दुर्गापुर / पश्चिम बर्धमान:
पश्चिम बर्धमान में उद्योगों को बचाने, रोजगार बढ़ाने और बंद फैक्ट्रियों को दोबारा खोलने की मांग को लेकर सीपीएम के मजदूर संगठन सीटू (CITU) 7 से 15 दिसंबर तक चार चरणों में विशाल पदयात्रा निकालेगा। यह पदयात्रा जिले के चार औद्योगिक क्षेत्रों — कांकसा, जामुड़िया, बर्नपुर और सांक्तरिया — से अलग-अलग मार्गों पर शुरू होगी।
इस आंदोलन की अगुवाई करेंगे
- सीपीएम के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम,
- डीवाईएफआई की नेतृी मीनाक्षी मुखोपाध्याय,
- और मजदूर नेता पार्थ मुखोपाध्याय।
✊ मुख्य मांगें क्या हैं?
सीटू ने इस पदयात्रा के माध्यम से सरकार के सामने कई अहम मांगें रखी हैं—
- 100 दिनों के काम को फिर से शुरू करना,
- 200 दिनों का काम लागू करना,
- बंद पड़ी फैक्ट्रियों को तुरंत खोलना,
- और बड़े उद्योगों का विस्तार करना, ताकि स्थायी रोजगार के अवसर पैदा हो सकें।
सीटू नेताओं का कहना है कि उद्योग ठप होने से हजारों परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
🎤 दुर्गापुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस, केंद्र–राज्य पर गंभीर आरोप
गुरुवार दोपहर डेढ़ बजे दुर्गापुर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीटू नेतृत्व ने केंद्र और राज्य सरकार की “सांठगांठ” पर तीखा हमला बोला।
नेताओं का आरोप है कि
“नीतियों की विफलता और राजनीतिक मिलीभगत के चलते ही आज उद्योग संकट में है और मजदूर बेरोजगार हो रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह आंदोलन और भी उग्र रूप ले सकता है।
⚔️ तृणमूल का पलटवार – “यह जुलूस नहीं, नाटक है”
दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस ने इस आंदोलन पर तंज कसते हुए कहा—
“यह कोई जन आंदोलन नहीं, बल्कि राजनीतिक नाटक है। 34 साल तक सीपीएम ने ही बंगाल में उद्योगों को रोका। आज जब सरकार रोजगार सृजन में जुटी है, तब ये सड़क पर उतरने की बात कर रहे हैं।”
🔥 बढ़ेगा राजनीतिक तापमान
सीटू की इस पदयात्रा के ऐलान के बाद पश्चिम बर्धमान की औद्योगिक राजनीति में तापमान तेजी से चढ़ गया है।
एक तरफ मजदूर संगठन सरकार को घेरने की तैयारी में हैं, तो दूसरी तरफ सत्तारूढ़ दल हमलावर मुद्रा में है।
अब देखना होगा कि यह आंदोलन सरकार पर कितना दबाव बना पाता है और उद्योग–रोजगार को लेकर कोई ठोस निर्णय सामने आता है या नहीं।












