कोलकाता (प्रेम शंकर चौबे) : पश्चिम बंगाल में 15 अक्टूबर से मतदाता सूची के सघन पुननिरीक्षण (SIR) से शुरू होने की अटकलें तेज हो गई है. केंद्रीय चुनाव आयोग की टीम ने मतदाता सूची की मैपिंग के लिए सात दिनों की डेडलाइन तय कर दी है. केंद्रीय चुनाव आयोग की टीम के प्रतिनिधियों ने दक्षिण बंगाल के जिलाधिकारियों के साथ बैठक की है. इस बैठक के दौरान यह संकेत दिया.
चुनाव आयोग की एक विशेष टीम एसआईआर के कामकाज की समीक्षा के लिए बंगाल में है. आयोग की इस विशेष टीम का नेतृत्व उप चुनाव आयुक्त ज्ञानेश भारती कर रहे हैं. बंगाल सीईओ ने दक्षिण बंगाल के सभी जिलाधिकारियों, अतिरिक्त जिलाधिकारियों और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ एक वर्चुअल बैठक की.
सूत्रों के अनुसार, बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि प्रत्येक जिला एसआईआर के लिए कितना तैयार है. क्या अधिसूचना प्रकाशित होने के तीन-चार दिनों के भीतर कम से कम 20 प्रतिशत गणना फॉर्म प्रिंट करना संभव है? इसकी कितनी तैयारी है? दिल्ली से आई टीम के सदस्य यह भी जानना चाहा. वर्ष 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव तैयारियों की समीक्षा के लिए आयोग की विशेष टीम मंगलवार की रात को कोलकाता पहुंची. टीम में उपचुनाव आयुक्त ज्ञानेश भारती, आयोग की आइटी शाखा की महानिदेशक सीमा खन्ना, आयोग के सचिव एसबी जोशी और उप सचिव अभिनव अग्रवाल शामिल हैं.
लापरवाही बरतने पर होगी सख्त कार्रवाई
चर्चा के दौरान आयोग के अधिकारियों ने बिहार का मुद्दा उठाया. उन्हें यह भी याद दिलाया गया कि बिहार में जहां भी चूक हुई है, वहां विभिन्न अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है.
बिहार में जब एसआईआर की घोषणा हुई यानी अधिसूचना जारी होने के बाद गणना प्रपत्रों की छपाई का काम शुरू हुआ तो चुनाव अधिकारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा. बंगाल के मामले में, बैठक में पूछा गया कि क्या इस काम का कम से कम 20 प्रतिशत हिस्सा 2-3 दिनों के भीतर पूरा करना संभव है.

आयोग चाहता है कि अधिसूचना जारी होने से पहले गणना प्रपत्रों की छपाई हो जाए. उत्तर बंगाल के अलीपुरद्वार ने इसमें भाग लिया. सभी काम 11-15 अक्टूबर तक पूरे करने का आदेश दिया गया है.
बंगाल में जिलेवार होगी गणना फार्म की छपाई
उपचुनाव आयुक्त ने निर्देश दिया है कि एसआइआर की अधिसूचना के प्रकाशन के चार से पांच दिनों के भीतर जिलेवार गणना फार्म की छपाई का कम से कम 30 प्रतिशत कार्य पूरा हो जाना चाहिए। प्रत्येक जिले में फार्म अलग-अलग छपवाने होंगे। ज्ञानेश ने जिलाधिकारियों से यह भी जानने को कहा कि क्या उनके संबंधित जिलों में छपाई के लिए बुनियादी ढांचा है। गौरतलब है कि बिहार के मामले में, फार्म एक ही जगह से छपकर प्रत्येक जिले में भेजे जाते थे। बंगाल के मामले में निर्देश दिए गए हैं कि गणना प्रपत्र प्रत्येक जिले में अलग से मुद्रित किए जाएंगे। प्रत्येक मतदाता प्रपत्र की साफ्ट कापी दिल्ली से ईआरओ को अलग से भेजी जाएगी।
चुनाव आयोग ने तय की 7 दिनों की डेडलाइन
बैठक में अधिकारियों ने बार-बार 11-15 अक्टूबर की समय सीमा का जिक्र किया. इसलिए, माना जा रहा है कि बंगाल में एसआईआर 15 अक्टूबर के बाद ही हो पाएगा.
ईसी टीम के सदस्यों ने सीईओ के साथ मिलकर दक्षिण बंगाल के सभी ज़िलाधिकारियों, अतिरिक्त जिलाधिकारियों और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ एक वर्चुअल बैठक की. बैठक के बाद, टीम के सदस्य राजारहाट-गोपालपुर गए. वे बूथ स्तर पर सभी से, मुख्य रूप से बीएलओ से मिले.
विपक्ष ने राजारहाट-गोपालपुर-न्यूटाउन इलाके को लेकर काफी शिकायतें की हैं. आयोग राजारहाट-गोपालपुर के ईआरओ के बारे में पहले ही शिकायत कर चुका है. यह टीम उस मामले की भी जांच करेगी.
बंगाल में फिलहाल 7.65 करोड़ वोटर्स
राज्य में वर्तमान में लगभग 7.65 करोड़ मतदाता हैं। प्रपत्रों की दोगुनी संख्या मुद्रित की जाएगी। प्रत्येक मतदाता के लिए दो आवेदन पत्र मुद्रित किए जाएंगे। एक मतदाता के पास होगा। दूसरा बीएलओ जमा लेंगे। बिहार के मुद्दे का हवाला देते हुए अधिकारियों को बार-बार बताया गया है कि पूरी प्रक्रिया जानने के बावजूद, बिहार में उन सभी अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की गई है जिन पर अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही बरतने का आरोप लगा था। अगर बंगाल में भी किसी अधिकारी पर ऐसे आरोप लगे तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।