👉 पहली बार डिजिटली होगा सेंसस, एक व्यक्ति पर आएगा 97 रुपए खर्च, 30 लाख कर्मचारी करेंगे काम
नई दिल्ली : देश में 2027 में पहली बार जनगणना डिजिटली होगी। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कैबिनेट मीटिंग में इसके लिए 11,718.24 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। इसके लिए 30 लाख कर्मचारियों को काम पर लगाया जाएगा। इसके मुताबिक एक व्यक्ति की जनगणना पर सरकार के करीब 97 रुपए खर्च होंगे।
दरअसल 2011 की जनगणना में भारत की आबादी लगभग 121 करोड़ थी। अगर इसे आधार माना जाए तो 1 व्यक्ति की गणना करने में करीब 97 रुपए खर्चा (11,718.24 करोड़ रुपए/121 करोड़ आबादी) आएगा। अगर 150 करोड़ अनुमानित जनसंख्या मानी जाए तो प्रति व्यक्ति 78 रुपए खर्च होगा।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि 30 लाख कर्मचारी डिजिटल जनगणना पूरी करेंगे। यह CaaS सॉफ्टवेयर से होगी। इसका डिजाइन डेटा सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाया गया है। जनगणना दो फेज में होगी। फेज-1 (अप्रैल–सितंबर 2026) में घरों की लिस्टिंग और गिनती होगी। फेज-2 (फरवरी 2027) में आबादी की गिनती होगी।
भारत की जनगणना (Census of India) देश की आबादी, जनसांख्यिकी, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और संसाधनों के वितरण का एक व्यापक सर्वेक्षण है। यह भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन रजिस्ट्रार जनरल और सेंसस कमिश्नर द्वारा संचालित की जाती है।
कोपरा के लिए MSP तय
इसके अलावा कैबिनेट ने 2026 सीजन के लिए कोपरा के मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) को मंजूरी दी। 2026 सीजन के लिए फेयर एवरेज क्वालिटी मिलिंग कोपरा के लिए MSP 12,027 रुपए प्रति क्विंटल और बॉल कोपरा के लिए 12,500 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है।

2026 सीजन के लिए MSP में पिछले सीजन के मुकाबले मिलिंग कोपरा के लिए 445 रुपए प्रति क्विंटल और बॉल कोपरा के लिए 400 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। सरकार ने मार्केटिंग सीजन 2014 के लिए मिलिंग कोपरा और बॉल कोपरा के लिए MSP को 5,250 रुपए प्रति क्विंटल और 5,500 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाए हैं।
इंश्योरेंस सेक्टर में FDI 100% होगी
केंद्र सरकार ने इंश्योरेंस सेक्टर में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) की लिमिट 100% करने का बिल पास कर दिया है। पहले यह 74% था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने गुरुवार को इंश्योरेंस अमेंडमेंट बिल को मंजूरी दी। अब विदेशी कंपनियां पूरी तरह भारतीय इंश्योरेंस फर्म्स की मालिक बन सकेंगी। बिल विंटर सेशन में पेश होगा, जो 19 दिसंबर को खत्म हो रहा है।
अब जानिए एक-एक डिटेल, कैसे डिजिटली होगी जनगणना
भारत की जनगणना 2027 देश के इतिहास में पहली बार पूरी तरह डिजिटल होगी। सरकार का कहना है कि यह नई व्यवस्था डेटा की सुरक्षा, तेजी और पारदर्शिता को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। दो चरणों में होने वाली यह जनगणना देश के हर व्यक्ति और हर घर की जानकारी डिजिटल तरीके से दर्ज करेगी। सरकार ने कहा कि जनगणना मोबाइल ऐप के जरिए होगी और लोग चाहें तो एक वेब पोर्टल पर खुद भी जानकारी भर सकेंगे। पूरा काम रियल-टाइम में Census Management and Monitoring System (CMMS) से मॉनिटर किया जाएगा।
कैसे बदलगी जनगणना की प्रक्रिया
डिजिटल जनगणना के तहत हर बिल्डिंग का जियो-टैग किया जाएगा। ऐप में अंग्रेजी, हिंदी सहित 16 से ज्यादा भाषाओं का विकल्प होगा। सरकार ने बताया कि इस बार प्रवास से जुड़े विस्तृत सवाल पूछे जाएंगेजैसे जन्मस्थान, पिछला निवास, कितने समय से वर्तमान स्थान पर रह रहे हैं और स्थान बदलने की वजह क्या है। सबसे महत्वपूर्ण बात1931 के बाद पहली बार सभी समुदायों की जाति से जुड़े आंकड़े भी जुटाए जाएंगे, सिर्फ SC/ST तक सीमित नहीं रहेंगे।
डिजिटल जनगणना के फायदे
डिजिटल होने से आंकड़ों की गिनती और रिपोर्ट तैयार करना काफी तेज हो जाएगा। अब डेटा रियल-टाइम अपलोड होगा और अनुमान है कि शुरुआती आंकड़े 10 दिन में और अंतिम रिपोर्ट 6-9 महीनों में मिल जाएगी। पहले पेपर फॉर्म की वजह से यह प्रक्रिया कई साल ले लेती थी।
तेज और सटीक आंकड़ों से 2029 की नई लोकसभा सीटों के निर्धारण, फंड वितरण और सरकारी योजनाओं की योजना बनाने में मदद मिलेगी। सिस्टम में ऑटो-चेक, जियो-टैगिंग और लोगों के खुद जानकारी भरने का विकल्प होने से गलतियों और छूटे हुए घरों की संख्या कम होगी।
लागत, रोजगार और उपयोगिता
🔹सरकार को टैबलेट खरीदने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि गणना कर्मचारी अपने स्मार्टफोन का इस्तेमाल करेंगे।
🔹इससे खर्च कम होगा और लगभग 2.4 करोड़ व्यक्ति-दिवसका अस्थायी रोजगार भी मिलेगा।
🔹जहां नेटवर्क कमजोर है, वहां बैकअप के तौर पर पेपर फॉर्म भी इस्तेमाल किए जा सकेंगे।
क्या होंगी चुनौतियां?
भारत जैसा बड़ा और डिजिटल रूप से असमान देश होने के कारण चुनौतियां भी हैं। देश में अभी लगभग 65% आबादी ही ऑनलाइन है। पहाड़ी, जंगल और दूर-दराज के कई इलाकों में नेटवर्क बहुत कमजोर है। ऐसे स्थानों पर सही डेटा जुटाने में खतरा है कि गरीब और पिछड़े लोगों की गिनती छूट सकती है।
डिजिटल साक्षरता भी समस्या है। जनगणना करने वाले लगभग 30 लाख कर्मचारीज्यादातर शिक्षकको ऐप चलाने की अच्छी ट्रेनिंग देनी होगी। कई बुजुर्ग, ग्रामीण महिलाएं या प्रवासी मजदूर मोबाइल ऐप देखकर हिचक सकते हैं।
डेटा सुरक्षा पर चिंता
इस बार जाति, माइग्रेशन जैसी संवेदनशील जानकारी मोबाइल नेटवर्क के जरिए भेजी जाएगी। इसलिए साइबर सुरक्षा और डेटा प्राइवेसी बहुत बड़ी चिंता है और सरकार को इसे पूरी तरह सुरक्षित रखना होगा।












