👉 रंगदारी-वसूली पर ब्रेक लगने से डीओ होल्डरों-ट्रांसपोर्टरों में राहत
👉 ईडी को तमाम जानकारियां उपलब्ध कराने का निर्णय, अब होंगी गिरफ्तारियां
आसनसोल (प्रेम शंकर चौबे) : पश्चिम बंगाल से लेकर झारखंड तक कोयला माफियाओं (बड़ी मछलियों) के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीमों द्वारा शुक्रवार को एक साथ शुरू हुई ताबड़तोड़ छापेमारी लगातार दूसरे दिन शनिवार को भी जारी है। इस व्यापक और समन्वित एक्शन में 10 करोड़ रुपए से अधिक नकदी, करीब 25 करोड़ रुपए के गोल्ड ज्वैलरी बरामद होने की सूचना है। वहीं तकरीबन 500 करोड़ से अधिक संपत्ति का खुलासा हुआ है। इससे संबंधित 120 दलील दस्तावेज जब्त की जा चुकी हैं। झारखंड और बंगाल से दो माफियाओं को ईडी अपने हिरासत में ले चुकी है। केंद्रीय जांच एजेंसी की ओर से अभी आधिकारिक ब्योरा आना बाकी है। जांच पूरी होने तक बरामदगी और भी ज्यादा इजाफा होने की पूरी-पूरी संभावना बताई जा रही है।
इन सबके बीच ईडी की ताबड़तोड़ कार्रवाई ने शिल्पांचल में नये सिंडिकेट की रीढ़ की हड्डी को तोड़ दिया है। सिंडिकेट के मास्टरमाइंड कृष्ण मुरारी कयाल उर्फ बिल्लू पर ईडी ने शिकंजा कस दिया है। वहीं शिल्पांचल में सिंडिकेट के मुख्य कर्ता-धर्ता (ऑपरेटर) माने जाने वाले लोकेश सिंह भी ईडी की रडार पर हैं। ऐसे में ईडी की कार्रवाई से सिंडिकेट के ऑपरेटरों से लेकर गुर्गों तक अंडरग्राउंड हो गए हैं। शुक्रवार को कार्रवाई शुरू होते ही ऑपरेटरों-गुर्गों ने सेफ हाउस का रास्ता अख्तियार कर लिया और दुबक गए। शुक्रवार रात को हाईवे पर सिंडिकेट के बाइकर्स गैंग और बोलेरो गैंग भी नदारद रहे। वसूली पूरी तरह से बंद रही। यही नहीं डीओ होल्डरों से वसूली-रंगदारी भी नहीं हो सकी। इससे एक ओर जहां डीओ होल्डरों ने राहत की सांस ली है। तो वहीं, सिंडिकेट को करारा आर्थिक चोट पहुंचा। कार्रवाई ने हड़कंप के साथ दहशत पैदा कर दिया है।
सिंडिकेट के काम-काज को करीब से जानने वालों ने दावा किया कि ईडी रेड के बाद से ईसीएल के सातग्राम-श्रीपुर एरिया, कुनुस्तोड़िया एरिया, सोनपुर बाजारी एरिया, झांझरा प्रोजेक्ट एरिया, पांडवेश्वर एरिया और काजोड़ा एरिया में पहले एक्टिव रहे डीओ-लिफ्टर और सिंडिकेट के गुर्गों का जमावड़ा कल से इन इलाकों में नहीं देखा गया। रंगदारी-वसूली पर ब्रेक लग गया है। गुर्गे अंडरग्राउंड हो गए हैं। ऑपरेटरों में शामिल पप्पू सिंह, शशि यादव, संजय यादव, सोदू, आलोक, गोष्ठो आदि भूमिगत हो गए हैं। जिन अवैध कोयला डिपो में दिन के साथ ही रात में भी उजाला बरकरार रहता था, वहां श्मसान जैसी निशब्दता कायम है। कोयला लिफ्टिंग में वसूली बंद होने से वैध डीओ होल्डरों ने राहत की सांस ली है।

शुक्रवार की देर शाम को ही शिल्पांचल के अधिकांश डीओ होल्डरों ने एक आपात बैठक की। इसमें ईडी की इस बड़ी कार्रवाई की जमकर प्रशंसा की गई। साथ ही अहम निर्णय लिया गया कि उनका प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही सीजीओ कॉम्प्लेक्स (कोलकाता) जाएगा, वहां ईडी के बड़े पदाधिकारियों से मुलाकात करेगा और वसूली में शामिल सिंडिकेट के गुर्गों और ऑपरेटरों के संबंध में विस्तृत जानकारी मुहैया कराएगा। साथ ही यह मांग करेगा कि शीघ्र ही इस पर कड़ी कार्रवाई हो, ताकि वे लोग अपना वैध काम आसानी से निपटा सके।
डीओ होल्डरो ने बताया कि वैध कोयला निकासी का काम मिलने के बावजूद उनलोगों को प्रतिटन दो हजार रुपए के हिसाब से सिंडिकेट को अवैध भुगतान करना पड़ता था। अन्यथा उनका माल वाहन में ही फंसा रहता था। पुलिस-प्रशासन के पास गुहार लगाने का कोई फायदा नहीं होता था। उलटे ही कई तरह की अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ता था। लेकिन ईडी की कार्रवाई ने उनलोगों को एक रास्ता दिखा दिया है। वे लोग काफी राहत महसूस कर रहे हैं। ऐसे में उनलोगों ने निर्णय लिया है कि डीओ होल्डरों का प्रतिनिधिमंडल ईडी दफ्तर जाकर सिंडिकेट के तमाम सदस्यों के नाम मुहैया कराएगा। उनकी लोकेशन बताई जाएगी। काम करने के तरीकों का खुलासा किया जाएगा। ताकि, आने वाले समय में ईडी पूरी तरह से सिंडिकेट पर करारा प्रहार कर सके। डीओ होल्डरों ने आशा जताई है कि दिसंबर के पहले सप्ताह से ही यह खेल शुरू हो जाएगा और गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगेगी।
इधर, सिंडिकेट पर हो रहे मजबूत प्रहार से ट्रांसपोर्टरों को भी काफी राहत पहुंची है। नाम नहीं छापने की शर्त पर ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन के एक पदाधिकारी ने कहा कि सिंडिकेट अब सिस्टम का हिस्सा बन चुका है। ऐसे में वे लोग विवश हैं। कोलियरी में गाड़ी लगाने वाले ट्रांसपोर्टरों या फिर वाहन मालिकों को भी सिंडिकेट को खर्चा देना पड़ता था। वरना उनके वाहनों में लोडिंग तक नहीं हो पाती थी। लेकिन, ईडी की कार्रवाई के कारण वाहन मालिकों को अब गाड़ी खर्च के नाम पर रंगदारी नहीं देना पड़ रहा है। अगर ईडी की ओर से उनलोगों से किसी तरह की जानकारी मांगी जाएगी तो ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन तमाम जानकारियां उपलब्ध कराने को प्रतिबद्ध है।
बता दें कि ईसीएल के सातग्राम-श्रीपुर एरिया, कुनुस्तोड़िया एरिया, सोनपुर बाजारी एरिया, झांझरा प्रोजेक्ट एरिया, पांडवेश्वर एरिया और काजोड़ा एरिया में सिंडिकेट के गुर्गे डीओ होल्डरों और ट्रांसपोर्टरों से रंगदारी वसूलते थे। झारखंड से बंगाल में इंट्री करने वाले वाहनों से वसूली के लिए बाकायदा डीबूडीह चेकपोस्ट (चौरंगी) के पास सिंडिकेट का अवैध दफ्तर भी संचालित था। इस दफ्तर में शुक्रवार को ईडी ने छापेमारी की थी। यहीं से असल खेल चलाया जाता था। लोकेश-पप्पू-शशि के गुर्गे यहीं से पूरी निगरानी करते थे। पैड का कारोबार भी यहीं चलता था। बालू लदे वाहनों से 15 से 20 हजार तक, कोयला लदे वाहनों से 25 हजार रुपए तक वसूले जाते थे। दो हजार रुपए तो आम वाहनों से रंगदारी वसूली जाती थी। उसके बाद ही गाड़ी पास कराई जाती थी। पंजाबी मोड़ (रानीगंज) में भी सिंडिकेट का चेकनाका बनाया गया है, जहां रतन के नेतृत्व में रंगदारी वसूली जाती है।
वैध कोयला खनन को करीब से समझने वाले निष्पक्ष व इमानदार अफसरों का दावा है कि सिंडिकेट के इस रवैये ने न केवल कोल इंडिया को बड़ा आर्थिक नुकसान पहुंचाया, बल्कि सरकार को भी राजस्व में चूना लगाया। वहीं शिल्पांचल की प्रकृति का खुलकर दोहन किया गया। इस नुकसान की भरपाई आने वाले दिनों में मील का पत्थर साबित होगी। सिंडिकेट पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय एजेंसियां जिस तरह से तत्पर है। ठीक उसी पैटर्न पर स्थानीय पुलिस-प्रशासन को भी कड़ी कार्रवाई करनी होगी। वरना आने वाले समय में शिल्पांचल को बर्बादी के मुहाने पर पहुंचने से कोई रोक नहीं सकता। अब आने वाले समय में देखना है कि सिंडिकेट पर अंकुश लगाने के लिए स्थानीय प्रशासन किस स्तर पर पहल करती है? या फिर बाराबनी जैसे हादसे ही यहां की नियति बन कर रह जाएगी।

कोयला माफियाओं के खिलाफ अब तक जारी ईडी की रेड में बरामद कैश और ज्वेलरी (ऊपर तस्वीर में)👆🏿












