शिल्पांचल की सियासत के केन्द्र में अब कोयला-बालू तस्करी, बढ़ते आरोपों के बीच बड़ा सवाल- आखिर कार्रवाई कब?

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👉 तिराट में BJP MLA के घेराव से भड़का आक्रोश, TMC पर आरोप, कालीपहाड़ी में सड़क जाम कर प्रदर्शन, नरेन चक्रवर्ती का पलटवार

आसनसोल : पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव अगले साल प्रस्तावित हैं। इसके पहले ही शिल्पांचल का सियासी पारा तेजी से गर्म होने लगा है। आसनसोल की सियासत के केन्द्र में अब कोयला और बालू तस्करी खुल कर सामने आ गई है। एक छोर पर TMC तो दूसरी ओर BJP ने मोर्चेबंदी कर दी है। आरोप-प्रत्यारोप का दौर बढ़ चला है। घेराव-विरोध और प्रदर्शन की सूई अंततः आकर कोयला और बालू चोरी पर अटक जा रही है। लेकिन, इन सबके बीच बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर कार्रवाई कब होगी? सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्ष द्वारा खुलेआम कोयला-बालू तस्करों के नामों के ऐलान और गोरखधंधों को लेकर एक-दूसरे पर लगाए जा रहे आरोपों ने कमिश्नरेट पुलिस के समक्ष यह कड़ी चुनौती पेश कर दी है कि जब सब कुछ राजनेताओं द्वारा खुले तौर पर कहा जा रहा है तो आखिर पुलिस मूकदर्शक क्यों बनी हुई है? क्या कोयला और बालू तस्करी के खिलाफ पुलिस जल्द बड़ा एक्शन लेगी? और, शिल्पांचल के दामन में लगी इस दाग को धोएगी? इन सभी सवालों के जवाब समय के गर्भ में है। लेकिन, चुनाव के पहले बढ़ती राजनीतिक तपिश ने अब आम जनता को पूरी तरह से झुलसना शुरू कर दिया है।

क्या है हंगामे से जुड़ा पूरा मामला?

दरअसल, बुधवार की शाम को आसनसोल (दक्षिण) विधानसभा केंद्र की BJP विधायक अग्निमित्रा पाल अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत तिराट इलाके में गई थीं। यहां उनके द्वारा ‘पाड़ाय-पाड़ाय दीदीभाई’ नामक जनसंपर्क अभियान किया जा रहा था। उनका आरोप है कि तृणमूल के स्थानीय नेता और जिला परिषद सदस्य सुधीर बनर्जी अपने कैडरों-समर्थकों के साथ मौके पर पहुंचे। उनकी गाड़ी को घेर लिया गया। CISF जवानों के साथ दुर्व्यवहार किया गया। कुछ ग्रामीणों को उकसा कर साजिशन हंगामा कराया गया। करीब डेढ़ घंटे तक हंगामे की स्थिति बनी रही है। खबर पाकर पुलिस मौके पर पहुंची जरूर, लेकिन भूमिका पक्षपातपूर्ण रही। हंगामे से जुड़े कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए हैं। इनमें साफ दिख रहा है कि दोनों पक्षों के बीच जमकर तू-तू-मैं-मैं चल रही है।

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विधायक की गाड़ी के सामने बड़ी संख्या में महिलाएं बैठी हुई हैं। जबकि, युवाओं का दल लगातार विधायक से सवाल पर सवाल पूछे जा रहा है। वीडियो में एक और दृश्य भी साफ है कि हंगामा कर रहे युवाओं द्वारा मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों के साथ शालीनता और शिष्टाचार रवैया अपनाना तो दूर की बात, उनके साथ उलझते दिख रहे हैं। पुलिस के ही हस्तक्षेप से किसी तरह मामला शांत होता है। इसके बाद विधायक अपने समर्थकों के साथ कालीपहाड़ी मोड़ पहुंचती हैं। यहां कुछ देर के लिए हाईवे जाम कर दिया जाता है। फिर, काफी देर तक कालीपहाड़ी से आसनसोल आने वाली जीटी रोड को जाम कर रखा जाता है। पुलिस के हस्तक्षेप से मामला शांत होता है।

विधायक अग्निमित्रा पाल ने आरोपों में उछाला बालू तस्करी का मुद्दा

भाजपा विधायक अग्निमित्रा पाल ने कड़े शब्दों में कहा कि टीएमसी कैडरों को लगाकर सीआईएसएफ पर झूठे दोषारोपण कर इस तरह से बीजेपी के विधायकों को रोक पाना संभव नहीं है। लेकिन, जब यह परिपाटी शुरू कर दी गई है तो अब टीएमसी के विधायकों का भी घेराव किया जाएगा। पुलिस सिर्फ टीएमसी के निर्देशों को मानकर चल रही है। बालू तस्करी बंद करा दिए जाने का गुस्सा इस तरह से निकाला जा रहा है तो, यह साफ चेतावनी है कि हर तरह के अवैध-धंधे बंद कराए जाएंगे।

बीजेपी विधायक ने कहा कि एसआईआर के कारण अवैध वोटरों के नाम कट रहे हैं। इसका गुस्सा निकालने के लिए टीएमसी कैडरों को भड़काकर विधायक की गाड़ी रोकी जा रही है। बंगाल में शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सुविधा का घोर अभाव है। लोगों को बुनियादी सुविधाएं जैसे बिजली-पानी और सड़क तक मयस्सर नहीं है। अस्पताल के शवगृह से मृतक के आंखों को निकालकर बेच दिया जा रहा है। अस्पताल में जन्म लेने वाले नवजातों की खरीद-बिक्री हो रही है। ऐसा कोई भ्रष्टाचार नहीं है, जो बंगाल में टीएमसी सरकार ने न किया हो। अब इन सब पर पर्दा डालने की कोशिश हो रही है। लेकिन, आम जनता के सहयोग से बीजेपी इसका मुखर विरोध करेगी।

टीएमसी जिलाध्यक्ष नरेन का कड़ा पलटवार, कोयला चोरों को बीजेपी से जोड़ा

पश्चिम बर्दवान जिला तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष सह पांडवेश्वर के विधायक नरेंद्रनाथ चक्रवर्ती उर्फ नरेन ने इस मामले में कड़ा पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि अन्यायपूर्ण तरीके से आम जनता को सीआईएसएफ के नाम पर धमकाया गया। बंदूक दिखाकर दहशत फैलाने की कोशिश की गई। हमलोग इसका तीव्र विरोध करते हैं। जरूरत पड़ने पर इसे लेकर रैली-सभा के माध्यम से राजनीतिक रूप से लड़ाई की जाएगी। विधायक अग्निमित्रा पाल का आम जनता से कोई संबंध नहीं है। साढ़े 4 वर्षों तक वो जनता से कटी हुई रहीं।

अपने विधायक फंड का पैसा किसी विकास कार्य में खर्च नहीं किया। अब जब चुनाव सामने है तो दीदीभाई-दीदीभाई कर रही हैं। इसलिए आम जनता ने उनका विरोध किया। उनके घेराव से टीएमसी का कोई लेना-देना ही नहीं है। विधायक को जनता से माफी मांगनी चाहिए। सिर्फ टीआरपी के लिए बीजेपी एमएलए ऐसा कर रही हैं। कहीं ओर झमेला होने पर कालीपहाड़ी मोड़ को जाम कर उचित नहीं है। इससे आम लोग परेशान होते हैं। अगर बालू तस्करी हो रही है तो विधायक पुलिस को बता सकती हैं, एफआईआर कर सकती हैं, तो वो ऐसा क्यों नहीं कर रही हैं। नरेन ने इसका विस्फोटक आरोप लगाते हुए कहा कि उनलोगों के पास सूचना है कि विधायक के साथ दो कोयला माफिया भी घूम रहे थे। उन लोगों के पास इसकी फोटो भी आई है कि वो कोयला माफिया को लेकर गई थी।

कुछ दिन पहले आसनसोल के हट्टन रोड पर टोटो चालकों को भी परेशान किया था। कभी मलय दा (मंत्री) के नाम पर बोलती हैं, तो कभी विधान (मेयर) से मिलने चली जाती हैं। विधायक को यह सब नौटंकी बंद कर विकास पर ध्यान देना चाहिए।

BJP और TMC के आरोपों से निशाने पर पुलिस, उठे कई सवाल

बहरहाल, इस पूरे विवाद व हंगामे के केन्द्र में बीजेपी और टीएमसी ने एक-दूसरे पर जो आरोप-प्रत्यारोप लगाए हैं, उससे कमिश्नरेट पुलिस ही निशाने पर आ गई है। कई अहम सवाल तैरने लगे हैं। पहला और सबसे महत्वपूर्ण सवाल – अगर टीएमसी के पास यह सबूत (फोटो) है कि बीजेपी विधायक दो कोयला माफियाओं के साथ जनसंपर्क करने गई थी, तो क्या पार्टी इसकी लिखित पुलिस से करेगी? क्या पुलिस स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले में कानूनी रूप से आगे बढ़ेगी और कार्रवाई सुनिश्चित करेगी? या फिर महज यह एक जुमला साबित होकर रह जाएगा। दूसरा सवाल- बीजेपी विधायक अगर बालू तस्करी के आरोप लगा रही हैं, तो उस मामले में क्या कार्रवाई होगी? या फिर सब ढाक के तीन पात बनकर रह जाएगी। हालांकि, इस पूरे विवादित मामले में कमिश्नरेट पुलिस की तरफ से कोई प्रतिक्रिया जारी नहीं की गई है।

इनसाइड स्टोरी…

बीते दो-तीन महीनों से शिल्पांचल पूरे देश में सुर्खियों में बना हुआ है। पहले बालू तस्करी को लेकर आसनसोल में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी रेड डाली। इसके कुछ दिनों बाद ईडी ने ही बंगाल-झारखंड बॉर्डर पर एक्टिव कोल सिंडिकेट के 44 ठिकानों पर दो दिनों तक व्यापक व समन्वित सर्च ऑपरेशन चलाया। इसमें 14 करोड़ से अधिक नकद, गोल्ड ज्वैलरी, डिजिटल डिवाइस व भारी मात्रा में दस्तावेज बरामद हुए। केके-एलबी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया। इसकी जांच चल रही है। कुछ दिनों पहले बीजेपी विधायक ने ही डामरा दामोदर नदी घाट पहुंचकर अवैध बालू खनन का आरोप लगाया था। बालू लदे कई वाहनों की चाबियां निकाल ली गई थी। पुलिस ने घाट को वैध तो बताया था पर कोई चालान नहीं दिखा सकी थी। आसनसोल (दक्षिण) थाने में नामजद प्राथिमकी दर्ज कराई गई थी। वहीं कोयला तस्करी के पुराने मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में कार्यवाही अब तक चल रही है। कुल मिलाकर आने वाले चुनाव को लेकर यह साफ है कि इलेक्शन की कड़ी कोयला-बालू तस्करी के ईर्द-गिर्द ही रहने वाली है। गड़े मुर्दे फिर उखाड़े जाएगे… और गेहूँ के साथ घुन भी पीस जाएगा।

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