“भेदभाव मुक्त समाज ही सच्चा लोकतंत्र”—संजय सिन्हा का प्रेरक संबोधन रायना में

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बर्दवान।
पूर्व बर्दवान जिले के रायना में विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर इंटरनेशनल इक्विटेबल ह्यूमन राइट्स सोशल काउंसिल द्वारा एक विस्तृत सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संस्था के चेयरमैन संजय सिन्हा उपस्थित थे।

अपने प्रेरक संबोधन में श्री सिन्हा ने कहा कि मानवाधिकार दिवस का सबसे बड़ा उद्देश्य पूरे विश्व में मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। उन्होंने जोर देकर कहा—

“मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ संघर्ष करना और समानता, स्वतंत्रता, न्याय तथा गरिमा के मूल्यों को स्थापित करना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है।”

संजय सिन्हा ने आगे कहा कि मानवाधिकार किसी सरकार द्वारा दिए गए अधिकार नहीं, बल्कि जन्म से ही प्राप्त होने वाले नैसर्गिक अधिकार हैं, जो हर व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के मिलते हैं।

उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा—

“मानवाधिकार जाति, धर्म, भाषा, लिंग, रंग या नस्ल के आधार पर कभी कम या ज्यादा नहीं होते। हर व्यक्ति को समान गरिमा और स्वतंत्रता का अधिकार है।”

चेयरमैन सिन्हा ने विशेष रूप से स्वतंत्र रूप से विचार व्यक्त करने की आज़ादी, सुरक्षित जीवन का अधिकार, और गरिमापूर्ण जीवन को मानव का मूल और अनिवार्य अधिकार बताया।

सेमिनार के दौरान उन्होंने उपस्थित लोगों को मानवाधिकारों के विभिन्न आयामों, इतिहास, और आज की वैश्विक चुनौतियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने सभी प्रतिभागियों और आयोजकों का आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर समाजसेवा और मानवाधिकार संरक्षण में योगदान देने वाले कुछ विशिष्ट व्यक्तियों को सम्मानित भी किया गया।

कार्यक्रम में दीपक मित्रा, दीपांजना दे कुंडू, कौशिक रॉय चौधरी, सतबीर सिंह, तन्मय कुंडू, रंजीत राम दे सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। इस आयोजन को सफल बनाने में पूर्व बर्दवान जिला अध्यक्ष काज़ी रफीकुल की भूमिका विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।

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