सिंघारन नदी पर संकट! जामुड़िया में उठी बड़ी आवाज, जन आंदोलन की तैयारी

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जामुड़िया।
जामुड़िया की ‘लाइफ लाइन’ कही जाने वाली सिंघारन नदी अब अपने अस्तित्व की आखिरी लड़ाई लड़ रही है। लगातार प्रदूषण, कल-कारखानों का अपशिष्ट और प्रशासनिक उदासीनता ने नदी को बुरी तरह बीमार कर दिया है। इसी संकट को देखते हुए रविवार को बेलबाद सिंघारन काली मंदिर के पास सिंघारन नदी बचाओ कमिटी की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें दूर-दूर से नदी प्रेमी संगठन और आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधि पहुंचे।

बैठक में सर्व भारतीय नदी बचाओ–जीवन बचाओ कमिटी, सिउड़ी कुशकोरनी नदी बचाओ कमिटी, और सिंघारन नदी बचाओ कमिटी सहित कई प्रमुख पर्यावरण एवं सामाजिक संगठन मौजूद रहे।

⭐ “सिंघारन नदी मर रही है—अगर आज नहीं जागे तो बहुत देर हो जाएगी”

सिंघारन नदी बचाओ कमिटी के संयोजक अजीत कोड़ा ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा—

“जामुड़िया की एकमात्र जीवनदायिनी नदी आज कारखानों के कचरे और प्रदूषण से दम तोड़ रही है। नदी का पानी इतना दूषित हो चुका है कि ग्रामीण इसका इस्तेमाल भी नहीं कर पा रहे। यह सिर्फ नदी का नहीं, पूरे क्षेत्र के भविष्य का सवाल है।”

उन्होंने बताया कि जामुड़िया के कई गांव इस नदी के पानी पर निर्भर हैं, लेकिन अब ग्रामीणों को भीषण जल संकट का सामना करना पड़ रहा है। सबसे खतरनाक बात यह कि सिंघारन नदी का प्रदूषित पानी अंडाल के श्रीरामपुर में दामोदर नदी से मिल रहा है, जिससे दामोदर भी खतरे में है।

⭐ बड़े आंदोलन की घोषणा — जनवरी में ऐतिहासिक पदयात्रा

बैठक में निर्णय लिया गया कि सिंघारन नदी को बचाने के लिए 17 और 18 जनवरी को एक विशाल पदयात्रा निकाली जाएगी।
यह पदयात्रा जामुड़िया के इकड़ा से शुरू होकर काजोडा होते हुए अंडाल के श्रीरामपुर में समाप्त होगी।

पदयात्रा के आयोजन के लिए 15 सदस्यीय कमिटी भी गठित की गई है—

  • अध्यक्ष – दीपक दास
  • सचिव – विकास बाउरी

प्रतिभागियों का कहना है कि यह पदयात्रा अब सिर्फ नदी का सवाल नहीं, एक जन आंदोलन बनने जा रहा है।

⭐ प्रमुख लोग रहे उपस्थित

बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण व्यक्तित्व उपस्थित रहे—

  • तापस दास (सर्व भारतीय नदी बचाओ जीवन बचाओ कमिटी)
  • डॉ. रतना पाल
  • मृणाल राय
  • सौगात राय (सिउड़ी कुशकोरनी नदी बचाओ कमिटी)
  • अजीत कोड़ा (सिंघारन नदी बचाओ कमिटी)
  • मानिक हेमब्रम (आदिवासी समाज)
    सहित कई अन्य सामाजिक व पर्यावरण कार्यकर्ता।

🎉 हजारों लोगों की उम्मीद — “सिंघारन को बचाओ” की गूंज तेज

स्थानीय लोगों में उम्मीद है कि यह आंदोलन सरकार और प्रशासन को जागरूक करेगा और सिंघारन नदी को पुनर्जीवित करने की दिशा में बड़े कदम उठाए जाएंगे। ग्रामीणों ने कहा—

“नदी बचेगी तो ही गांव बचेगा…दामोदर बचेगा…हमारा जीवन बचेगा।”

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