👉 पश्चिम बर्दवान जिले की सबसे बड़ी जालसाजी को चैलेंज मानकर सुलझाने में जुटी Cyber Crime PS
रानीगंज/आसनसोल : पश्चिम बर्दवान जिले की सबसे बड़ी साइबर ठगी के मामले में जांच कर रही ADPC की साइबर क्राइम थाना पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। मामले में अब तक तीन साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इनमें से दो लोग असम के और एक पूर्व मेदिनीपुर का निवासी है। साइबर पुलिस का लक्ष्य है कि मामले को जल्द से जल्द सुलझाया जाए। ठगी किए हुए रकम की बरामदगी और अपराध के पर्दाफाश को लेकर साइबर पुलिस की तफतीश जारी है।
बता दें कि रानीगंज के रामबागान स्थित डॉक्टर्स कॉलोनी निवासी वयोवृद्ध चिकित्सक व शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण कुमार शर्मा को साइबर जालसाजों ने अपनी चंगुल में फांसकर 15 करोड़ 80 लाख 90 हजार रुपए ठग लिए। स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करके बड़ा प्रॉफ़िट कमाने का लालच देकर उन्हें शिकार बनाया गया। यह पश्चिम बर्दवान ज़िले में सबसे बड़ा साइबर फ्रॉड था। कमिश्नरेट पुलिस ने इसे एक चैलेंज के रूप में लिया और अब तक 3 जालसाज पुलिस की गिरफ्त में आ चुके हैं।
DCP (हेड क्वार्टर) अरविंद कुमार आनंद ने कहा- ‘केस दर्ज होते ही पूरा साइबर विभाग सक्रियता से मामले की जांच में जुट गया था। तीन साइबार जालसाज़ों को गिरफ्तार किया गया है। रिमांड में उनसे पूछताछ कर पूरे मामले का खुलासा किया जाएगा।’
क्या है पूरा मामला?
पीड़ित डॉक्टर के अनुसार, उन्हें मोनार्क VIP नाम के एक WhatsApp ग्रुप में जोड़ा गया था। वहां उन्हें कुछ करोड़ के बदले 200 करोड़ के मुनाफे का लालच दिया गया। उनसे एक ट्रेडिंग अकाउंट खोलने को कहा गया। जालसाजों की बात पर विश्वास करके उन्होंने गूगल प्ले स्टोर से मोनार्क ऐप डाउनलोड किया। सबसे पहले उन्होंने 24 अक्टूबर को 50 हजार रुपये का निवेश किया। ग्रुप की एडमिन अनुश्री शाह नाम की एक महिला थी। वही पूरी प्रक्रिया को संभाल रही थी। उन्हें मोनार्क कैपिटल के नाम से सेबी रजिस्ट्रेशन भी दिखाया गया। इसके बाद उन्होंने जालसाजों पर बहुत भरोसा दिखाया।
24 अक्टूबर से 25 नवंबर के बीच उन्होंने कदम दर कदम 15 करोड़ 80 लाख 90 हजार रुपये का निवेश किया। उन्हें बताया गया कि इस निवेश के जरिए उन्हें 200 करोड़ रुपये वापस मिलेंगे। लेकिन निवेश के बाद जब उन्होंने पैसे निकालने की कोशिश की तो उन्हें झटका लगा। जब उन्हें शक हुआ कि वह जालसाजों के चंगुल में फंस गए हैं, तो उन्होंने पुलिस से संपर्क किया।
किन धाराओं में दर्ज हुआ केस?
इस मामले में ADPC के Cyber Crime PS ने 28 नवंबर 2025 को Case No– 77/25 U/S- 316(2)/318(4)/319(2)/336(3) /338/340(2)/308(6)/61 (2) BNS एक्ट 2023 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की। केस के आईओ सब इंस्पेक्टर चंदन मिश्रा हैं।
कैसे और किनकी हुई गिरफ्तारी?
साइबर पुलिस ने इस मामले में सबसे पहले 3 दिसंबर को अरूप कुमार नायक (34) को गिरफ्तार किया। वह पूर्व मेदिनीपुर के पांसकुड़ा का मूल निवासी है। उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू की गई। उससे मिले क्लू के आधार पर आगे की कार्रवाई करते हुए साइबर पुलिस ने भाष्कर घोष (42) और वसीम हुसैन (33) को गिरफ्तार किया। भाष्कर असम के बेलतोला और वसीम असम के गोलाघाट का रहने वाला है। साइबर पुलिस ने इन दोनों को आसनसोल CJM कोर्ट में पेश कर रिमांड की मांग की। कोर्ट ने सुनवाई के बाद दोनों को 6 दिनों की हिरासत में भेजने का निर्देश दिया।












