👉 KK-LB नेटवर्क के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए केंद्रीय गृह और वित्त मंत्रालय से एजेंसी को मिली खुली छूट
👉 ED ने अपनी रिपोर्ट से CVC को कराया अवगत, भेजा संक्षिप्त नोट
कोलकाता/आसनसोल (प्रेम शंकर चौबे) : कोयला कारोबारियों (बड़ी मछलियों) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा बीते हफ्ते लगातार दो दिनों तक की गई ताबड़तोड़ छापेमारी के बाद अब केंद्रीय जांच एजेंसी ने सिंडिकेट पर अपना शिकंजा कस दिया है। पूछताछ का दौर शुरू हो गया है। जिनके यहां सर्च ऑपरेशन चलाया गया था, उन सभी को आज (बुधवार) सीजीओ कॉम्प्लेक्स (कोलकाता) स्थित ईडी दफ्तर में बुलाया गया है। सिंडिकेट मेंबरों का ईडी दफ्तर पहुंचना शुरू हो गया है। दावा है कि बयान में विरोधाभास और विसंगति पाए जाने पर गिरफ्तारी भी हो सकती है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मामले में ईडी अधिकारियों को कड़ी कार्रवाई करने की छूट दे दी है। बता दें कि ईडी की टीम अब कोल सिंडिकेट के दो सबसे अहम चेहरों कृष्ण मुरारी कयाल उर्फ बिल्लू उर्फ केके और लाल बहादुर सिंह उर्फ एलबी के साथ ‘अफसरों’ के नेक्सस को डिकोड करने में जुटी हुई है। इसी कड़ी में रोजाना चौंकाने वाले खुलासे भी हो रहे हैं। इधर, कोयला कारोबारियों के खिलाफ की गई ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी आंतरिक रिपोर्ट से केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) को अवगत कराया है। रिपोर्ट से संबंधित संक्षिप्त नोट केंद्रीय सतर्कता आयुक्त को भी भेजा गया है।
सनद रहे कि ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 के सेक्शन 17 के तहत 21-22 नवंबर के दौरान पश्चिम बंगाल और झारखंड में 44 जगहों पर कोऑर्डिनेटेड बड़ी सर्च कार्रवाई की। यह कार्रवाई बड़े पैमाने पर कोयले की गैर-कानूनी माइनिंग, चोरी, ट्रांसपोर्टेशन, स्टोरेज और बिक्री के संबंध में की गई। सर्च कार्रवाई के दौरान, 14 करोड़ रुपये से ज़्यादा का कैश और ज्वेलरी/सोना, साथ ही बड़ी मात्रा में सबूत मिले, जिसमें कोयला सिंडिकेट से जुड़ी कई प्रॉपर्टी डीड और ज़मीन की खरीद-बिक्री से जुड़े एग्रीमेंट, और कई डिजिटल डिवाइस, उन लोगों द्वारा कंट्रोल की जाने वाली एंटिटीज़ के अकाउंट बुक वगैरह शामिल हैं। झारखंड में 20 जगहें धनबाद और दुमका में हैं, जो मुख्य रूप से लाल बहादुर सिंह, अनिल गोयल, संजय खेमका, अमर मंडल, उनकी कंपनियों/एंटिटीज़ और उनसे जुड़े लोगों से जुड़ी हैं। पश्चिम बंगाल में 24 जगहें दुर्गापुर, पुरुलिया, हावड़ा और कोलकाता में हैं। पश्चिम बंगाल में नरेंद्र खरका, कृष्ण मुरारी कयाल, युधिष्ठिर घोष, राज किशोर यादव, लोकेश सिंह, चिन्मय मंडल, नीरद बरन मंडल और दूसरों से जुड़े कई घरों, ऑफिसों, गैर-कानूनी टोल कलेक्शन बूथ और कोक प्लांट में तलाशी ली गई। CRPF जवानों के साथ ED के 100 से ज़्यादा अधिकारी तलाशी में शामिल थे।
ED की जांच पश्चिम बंगाल और झारखंड पुलिस द्वारा दर्ज की गई कई FIR पर आधारित है, जो मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल और झारखंड के बीच चल रही गैर-कानूनी कोयला तस्करी के मामले में हैं। FIR से पता चलता है कि पश्चिम बंगाल-झारखंड बॉर्डर पर एक बड़ा नेटवर्क चल रहा है, जिसमें झारखंड से पश्चिम बंगाल राज्य में बिना किसी वैलिड डॉक्यूमेंट के कोयले की गैर-कानूनी सप्लाई शामिल है। तलाशी के दौरान जब्त किए गए डॉक्यूमेंट और दूसरे रिकॉर्ड ने FIR में लगाए गए आरोपों की पुष्टि की है और इससे स्थानीय अधिकारियों (लोकल अथॉरिटी) की मदद से चल रहे एक ऑर्गनाइज्ड रैकेट की पहचान भी हुई है।
इससे पता चला है कि यह सिंडिकेट पश्चिम बंगाल और झारखंड के बॉर्डर इलाकों में बहुत एक्टिव है और इसने क्राइम से बहुत ज़्यादा कमाई की है। इसके अलावा, कई डायरियाँ और रजिस्टर भी मिले हैं जिनमें गैर-कानूनी कैश कलेक्शन और उनके बेनिफिशियरी का ब्यौरा है। पश्चिम बंगाल में 3 कोक प्लांट में की गई तलाशी के दौरान, गैर-कानूनी तरीके से रखे गए लगभग 7.9 लाख MT कोयला और कोयला एग्रीगेट की पहचान की गई। ईडी का कहना है कि आगे की जांच जारी है।

ईडी के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दो दिनी ऑपरेशन में जिनके ठिकानों पर समन्वित सर्च ऑपरेशन चलाया गया था, उन सभी को आज तलब किया गया है। सिंडिकेट के मास्टरमाइंड, ऑपरेटरों व मेंबरों के अलावे उनके साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों को भी बुलाया गया है। सर्च ऑपरेशन के दौरान जब्ती-बरामदगी का पूरा ब्यौरा उनसे लिया जाएगा। अवैध लेन-देन के स्रोत की जानकारी जुटाई जाएगी। डिजिटल उपकरणों, दस्तावेजों और रजिस्टर-डायरियों में जो भी राज छिपे हुए हैं। उन सभी का सच उगलवाया जाएगा। पहले सबसे अकेले-अकेले पूछताछ होगी, फिर जरूरत के आधार पर एक साथ बैठाकर भी जवाब मांगा जाएगा। पूछताछ के लिए सवालों की फेहरिस्त तैयार की गई है। समन मिलने के बावजूद जो लोग नहीं पहुंचेंगे, उनके खिलाफ कानून सम्मत आगे की कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि सर्च ऑपरेशन के दौरान ईडी ने सिंडिकेट मेंबरों के अलावे कुछ ऐसे लोगों की भी पहचान की है, जिनके साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अवैध लेन-देन व कारोबारी रिश्ते उजागर हुए हैं। उन सभी को भी ई-मेल भेजकर जवाब मांगा गया है। उनमें से अधिकांश लोगों ने जवाब भेज दिया है। इस संबंध में भी पूछताछ कर जानकारी जुटाई जाएगी। इधर, ईडी द्वारा पूछताछ की प्रक्रिया शुरू किए जाने को लेकर सिंडिकेट में दहशत का माहौल है। सिंडिकेट से जुड़े कई लोग फिलहाल भूमिगत बताए जा रहे हैं। मास्टरमाइंड व ऑपरेटरों ने अपने लीगल टीम की मदद ली है। इसके इतर सिंडिकेट द्वारा बाजार में रूतबा व साख बनाए रखने के लिए यह अफवाह (सूचना) भी फैला दी गई है कि अगले एक सप्ताह के अंदर ईडी को सेट कर लिया जाएगा। सब कुछ मैनेज कर फिर पुराने रूप में ही सिंडिकेट ऑपरेट किया जाएगा। सिंडिकेट के इस कदम की भी भनक ईडी के वरिष्ठ अधिकारियों को लग चुकी है, जिसे लेकर भी कड़ी कार्रवाई किए जाने की सूचना सामने आ रही है।

ईडी की छापेमारी खत्म होने के बाद दो दिनों तक स्थिति सामान्य रही। फिर सिंडिकेट के ऑपरेटरों ने अपना मोर्चा संभाल लिया है। झारखंड की ओर से एलबी के निर्देश पर अरविंद, बिनोद, रमेश एक्टिव हो चुके हैं। वहीं बंगाल की ओर से केके के संरक्षण में लोकेश, पप्पू और शशि ने भी सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है। डीओ होल्डरों को हड़काया और धमकाया जा रहा है। किसी को कहीं मुंह नहीं खोलने की चेतावनी दी जा रही है। वहीं वाहन मालिकों को भी फोन कर चेतावनी दी जा रही है कि रंगदारी नहीं देने पर आने वाले समय से उनके वाहनों को लोडिंग-पासिंग नहीं दिया जाएगा। झारखंड के निरसा से लेकर वाया डीबूडीह होकर बंगाल के पंजाबी मोड़ होते हुए दुर्गापुर तक फिर से कई अवैध टोल बूथ बनाकर निगरानी शुरू की गई है। कुल मिलाकर यह दर्शाने की कोशिश है कि ईडी की रेड के बाद भी कुछ नहीं बदला है। हालांकि जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। फिलहाल यह देखना भी जरूरी हो गया है कि लोकल अथॉरिटी अब इस मामले में क्या रूख अपनाती है? ईडी ने जिस तरह से अपनी रिपोर्ट में लोकल अथॉरिटी को निशाने पर रखा है। ऐसे में दावा किया जा रहा है कि लोकल अथॉरिटी ने भी अपनी जिम्मेवारी को निभाते हुए कड़ी कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। विभागीय स्तर से इससे संबंध दिशा-निर्देश भी जारी किए जा चुके हैं।
एक्शन मोड में CVC, सख्ती बरतने के निर्देश CVO को, बन रही विभागीय रिपोर्ट
वहीं, ईडी द्वारा सौंपी गई आंतरिक रिपोर्ट मिलने के बाद सेंट्रल विजिलेंस कमिशन (CVC) ने एक्शन की तैयारी शुरू कर दी है। CVC के निर्देश पर ईस्टर्न कोलफील्डस लिमिटेड (ECL) की मुख्य सतर्कता अधिकारी (CVO) दीप्ति पटेल ने सख्ती शुरू कर दी है। विशेष निगरानी बरती जा रही है। ईसीएल के कोलियरियों और ओसीपी में पदस्थ उन अफसरों की भूमिका जांची जा रही है, जिन पर केंद्रीय जांच एजेंसी ने संदेह जताया है।

ईडी सूत्रों का दावा है कि कोलियरी-ओसपी और डिपो से जिस तरह से कोयला चुराया जा रहा है, बगैर मिलीभगत के वह संभव ही नहीं है। ऐसे में यह आंतरिक जांच का विषय है कि एजेंट, मैनेजर से लेकर सेल्स मैनेजर अपनी भूमिका और दायित्वों का निर्वहन सटीक रूप से कर रहे हैं या नहीं? सुरक्षा में तैनात लोगों को की क्या भूमिका थी? इ सब तथ्यों की पड़ताल की जा रही है। बता दें कि इस पूरे मामले को लेकर CVO की ओर से एक रिपोर्ट तैयार कर CVC को सौंपी जाएगी। इसके बाद विभागीय स्तर पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।












