विशेष संवाददाता: तृणमूल कांग्रेस के पूर्व बीरभूम जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल को तिहाड़ जेल से 18 महीने बाद रिहा किया गया। दिल्ली के राउस एवेन्यू कोर्ट ने शुक्रवार को उन्हें जमानत दी थी, लेकिन कानूनी दस्तावेजों की कमी के कारण उस दिन रिहाई संभव नहीं हो पाई।
सोमवार रात को अनुब्रत तिहाड़ जेल के तीन नंबर गेट से बाहर निकले। उस वक्त वह पीले-भूरे रंग की टी-शर्ट पहने हुए थे। उनकी बेटी सुकन्या मंडल भी उन्हें लेने जेल पहुंची थीं।
अनुब्रत मंडल को 11 अगस्त 2022 को CBI ने बीरभूम के नीचुपट्टी इलाके स्थित उनके घर से गोरु तस्करी के मामले में गिरफ्तार किया था। शुरुआत में उन्हें आसनसोल सुधार गृह में रखा गया था और फिर मार्च 2023 में उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया। नवंबर 2023 में ED ने उसी मामले में उन्हें फिर से गिरफ्तार किया था।
सुकन्या मंडल को भी गोरु तस्करी मामले में इसी साल जमानत मिली थी। बाप-बेटी दोनों को तिहाड़ जेल में रखा गया था।
अनुब्रत मंडल ने इससे पहले कई बार अदालत से जमानत की मांग की थी। उनके वकील ने अदालत में तर्क दिया कि उनके मुवक्किल को बिना ठोस कारण जेल में रखा गया है, जबकि अन्य आरोपियों को रिहा कर दिया गया है।
केंद्र की जांच एजेंसी ने बार-बार उनकी जमानत का विरोध किया, यह कहते हुए कि अनुब्रत मामले के मुख्य आरोपी हैं और जमानत मिलने पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। अंततः अनुब्रत को CBI और ED दोनों मामलों में जमानत मिल गई। अनुब्रत मंडल की रिहाई के बाद पश्चिम बंगाल की राजनीति में नए सिरे से चर्चा तेज हो गई है।