, इसलिए परंपरा में बदलाव
मंदिर के पुरोहित ने बताया कि चूंकि गोविंदो मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ-साथ कई अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं, इसलिए मंदिर को 15 दिनों के लिए बंद रखना संभव नहीं। ऐसे में विशेष परंपरा के तहत एक दिन पूर्व स्नान कराए जाने की परंपरा वर्षों से निभाई जा रही है।
27 जून को निकलेगा भव्य रथ, तैयारियां जोरों पर
इस आयोजन के ठीक अगले दिन यानी 27 जून को भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा का भव्य रथयात्रा कार्यक्रम प्रस्तावित है। बराकर, कुल्टी और आसनसोल के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु इस रथयात्रा में शामिल होने पहुंचेंगे। रंग-बिरंगे कपड़ों में सजे भक्त, ढोल-नगाड़े, फूलों से सजे रथ और भजन-कीर्तन से पूरा क्षेत्र आध्यात्मिक ऊर्जा से भर जाएगा।
श्रद्धालुओं में भारी उत्साह
बराकर समेत पूरे शिल्पांचल में इस आयोजन को लेकर भारी उत्साह है। लोगों के घरों और दुकानों पर सजावट की गई है। मंदिर प्रांगण में सुरक्षा और स्वच्छता की भी विशेष व्यवस्था की गई है।
निष्कर्ष:
बराकर का यह आयोजन न केवल एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह स्थानीय आस्था और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक भी है। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा से पहले स्नान उत्सव की यह अनोखी परंपरा हर साल हजारों भक्तों को जोड़ती है और धार्मिक सौहार्द को और गहरा करती है।