SIR @ बंगाल : दहशत और भ्रम के बीच 4 लोगों की मौत, सुसाइड से गरमाई सियासत, BLO मांग रहे सुरक्षा

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कोलकाता (प्रेम शंकर चौबे) : पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर लोगों में भय, भ्रम और दहशत फैल गई है. राज्य में अब तक 4 लोगों की मौत हो गई है. जबकि एक व्यक्ति ने सुसाइड की कोशिश की थी, जिनका इलाज अस्पताल में चल रहा है. आरोप है कि सभी मृतकों ने SIR के डर से मौत का रास्ता अख्तियार किया. इन 4 मौतों के बाद राज्य में तनाव बढ़ गया है. बता दें कि निर्वाचन आयोग ने 28 अक्टूबर से बंगाल सहित देश के 12 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर के दूसरे चरण की घोषणा की है. फिलहाल बीएलओ का प्रशिक्षण चल रहा है. 4 नवंबर से यह प्रक्रिया शुरू होगी. इसके तहत बीएलओ घर-घर जाकर गणना करने के साथ ही मतदाताओं का सत्यापन करेंगे. इन सबके बीच बीते 5 दिनों में राज्य के अलग-अलग स्थानों में 4 लोगों ने आत्महत्या कर ली है. आरोप लगाए जा रहे हैं कि एसआईआर होने के डर से सभी ने अपनी जान दी है. हालांकि, इन आरोपों की पुष्टि नहीं हो पाई है. पुलिस सभी मामलों की जांच कर रही है. हालांकि, चुनाव आयोग ने इन मौतों पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है. इस बीच 4 नवंबर को टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी और तृणमूल महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कोलकाता में SIR के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. चुनावी विश्लेषकों की मानें तो आने वाले दिनों में SIR को गहमा-गहमी और भी बढ़ सकती है.

🔹पहली घटना (उत्तर 24 परगना) : जिले के पानिहाटी में मंगलवार को 57 वर्षीय प्रदीप कर ने आत्महत्या कर ली. पुलिस के मुताबिक, प्रदीप कर का शव उनके कमरे में फांसी के फंदे से लटका मिला. एक सुसाइड नोट मिला है. इसमें उल्लेख है कि दस्तावेजों की कमी के कारण मतदाता सूची से बाहर हो जाने के डर से परेशान थे. हालांकि, सुसाइड नोट की सत्यता को लेकर रहस्य है. मृतक का एक हाथ नहीं था, दूसरे हाथ की 4 अंगुलियां भी नहीं थी. ऐसे में फॉरेंसिक एक्सपर्ट यह पता लगा रहे हैं कि सुसाइड नोट मृतक ने ही लिखा था या नहीं. इधर, एक और दावा किया जा रहा है कि मृतक प्रदीप कर का नाम 2002 की मतदाता सूची में मौजूद है.

🔹दूसरी घटना (बीरभूम) : जिले के इलमबाजार में एक बुजुर्ग व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली. पुलिस के अनुसार मृतक की पहचान क्षितिश मजूमदार के रूप में हुई है, जो पश्चिम मेदिनीपुर जिले के रहने वाले थे. वह बुधवार रात अपनी बेटी के घर इलमबाजार क्षेत्र में फंदे से लटके मिले. पुलिस ने बताया कि शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया है और अस्वाभाविक मौत का मामला दर्ज कर लिया गया है. परिजनों का आरोप है कि वह मतदाता सूची के सत्यापन प्रक्रिया से बेहद चिंतित थे और उन्हें डर था कि अगर उनका नाम सूची से गायब हुआ तो उन्हें विदेशी घोषित कर दिया जाएगा. वह बीते कई दिनों से बेचैन थे क्योंकि 2002 की मतदाता सूची में उनका नाम नहीं था. परिवार ने कहा कि वह अक्सर कहते थे कि अगर मेरा नाम वोटर लिस्ट में नहीं है, तो क्या मुझे बांग्लादेश लौटना पड़ेगा. परिवार का कहना है कि हाल में जब मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू हुई, तो उनका डर और बढ़ गया. इसी तनाव के चलते उन्होंने यह कदम उठाया.

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🔹तीसरी घटना (कूचबिहार) : जिले के दिनहाटा में एक किसान ने आत्महत्या की कोशिश की, जो फिलहाल कूचबिहार मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में भर्ती है. 70 साल के इस वृद्ध किसान ने कीटनाशक पाकर जान देने की कोशिश की थी. परिवार का दावा है कि 2002 के वोटर लिस्ट में उनका नाम है, लेकिन 2024 के वोटर लिस्ट में उनके नाम के स्पेलिंग में गलती पाई घी थी, जिसमें सुधार नहीं हो सका था. इसे लेकर वे चिंतित थे.

🔹चौथी घटना (उत्तर 24 परगना) : बैरकपुर नगर पालिका के वार्ड संख्या 8 में, केजी स्कूल रोड पर, मनसा मंदिर के पास, एक महिला ने खुद को आग लगाकर अपनी जान दे दी. मृतका की पहचान 33 वर्षीय काकोली सरकार के रूप में हुई है, जो दो बच्चों की मां थी. उसकी सास के अनुसार, काकोली सरकार मूल रूप से नवाबगंज, ढाका, बांग्लादेश की रहने वाली थी और 15 साल पहले सबुज सरकार से शादी करने के बाद भारत आई थी. उन्होंने बताया कि SIR को लेकर पूरा परिवार डर के साये में जी रहा था. इस चिंता में कि कहीं उन्हें बांग्लादेश वापस न लौटना पड़े. उन्होंने बताया कि काकोली काफ़ी समय से बांग्लादेश वापस जाने की मांग कर रही थी, हालांकि, उसके पति सबुज सरकार ने उसे हालात सामान्य होने तक इंतज़ार करने को कहा था.

🔹पांचवीं घटना (पूर्वी बर्दवान) : जिले के जमालपुर के एक प्रवासी मज़दूर की तमिलनाडु में मौत हो गई. मृतक का नाम बिमल संतरा (51) है. वह पूर्वी बर्दवान के जमालपुर के नवग्राम का निवासी है. उसके बेटे बापी संतरा का दावा है कि उसकी मौत एसआईआर के डर से हुई. मृतक बिमल संतरा तमिलनाडु के तंजीबुर ज़िले के ओराटांडु पटुकुटा इलाके में एक खेत में मज़दूरी करने गया था. बापी संतरा का दावा है कि बिमल इस बात को लेकर चिंतित था कि क्या उसके सारे दस्तावेज़ सही हैं, इसे लेकर वह तमिलनाडु में बीमार पड़ गया. स्थानीय लोगों ने उसे तमिलनाडु के तंजावुर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया. वहीं इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. शुक्रवार को तमिलनाडु के एक अस्पताल में शव का पोस्टमार्टम भी किया गया. ज़िला प्रशासन की मदद से शनिवार शाम प्रवासी मज़दूर का शव घर पहुँचाया गया. पिता का दावा है कि उनके पिता की मौत एसआईआर की दहशत के कारण हुई है.

👉 गरमाई सूबे की राजनीति, TMC-BJP में आरोप-प्रत्यारोप तेज

इन मौतों को लेकर बीजेपी और टीएमसी में आरोप प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है. राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नाराजगी जाहिर की है. इधर, बीजेपी ने सवाल किया है कि क्या सबूत है SIR आत्महत्या का कारण हैं?, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ऐसा बयान लिखा हैं? बीजेपी नेता बिप्लब देब और सुकांत मजूमदार ने कहा कि क्या क्या कोई सबूत है कि SIR मौत का कारण था. उन्होंने कहा कि यह बीजेपी का नहीं, चुनाव आयोग का फैसला है, तो उनसे पूछिए?

वहीं, टीएमसी नेता कुणाल घोष ने नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि टीएमसी का मानना ​​है कि बीजेपी SIR की मौतों का मज़ाक एक जानवर की मौत से जोड़कर उड़ा रही है (मिदनापुर में तेंदुए की मौत के बगल में SIR की मौत लिखा था). घोष ने कहा कि जब बंगाल के लोग दहशत में हैं, तब बीजेपी नेता उनकी मौतों का मज़ाक उड़ा रहे हैं. उन्होंने सवाल किया ‘आखिर एक 92 साल का व्यक्ति आत्महत्या क्यों करेगा? एक व्यक्ति को जलाकर क्यों मारा जाएगा?’. उन्होंने कहा कि बीजेपी अमानवीय और असंवेदनशील है. बंगाल की जनता उन्हें जवाब देगी.

👉 सुरक्षा और ड्यूटी दर्ज करने की मांग पर अड़े BLO

कई बीएलओ ने शिकायत की कि प्रशिक्षण सत्रों के दौरान प्रशासनिक और सुरक्षा इंतजाम पर्याप्त नहीं हैं. उन्होंने मांग की कि उनके प्रशिक्षण और फील्डवर्क को आधिकारिक ड्यूटी के रूप में दर्ज किया जाए, ताकि स्कूलों में उन्हें अनुपस्थित न दिखाया जाए. शिक्षक जो बीएलओ के रूप में ड्यूटी कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि उनके स्कूलों में उन्हें अनुपस्थित चिह्नित किया जा रहा है, जबकि वे चुनाव आयोग के काम में लगे हुए हैं. उनका कहना है कि बीएलओ के रूप में किया गया कार्य ऑन ड्यूटी माना जाए.

इसी तरह दुर्गापुर के एसडीओ कार्यालय में भी बीएलओ ने सामूहिक रूप से विरोध जताया. एक शिक्षक ने कहा- ‘आज जो फॉर्म हमें दिया गया, उसमें बीएलओ प्रशिक्षण का कोई आधिकारिक उल्लेख नहीं है. पहले के प्रशिक्षण में हमें प्रमाणपत्र दिया जाता था. हम वही व्यवस्था फिर से चाहते हैं.’ एक अन्य बीएलओ ने कहा, ‘हम काम करने को तैयार हैं, लेकिन हमें सही दस्तावेज़ और सुरक्षा चाहिए. बिना इनके हम आगे नहीं बढ़ सकते.’ कोलकाता में भी प्रशिक्षण के दौरान अधिकांश बीएलओ ने इसी तरह के सवाल उठाए.

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