भर्ती घोटाला : ईडी के शिकंजे में मंत्री सुजीत बोस, 11 ठिकानों पर मैराथन छापेमारी जारी

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कोलकाता : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कथित नगर पालिका (नगर निकाय) भर्ती घोटाले के सिलसिले में पश्चिम बंगाल के मंत्री सुजीत बोस के आवास और कार्यालयों सहित पश्चिम बंगाल में 11 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया। पश्चिम बंगाल के विधायक और अग्निशमन व आपातकालीन सेवा मंत्री बोस के कार्यालय, कंपनियों और आवासीय परिसरों पर कुछ विशेष जानकारी के आधार पर शुक्रवार सुबह से ही छापेमारी की गई। ईडी ने इससे पहले इस मामले में बोस और पश्चिम बंगाल के विधायक और खाद्य व आपूर्ति मंत्री रथिन घोष के आवासीय परिसरों पर तलाशी ली थी।

मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के आधार पर शुरू की गई थी। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भी ईडी की ओर से दायर एक आवेदन पर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था। इसमें कहा गया था कि “भर्ती घोटाला केवल स्कूल शिक्षकों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पश्चिम बंगाल की नगर पालिकाओं में विभिन्न पदों की भर्ती तक भी फैला हुआ है।”

कहां-कहां डाली गई रेड?

*साल्टलेक के सेक्टर वन स्थित एक इमारत में मौजूद मंत्री सुजीत बसु के दफ्तर में

*वीआईपी रोड पर स्थित मंत्री सुजीत बसु के रेस्तरां

*दक्षिण दमदम नगर पालिका के उपाध्यक्ष निताई दत्ता के आवास पर

*नागेरबाजार स्थित एक वकील व व्यवसायी के घर पर

*बेलेघाटा में एक चार्टर्ड अकाउंटेंट के आवास में

*न्यू अलीपुर, कांकुरगाछी, शरत बोस रोड स्थित कई पतों पर भी तलाशी जारी

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ईडी की रेड पर क्या बोले मंत्री सुजीत बोस?

शुक्रवार को मीडिया से मुखातिब होकर मंत्री सुजीत बोस ने कहा, ‘वे अपना काम कर रहे हैं। हम अपना काम करेंगे। उन्होंने पहले भी तलाशी ली थी। कुछ नहीं मिला।’ इसके बाद उन्होंने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा, ‘वे राजनीतिक हमले कर रहे हैं। क्योंकि उनके लोगों के पास कुछ नहीं है। भ्रष्टाचार के बारे में बहुत कुछ कहा है। सबूत तो होना ही चाहिए! जनता सब जानती है। मेरा प्रमाण यहाँ की जनता है।’ वहीं, तृणमूल ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार चुनाव से पहले केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर तृणमूल पर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रही है।

क्या है पूरा मामला?

सनद रहे कि 12 जनवरी, 2024 को ईडी के अधिकारियों ने नगर निगम भर्ती भ्रष्टाचार मामले की जाँच में सुजीत के लेकटाउन स्थित दो घरों और कार्यालय की तलाशी ली थी। 14 घंटे की तलाशी के बाद, जाँचकर्ताओं ने कई दस्तावेज़ और सुजीत का मोबाइल फ़ोन ज़ब्त कर लिया और चले गए। सीबीआई ने स्कूल भर्ती भ्रष्टाचार मामले की जाँच करते हुए सबसे पहले व्यवसायी अयन शील को गिरफ्तार किया था। बाद में, उसके साल्ट लेक स्थित कार्यालय की तलाशी के दौरान कई उत्तर पुस्तिकाएँ या ओएमआर शीट बरामद की गईं। वहाँ से जाँचकर्ताओं को नगर निगम भर्ती में भ्रष्टाचार के सुराग भी मिले। अयन की कंपनी नगर निगम भर्ती में ओएमआर की प्रभारी थी। जाँचकर्ताओं ने जाँच के दौरान एक-एक करके कई और लोगों को गिरफ्तार किया। बाद में, ईडी ने इस मामले में अवैध वित्तीय लेनदेन के मुद्दे की जाँच की और जाँच शुरू की।

कोलकाता समेत 16 नगर निगमों में नियुक्ति घोटाला : सीबीआई

सीबीआई ने पिछले साल इस मामले में पहला आरोप पत्र दायर किया था। उन्होंने आरोपपत्र में भर्ती घोटाले में पैसों के लेन-देन का ब्यौरा दिया। साथ ही, यह भी बताया कि नौकरियां कैसे हासिल की गईं। सीबीआई ने आरोपपत्र में दावा किया था कि अयन के दो एजेंटों के ज़रिए कई लोगों को नौकरियां मिलीं। अयन के एजेंटों ने उनमें से प्रत्येक से औसतन 50,000 रुपये कमीशन लिया। बताया गया कि अयन के ज़रिए कोलकाता समेत 16 नगर निगमों में कई लोगों को अवैध रूप से नौकरियां मिलीं। सीबीआई ने आरोपपत्र में शमिक चौधरी नाम के एक एजेंट का ज़िक्र किया है।

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