कोयला तस्करी: आखिर एक्शन में CISF, दूसरे दिन भी जब्ती कार्रवाई जारी, पुलिस की निष्क्रियता पर उठे सवाल

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👉 चौरंगी फांड़ी क्षेत्र के पास पूजा होटल से अब तक कुल 580 मीट्रिक टन अवैध कोयला जब्त

कुल्टी : बंगाल-झारखंड बंगाल बॉर्डर पर एक्टिव कोल सिंडिकेट नेटवर्क के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ताबड़तोड़ छापेमारी के खिलाफ अब केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की भी नींद खुल गई है। बीते दो दिनों से एक्शन जारी है। दो दिनों में कुल्टी के चौरंगी क्षेत्र स्थित पूजा होटल के पीछे से एवं होटल के नये भूमि बाउंडरी के अंदर से करीब 580 टन कोयला जब्त किया गया जा चुका है जो कोयला तस्करों की हौसले को उजागर कर रहा है। एक ही स्थान पर इतने भारी मात्रा में अवैध कोयला के स्टॉक ने सभी को चौंका दिया है। हालांकि, इन सब के बीच बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिरकर पुलिस इस मामले में निष्क्रिय क्यों बनी हुई है? क्या पुलिसिया कार्रवाई भी जल्द देखने को मिलेगी?

रविवार को मोहनपुर सीआईएसएफ टीम एवं ईसीएल के सालानपुर सुरक्षा विभाग टीम ने एक बार फिर छापेमारी अभियान चलाया और पूजा होटल के ठीक सामने होटल के ही जमीन से करीब 68 मैट्रिक टन कोयला जब्त किया।

मालूम हो को शनिवार ही कुल्टी थाना के चौरंगी फांड़ी इलाके के चित्तरंजन -नियामतपुर मुख्य मार्ग एवं राष्ट्रीय राजमार्ग 19 के बीचों-बीच स्थित पूजा होटल के ठीक पीछे से 512 मैट्रिक टन अवैध कोयला जब्त किया गया था और मामले में पूजा होटल के मालिक धनंजय पातर उर्फ धोना एवं मनोरंजन पातर उर्फ मोना को नामजद कर चौरंगी फाड़ी में शिकायत दी गई थी।

वही एक बार फिर रविवार गुप्त सूचना के आधार पर दोनों आरोपियों के अन्य एक ठिकाने जो पूजा होटल के विपरीत सड़क किनारे है, वहां छापेमारी कर कोयला जब्त किया गया है।

जानकारी के अनुसार ईसीएल के सालानपुर एरिया के बेगुनिया, बनजेमारी, इटापारा एवं अन्य कोलियरी से लदी डंपरों के चालक कुछ सौ रुपयों में ही भारी मात्रा में कोयले को खाली कर देते है और उक्त कोयले को डंपरों के चालकों से 200 रुपये प्रति टन खरीद उसी कोयले को 5000 हजार से 10000 हजार रुपये टन बिक्री करते हैं तस्कर। इस पूरे अपराध को संचालित करने के लिए खाकी-खादी से लेकर सफेदपोशों तक को मोटी रकम दी जाती है। इसलिए अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। हालांकि अब शुरू हुई कार्रवाई का क्या प्रभाव पड़ता है? यह आने वाले समय पर ही पता चलेगा। इतनी बड़ी मात्रा में अवैध कोयला जब्ती होने के बाद भी मामले में अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

सूत्रों ने बताया कि कोल सिंडिकेट नेटवर्क ने बॉर्डर क्षेत्र में ही अपना बसेरा बसाया था। झारखंड के निरसा से लेकर बंगाल में कुल्टी के चौरंगी-डीबूडीह चेकपोस्ट इनका मुख्य घाटी था। अवैध टोल बूथ तक बनाए गए थे। चौरंगी फांड़ी से थोड़ी ही दूर पर दफ्तर से लेकर अवैध कलेक्शन प्वाइंट था। इन सबके बावजूद बड़ा सवाल यह है कि क्या पुलिस को इसकी कोई भनक नहीं थी? इलाके के लोगों का आरोप है कि डीबूडीह चेकपोस्ट पर जहां कोल सिंडिकेट के ऑपरेटर और गुर्गों का जमावड़ा रहता था, उसके पास ही पुलिस का चेक नाका भी होता था। डीबूडीह चेकपोस्ट पर पुलिस के चेकनाकरा प्वाइंट के पास ही सिंडिकेट की बोलेरो 24 घंटे खड़ी रहती थी। वे आसानी से अपना काम करते थे। पूजा होटल हाईवे के किनारे है, जहां दिन-रात पुलिस पेट्रोलिंग होती रहती थी। लोगों का कहना है कि सीआईएसएफ और ईसीएल सुरक्षा टीम की मिलीभगत के बगैर कोलियरियों से इतनी बड़ी मात्रा में कोयला चोरी होना संभव है क्या?

बहरहाल अब देखना यह है कि सिंडिकेट पर प्रशासनिक प्रहार इसी तरह से जारी रहता है। सीआईएसएफ, ईसीएल सुरक्षा विभाग के साथ मिलकर पुलिस राष्ट्रीय संपत्ति की लूट हमेशा के लिए रोकती है या फिर यह कार्रवाई सिर्फ आंख में धूल झोकने के लिए है, जो आने वाले समय में ढाक के तीन पात जैसी साबित होगी।

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