ईटानगर: अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले के खरसांग इलाके में हजारों लोग नामचिक ईस्ट और वेस्ट कोयला खनन परियोजनाओं की नीलामी के खिलाफ सड़कों पर उतर आए। लॉंगटॉम-I और II, पंचुन और इंजन गांवों के निवासियों ने इस परियोजना के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों पर गहरी चिंता व्यक्त की।
🔥 500 परिवारों के विस्थापन का खतरा!
इस विरोध का नेतृत्व इंजन, पंचुन, लॉंगटॉम-I और लॉंगटॉम-II समिति (IPLLC) ने किया। प्रदर्शनकारियों का दावा है कि इस खनन परियोजना की वजह से लगभग 500 परिवारों के 3,000 लोग विस्थापित हो सकते हैं, जिससे उनका पारंपरिक जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा।

उन्होंने मियाओ के अतिरिक्त उपायुक्त (ADC) के जरिए मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा और नीलामी प्रक्रिया को तुरंत रोकने की मांग की।
🚨 सरकार पर गंभीर आरोप! बिना सलाह लिए शुरू हुई नीलामी?
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि राज्य सरकार और केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने प्रभावित लोगों से कोई राय-मशविरा किए बिना ही नीलामी शुरू कर दी। IPLLC के अनुसार, सरकार ने परियोजना से प्रभावित परिवारों की सही संख्या तक नहीं गिनी।
IPLLC के अध्यक्ष सेमखुम टोंगलिम ने चेतावनी दी कि 600 हेक्टेयर से अधिक जमीन इस परियोजना से प्रभावित होगी, जिससे पर्यावरण और स्थानीय जनसंख्या पर गंभीर असर पड़ेगा।

🌳 संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन?
IPLLC का कहना है कि लॉंगटॉम-I और II गांव भारत की आज़ादी से पहले बसाए गए थे और इन्हें “अनवर्गीकृत राज्य वन क्षेत्र” (Unclassed State Forest) के रूप में जाना जाता है। यहां 160 से अधिक परिवार रहते हैं, जो जंगल और खेती पर निर्भर हैं।
इनका जबरन विस्थापन वन अधिकार अधिनियम 2006 और वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 का सीधा उल्लंघन होगा।
⏳ सरकार के फैसले पर टिकी निगाहें!

नामचिक ईस्ट और नामचिक वेस्ट कोल ब्लॉक, नामचिक-नामफुक कोयला क्षेत्र का हिस्सा हैं, जहां 45.8 मिलियन टन कोयले का भंडार है और यह 600 हेक्टेयर में फैला हुआ है।
सरकार ने 3 फरवरी को तकनीकी बोली प्रक्रिया शुरू की थी, और 3 मार्च को अंतिम बोली लगने वाली है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस उग्र विरोध को लेकर क्या फैसला लेती है।