यूनेस्को विश्व धरोहर : कुंभ मेला-दुर्गापूजा के बाद दिवाली शामिल, अब छठ पूजा की बारी

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👉 अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सूची में शामिल होने पर बोले PM मोदी- यह हमारी सभ्यता की आत्मा

नई दिल्ली : यूनेस्को ने दिवाली को अमूर्त विश्व धरोहर घोषित किया। यूनेस्को ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन की इंटैन्जिबल कल्चरल हेरिटेज यानी अमूर्त विश्व धरोहर की सूची जारी की। इसमें घाना, जॉर्जिया, कांगो, इथियोपिया और मिस्र सहित कई देशों के सांस्कृतिक प्रतीक भी शामिल हैं। दिल्ली स्थित लाल किले में यूनेस्को की बैठक का आयोजन हुआ। इस दौरान यूनेस्को ने दीपावली को इंटेन्जिबिल कल्चरल हेरिटेज (ICH) की लिस्ट में शामिल करने का फैसला लिया है। अब केंद्र सरकार का प्रयास है कि सूर्योपासना के महापर्व छठ पूजा को यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल कराया जाए। पीएम मोदी बिहार चुनाव के दौौरान कई बार सार्वजनिक तौर पर यह बात भी बोल चुके हैं।

यह भारत के लिए गर्व का पल है। यह पहली बार है जब देश में यूनेस्को की बैठक देखने को मिली है। इस बैठक में भारतीय सांस्कृति की पहचान दीपावली अब ICH का हिस्सा बन चुकी है। इस पर पीएम मोदी ने कहा, ‘दिवाली हमारी सभ्यता की आत्मा है।’ भारत की 15 अमूर्त विश्व धरोहर की सूची में शामिल हैं। इसमें दुर्गा पूजा, कुंभ मेला, वैदिक मंत्रोच्चार, रामलीला, छऊ नृत्य भी शामिल हैं।

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ये फैसला उस समय आया है, जब दिल्ली में UNESCO की इंटर-गवर्नमेंटल कमेटी फॉर इंटैन्जिबल हेरिटेज की 20वीं बैठक की मेजबानी कर रही है। यह 8 से 13 दिसंबर तक चलेगी। इसी मौके को देखते हुए केंद्र सरकार ने 10 दिसंबर को विशेष दीपावली समारोह रखने का फैसला किया है, ताकि दुनिया के सामने भारत की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत तरह से पेश किया जा सके।

मोदी बोले- दिवाली संस्कृति और प्रकृति से जुड़ी

पीएम नरेंद्र मोदी ने X पर बधाई देते हुए लिखा, ‘भारत और दुनियाभर के लोग उत्साहित हैं। हमारे लिए दिवाली, संस्कृति और प्रकृति से जुड़ी है। यह हमारी सभ्यता की आत्मा है। यह ज्ञान और धर्म का प्रतीक है। दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में शामिल किए जाने से इस त्योहार की वैश्विक लोकप्रियता में और भी वृद्धि होगी। प्रभु श्री राम के आदर्श हमें शाश्वत रूप से मार्गदर्शन करते रहें।

भारत की 15 धरोहरें पहले से लिस्ट में

यूनेस्को की यह लिस्ट दुनिया की ऐसी सांस्कृतिक और पारंपरिक चीजों को शामिल करती है, जिन्हें छू नहीं सकते लेकिन अनुभव किया जा सकता है। इसे अमूर्त विश्व धरोहर भी कहते हैं। इसका मकसद है कि ये सांस्कृतिक धरोहरें सुरक्षित रहें और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचें।

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फिलहाल, भारत की 15 धरोहरें पहले से अमूर्त विश्व धरोहर की सूची में जगह बना चुकी हैं। इसमें दुर्गा पूजा, कुंभ मेला, वैदिक मंत्रोच्चार, रामलीला, छऊ नृत्य भी शामिल हैं।

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