दुर्गापुर (रिपोर्ट: दिलीप सिंह):
कभी 3000 से अधिक छात्रों की भीड़ से गूंजने वाला एमएमसी स्थित हिंदी और बांग्ला हाई स्कूल अब वर्षों से खामोश पड़ा है। साल 1970 में सरकारी स्कूल के तौर पर स्थापित यह विद्यालय इलाके की पहचान बन गया था। लेकिन निजी स्कूलों के बढ़ते दबदबे के कारण छात्रों की संख्या लगातार घटती गई और 2002 में यह स्कूल बंद हो गया।
हालांकि, इलाके के छात्रों को शिक्षा से जोड़ने के लिए राज्य सरकार ने इस स्कूल के दो कमरों में शिशु शिक्षा केंद्र जरूर शुरू किया था। इसके बावजूद गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित रहना पड़ा।
अब इस बंद पड़े विद्यालय को पुनर्जीवित करने की पहल की है ‘प्रचेष्ठा संस्था’ ने। संस्था से जुड़े स्थानीय छात्र और रिटायर्ड शिक्षक मिलकर एकजुट हुए हैं और उन्होंने कोलकाता विकास भवन, क्षेत्रीय मंत्री प्रदीप मजूमदार, अड्डा के अधिकारी और डॉक्टर कलीम उल हक को चिट्ठी लिखकर मांग रखी है कि इस स्कूल को दोबारा खोला जाए।
संस्था के सदस्य शांतिमय कुंडू ने बताया—
“इलाके में कोई सरकारी स्कूल नहीं होने के कारण गरीब परिवारों को अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर बड़ी परेशानी झेलनी पड़ रही है। अंग्रेजी माध्यम स्कूल में अधिकांश लोग बच्चों को भेजने में असमर्थ हैं। ऐसे में हिंदी और बांग्ला दोनों ही हाई स्कूल खोलने की मांग की गई है।”
स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि स्कूल फिर से खुलता है तो इलाके के हजारों बच्चों को शिक्षा का सुनहरा अवसर मिलेगा और समाज में शिक्षा का स्तर ऊंचा होगा।